अक्षय तृतीया पर सोने में निवेश: गोल्ड ETF में पैसा लगाना रहेगा सही, यहां जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें
आज यानी 3 मई को अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। इस दिन हमारे देश में सोना खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसे में अगर आप भी इस दिन सोने में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड या गोल्ड ETF में निवेश करना सही रहेगा। इसमें आपका सोना सुरक्षित रहेगा और मेकिंग चार्ज भी नहीं देना होगा। आज हम आपको गोल्ड ETF के बारे में बता रहे हैं ताकि आप इसमें निवेश करके फायदा कमा सकें।
सबसे पहले समझें गोल्ड ETF क्या है?
यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर आधारित होता है। ETF बहुत अधिक कॉस्ट इफेक्टिव होता है। एक गोल्ड ETF यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना। वह भी पूरी तरह से प्योर। यह गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टॉक में इन्वेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी देता है। गोल्ड ETF की खरीद-बिक्री शेयर की ही तरह BSE और NSE पर की जा सकती है। हालांकि इसमें आपको सोना नहीं मिलता। आप जब इससे निकलना चाहें तब आपको उस समय के सोने के भाव के बराबर पैसा मिल जाएगा।
गोल्ड ETF में निवेश करने के हैं कई फायदे
- कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना: ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है। ज्वेलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता।
- मिलता है शुद्ध सोना: गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है। आप जो सोना लेंगी उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी।
- नहीं आता ज्वेलरी मेकिंग का खर्च: गोल्ड ETF खरीदने में 0.5% या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30 फीसदी मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें।
- सोना रहता है सुरक्षित: इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है।
- व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है। गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन फंड्स ने दिया अच्छा रिटर्न
फंड का नाम | बीते 1 साल में रिटर्न | 3 साल में फंड का औसत सालाना रिटर्न | 5 साल में फंड का औसत सालाना रिटर्न |
एक्सिस गोल्ड ETF | 9.9% | 16.8% | 10.8% |
SBI गोल्ड ETF | 9.9% | 16.7% | 11.1% |
इनवेस्को इंडिया गोल्ड ETF | 9.9% | 16.4% | 10.4% |
निप्पॉन इंडिया गोल्ड ETF | 9.5% | 16.3% | 10.6% |
आदित्य बिरला सन लाइफ गोल्ड ETF | 9.3% | 16.0% | 10.4% |
इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश?
गोल्ड ETF खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें NSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ETF आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं। ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ETF को बेचा जाता है।
ईटीएफ में पैसे लगाने से पहले समझिए ईटीएफ की पूरी गणित, ईटीएफ और इंडेक्स फंड में फर्क क्या
पिछले कुछ समय से ईटीएफ काफी चलन में है और म्यूचुअल फंड (एमएफ) इंडस्ट्री ने भी कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किए। इनमें विदेश में निवेश करने वालों से लेकर, कुछ अन्य जो सेक्टर या थीम में निवेश.
पिछले कुछ समय से ईटीएफ काफी चलन में है और म्यूचुअल फंड (एमएफ) इंडस्ट्री ने भी कई एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लॉन्च किए। इनमें विदेश में निवेश करने वालों से लेकर, कुछ अन्य जो सेक्टर या थीम में निवेश करते हैं, शामिल हैं। लेकिन क्या आपको पता है ईटीएफ क्या होते हैं और उन्हें कैसे चुनना चाहिए? ईटीएफ लेना चाहिए या इंडेक्स फंड ?
ईटीएफ इंडेक्स फंड से कैसे अलग हैं?
इंडेक्स फंड और ईटीएफ दोनों ही पैसिव फंड हैं। दोनों फंडों का लक्ष्य अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन या अंडरपरफॉर्म नहीं करना है। ईटीएफ, एक इंडेक्स फंड की तरह, एक बेंचमार्क इंडेक्स चुनता है और फिर बेंचमार्क के रिटर्न को कॉपी करने की कोशिश करता है। ईटीएफ केवल स्टॉक एक्सचेंज में उपलब्ध है, जहां आप बाजार के कामकाज के दौरान खरीद और बिक्री कर सकते हैं। इंडेक्स फंड का भी लक्ष्य इंडेक्स के रिटर्न से मेल खाना है। लेकिन वे निवेशकों को इंट्राडे खरीद या बिक्री मूल्य की पेशकश नहीं करते हैं।
दिन के अंत में फंड का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) जारी किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के नए नियमों के अनुसार, निवेशक को उस दिन का एनएवी तभी मिल सकता है जब उसका निवेश फंड में जमा हो जाता है। आपके निवेश के तरीके और समय के आधार पर इसमें कुछ दिन या उससे भी अधिक समय लग सकता है। दूसरी ओर ईटीएफ शेयरों की तरह कारोबार किया जाता है, इसलिए निवेशक ईटीएफ को ऑर्डर देने के समय प्रचलित व्यापारिक मूल्य पर खरीद या बेच सकते हैं।
ईटीएफ और इंडेक्स फण्ड में बेहतर कौन?
एक ईटीएफ की संरचना को इंडेक्स फंड की तुलना में बेहतर माना जाता है। एक इंडेक्स फंड एक विशिष्ट एमएफ योजना की तरह काम करता है। जब निवेशक फंड में पैसा लगाते हैं, तो फंड सिक्योरिटीज ऐसे खरीदता है जिससे पोर्टफोलियो इंडेक्स जैसा दिखे। फंड मैनेजर फंड में कुछ कैश रखता है। कैश घटक जितना बड़ा होगा, स्कीम प्रदर्शन बेंचमार्क के प्रदर्शन से उतना ही अलग होगा।
इसके विपरीत एक ईटीएफ यूनिट केवल फंड हाउस के साथ सिक्योरिटी की बास्केट का आदान-प्रदान करके बनाई जाती है। बास्केट की एक इकाई के घटक स्थिर होते हैं और इन्हें बदला नहीं जा सकता। यह ईटीएफ के नकद घटक को मजबूती से नियंत्रण में रखता है और इसलिए, इसमें कम ट्रैकिंग त्रुटि रहती है।
क्या ईटीएफ बेहतर है?
ऐसा नहीं है। इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ महंगा हो सकता है। चूंकि ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है, इसलिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता है (शुल्क 300-450 रुपये प्रति वर्ष है)। (सक्रिय निवेशकों या व्यापारियों के लिए, इन शुल्कों को कभी-कभी माफ कर दिया जाता है।) इसमें ब्रोकरेज शुल्क भी होता है और अधिकतर 0.5 प्रतिशत तक वसूलते हैं।
बाजार में कम मात्रा वाले क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है ईटीएफ में लिक्विडिटी की कमी होती है, ऐसे में जब आप अपना स्टॉक बेचना चाहते हैं तो आपको पर्याप्त संख्या में खरीदार नहीं मिलते हैं। इसी तरह जब आप कुछ इकाइयां खरीदना चाहते हैं तो पर्याप्त विक्रेता नहीं मिलते हैं।
ईटीएफ के प्रदर्शन को कैसे मापा जाए?
पैसिव फंड को उनकी ट्रैकिंग त्रुटियों या उनके संबंधित बेंचमार्क इंडेक्स से उनके प्रदर्शन के आधार पर मापा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, जैसे-जैसे फंड हाउस और बाजार परिपक्व हुए हैं, पैसिव फंडों, विशेष रूप से इंडेक्स फंड्स की ट्रैकिंग त्रुटियों में कमी आई है। अंतर्निहित इंडेक्स में शेयरों में लिक्विडिटी की कमी भी ट्रैकिंग त्रुटि में योगदान करती है क्योंकि खरीदने और बेचने से लागत बढ़ती है। इसीलिए स्मॉल-कैप और मिड-कैप पैसिव फंड की ट्रैकिंग त्रुटि आमतौर पर लार्ज-कैप फंड की तुलना में अधिक होती है।
ELSS Vs Gold Mutual Fund: सिर्फ ₹500 के निवेश से करोड़ों बनाने का सौदा, ऐसे कमाल करती हैं ये 2 शानदार स्कीम
ELSS Vs Gold Mutual Fund: कम इनवेस्टेमेंट में अच्छे रिटर्न वाली स्कीम ढूंढ रहे हैं तो ये दो स्कीम आपके काम की हैं. सिर्फ 500 रुपए से दोनों स्कीम में निवेश हो सकता है.
ELSS Vs Gold Mutual Fund: निवेश की शुरुआत कर रहे हों या फिर पहले के निवेश को बढ़ाना चाहते हैं. आपके लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) सही है. लेकिन, फायदे का सौदा वही, जहां निवेश बढ़ने के साथ आपकी वेल्थ भी बढ़े. बंपर रिटर्न के लिए कुछ ही ऑप्शन ऐसे हैं, जहां निवेश किया जा सकता है. आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) या गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual fund) में निवेश कर सकते हैं. ये दोनों ही ऑप्शन लॉन्ग टर्म निवेश (Long term Investment) के लिए सही माने जाते हैं.
ELSS- निवेश का क्या है फायदा?
3 साल का लॉक-इन पीरियड: ELSS में 3 साल का लॉक-इन पीरियड (Lock in period) होता है, मतलब जो पैसा आपने निवेश किया है वो 3 साल से पहले नहीं निकाल सकते. यह इस स्कीम का बढ़िया फीचर है. दूसरी स्कीम्स की तुलना में इसका लॉक-इन पीरियड काफी कम है.
500 रुपए से करें शुरुआत: ELSS में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए सिर्फ 500 रुपए से शुरुआत की जा सकती है. अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. निवेश करने वालों को इसमें दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं. इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट. ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है.
कैसे ले सकते हैं फायदा: डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर फायदा देती हैं. डिविडेंड ऑप्शन (Dividend option) वाली योजनाओं में साल में एक बार डिविडेंड मिल सकता है. हालांकि, कुछ योजनाओं ने तो साल में एक बार से ज्यादा डिविडेंड दिया है.
इनकम टैक्स 80C में टैक्स छूट: एक वित्त वर्ष में आप 1.5 लाख रुपए तक निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं. इसके अलावा ELSS में निवेश पर होने वाला लाभ और रिडम्पशन (निवेश यूनिट को बेचना) से मिलने वाली राशि भी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है.
1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं: म्यूचुअल फंड से एक साल में मिलने वाले 1 लाख रुपए तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को आयकर से छूट है. मतलब आपको 1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं देना होता है. इस सीमा से ज्यादा फायदा होने पर 10% की दर से टैक्स देना होता है.
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गोल्ड म्यूचुअल फंड में कैसे करें शुरुआत?
गोल्ड ETF में ही होता है निवेश: गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF का ही एक हिस्सा है. ये ऐसी योजनाएं हैं जो गोल्ड ETF में निवेश करती हैं. गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे फिजिकल सोने में निवेश नहीं करते. गोल्ड म्यूचुअल फंड ओपन-एंडेड निवेश प्रोडक्ट है, जो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश करते हैं और उनका नेट एसेट वैल्यू (NAV) ETFs के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है.
500 रुपए से शुरुआत: मंथली SIP के जरिए 500 रुपए के साथ गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं. इसके निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है. आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं.
लॉन्ग टर्म गेन पर 20% टैक्स: गोल्ड म्युचुअल फंड में 3 साल से ज्यादा के निवेश को लॉन्ग-टर्म माना जाता है. इसके मुनाफे को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) कहा जाता है. सोने पर LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट (प्लस सरचार्ज, अगर कोई हो और सेस) के साथ 20% की दर से टैक्स लगता है. वहीं, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर निवेशक को लागू स्लैब दर के मुताबिक टैक्स चुकाना होता है.
1 साल का एग्जिट लोड: गोल्ड म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड हो सकता है, जो आम तौर पर 1 साल तक होता है. म्यूचुअल फंड हाउस एग्जिट लोड तब लगाते हैं जब आप एक निश्चित अवधि से पहले ही अपने निवेश का मुनाफा वसूलना चाहते हैं. एग्जिट लोड निवेशकों को बाहर जाने से रोकने के लिए लगाया जाता है. अलग-अलग म्यूचुअल फंड का एग्जिट लोड लगाने का समय अलग होता है. एग्जिट लोड आपकी NAV का छोटा सा हिस्सा होता है, तो आपके बाहर जाने पर काटा जाता है.
सोने में पैसा लगाकर की जा सकती है कमाई, ये है निवेश का सबसे बेहतरीन तरीका
जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं.
सोने में निवेश करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है.
महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus pandemic) की वजह से सोने की कीमतों को बड़ा सपोर्ट मिला है. ग्लोबल इकोनॉमी पर Covid-19 का असर दिख रहा है. इसलिए जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं. दुनियाभर के बाजार निगेटिव रिटर्न दे रहे हैं. लेकिन, सोना अपने रिकॉर्ड हाई पर है. सोने की कीमतें इस वक्त 46 हजार के पार हैं.
सोने में निवेश क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है. जानकार मान रहे हैं कि सोने में आई तेजी लंबे वक्त के लिए नहीं है. लेकिन, फिर भी सोने में निवेश का यह बेहतरीन समय है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बेहतर रिटर्न देने वाला निवेश साबित होगा. ऐसे में गोल्ड ईटीएफ के जरिए पैसे को सुरक्षित रखने की कोशिश करें. पिछले एक साल में गोल्ड ईटीएफ का प्रदर्शन अच्छा रहा है. ऐसे में सही वक्त है सोने में पैसा लगाकर आप अच्छी कमाई कर सकते हैं.
क्या है गोल्ड ईटीएफ?
गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) म्यूचुअल फंड का ही एक प्रकार है, जो सोने में निवेश करता है. इस म्यूचुअल फंड योजना की यूनिट स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं. गोल्ड ईटीएफ पैसिव तरीके से प्रबंधित किए जाने वाले ऐसे फंड होते हैं, जिनका उद्देश्य स्पॉट बाजार में फिजिकल गोल्ड से मिलने वाले रिटर्न के समान रिटर्न देना होता है.
कैसे करें गोल्ड ईटीएफ में निवेश?
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए कम से कम एक यूनिट खरीदनी पड़ती है. ये यूनिट एक ग्राम की होती है. हालांकि, क्वांटम म्यूचुअल फंड आधे ग्राम सोने की यूनिट भी उपलब्ध कराता है. कोई भी निवेशक अपने ट्रेडिंग खाते के जरिए स्टॉक एक्सचेंज से गोल्ड ईटीएफ खरीद सकता है. खरीद के बाद गोल्ड ईटीएफ की यूनिट निवेशक के डीमैट खाते में जमा हो जाती है. ट्रेडिंग खाते के जरिए ही इसे बेचा भी जा सकता है.
कितने गोल्ड ईटीएफ हैं उपलब्ध?
गोल्ड ईटीएफ में निवेश के कई फायदे हैं. क्योंकि, गोल्ड ईटीएफ निवेशक के खाते में यूनिट के तौर पर दर्ज होता है. ऐसे में निवेशक को ऐसी कोई भी समस्या नहीं होती जो फिजिकल गोल्ड से संबंधित होती हैं. गोल्ड ईटीएफ में आधे ग्राम की यूनिट भी उपलब्ध है, ऐसे में कम पूंजी वाले भी इसमें निवेश कर सकते हैं. वैल्यू रिसर्च के रिसर्च डाटा के मुताबिक, गोल्ड का इक्विटी से निगेटिव रिलेशनशिप है. यही वजह है कि गिरते स्टॉक मार्केट के बावजूद सोने में लगातार तेजी देखने को मिली है.
लंबी अवधि में और ऊपर जाएगी कीमतें
एजेंल ब्रोकिंग के कमोडिटी और करेंसी सेगमेंट के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक, अगले एक महीने में सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में $1,780 के स्तर तक जा सकता है. वहीं अगर लंबी अवधि के लिए लक्ष्य लेकर चलें तो सोने के दाम $2,200 के स्तर तक जा सकते हैं. गुप्ता के मुताबिक MCX पर सोने के दाम 50,000 रुपए के करीब पहुंच रहा है. लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 1,800 प्रति औंस से ज्यादा रहती हैं, तो लंबी अवधि के MCX में सोने की कीमत का लक्ष्य 58,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है.
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क्या हो रणनीति?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मौजूदा स्तरों से सोने में थोड़ी-थोड़ी खरीदारी की जा सकती है. आप हर महीने गोल्ड ईटीएफ का यूनिट खरीद सकते हैं. अगर आप आधे ग्राम की यूनिट खरीदना चाहें, तो यह अभी मिल सकती है. आप हर महीने कम से कम एक यूनिट की खरीदारी से शुरुआत कर सकते हैं. हर महीने थोड़ा-थोड़ा सोना खरीदने की इस रणनीति के जरिए जहां एक तरफ सोने में आपका एक्सपोजर बढ़ेगा, वहीं भविष्य के लिए पूंजी भी तैयार होगी.
Mutual Funds कंपनियों में Silver ETF लाने की होड़, निवेशकों को चांदी में डिजिटल तरीके से निवेश का विकल्प मिलेगा
Mutual Funds: आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड और निप्पन इंडिया म्यूचुअल फंड ने क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है सिल्वर ईटीएफ शुरू किया है।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 28, 2022 12:13 IST
Photo:INDIA TV Silver ETF
Highlights
- म्यूचुअल फंड कंपनियों ने सिल्वर ईटीएफ के जरिये 1,400 करोड़ की संपत्तियां जुटाई
- सेबी के सिल्वर ईटीएफ की अनुमति देने के बाद से कंपनियों में इसे लाने की होड़ मची है
- सिल्वर ईटीएफ से निवेशकों को चांदी में डिजिटल तरीके से निवेश का विकल्प मिलेगा
Mutual Funds कंपनियों ने इस साल सिल्वर ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) श्रेणी में कई नई कोष पेशकशें की हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा 2021 में पेश किए गए नव-सृजित परिसंपत्ति वर्ग की शुरुआत के बाद से म्यूचुअल फंड कंपनियों ने इसके जरिये 1,400 करोड़ रुपये की संपत्तियां जुटाई हैं। सेबी के पास उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार, कोटक एसेट मैनेजमेंट कंपनी सहित म्यूचुअल फंड कंपनियों ने निवेशकों के लिए सिल्वर ईटीएफ के साथ-साथ सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स के लिए बाजार नियामक के पास दस्तावेजों का मसौदा जमा कराया है। ये एनएफओ (नई कोष पेशकश) निवेशकों को डिजिटल तरीके से निवेश करने और चांदी का स्वामित्व रखने का अवसर प्रदान कर रहे हैं।
इन कंपनियों ने सिल्वर ईटीएफ शुरू किया
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, अबतक आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड और निप्पन इंडिया म्यूचुअल फंड ने सिल्वर ईटीएफ शुरू किया है। इसके अलावा, इन परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों में से प्रत्येक के पास सिल्वर फंड ऑफ फंड (एफओएफ) है, जो अपने संबंधित ईटीएफ में निवेश करता है। इनके अलावा, डीएसपी म्यूचुअल फंड और एचडीएफसी म्यूचुअल फंड के सिल्वर ईटीएफ के एनएफओ इस महीने बंद हुए हैं, जबकि एडलवाइस गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ एफओएफ वर्तमान में निवेशकों के लिए खुले हैं। मॉर्निंगस्टार इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, उद्योग जुलाई के अंत तक सिल्वर ईटीएफ के जरिये पहले ही 1,400 करोड़ रुपये की संपत्तियां जुटा चुका है।
भौतिक रूप से चांदी खरीदने की जरूरत नहीं
नवंबर, 2021 में सेबी के सिल्वर ईटीएफ की अनुमति देने के बाद से संपत्ति प्रबंधन कंपनियों में इसे लाने की होड़ मची है। मॉर्निंगस्टार इंडिया की वरिष्ठ विश्लेषक-प्रबंधक शोध कविता कृष्णन ने कहा, ‘‘सेबी के कदम ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए सिल्वर ईटीएफ का रास्ता खोल दिया है। बहुत से निवेशक चांदी को महंगाई के खिलाफ ‘हेजिंग’ के लिए इस्तेमाल करते रहे है। ऐसे में इससे उन्हें भौतिक रूप से चांदी रखने के बजाय फॉर्म या कोष के रूप में इसे रखने का विकल्प मिला है।
हाल में चांदी का प्रदर्शन कमजोर रहा
एडलवाइस एएमसी की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी राधिका गुप्ता ने कहा, ‘‘हाल के समय में चांदी का प्रदर्शन कमजोर रहा है। इसकी वजह से एएमसी सिल्वर ईटीएफ और एफओएफ ला रही हैं क्योंकि यह संभवत: बहुमूल्य धातु में निवेश के लिए उचित समय है।’’ कृष्णन ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन, सौर और 5जी जैसे नए युग के उद्योगों में चांदी की भारी मांग है। इस वजह से भी निवेशक चांदी में निवेश को लेकर अधिक जागरूक हुए हैं।
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