वित्तीय बाजार क्या है? वित्तीय बाजार के कार्य और प्रकार
वित्तीय बाजार वित्तीय सम्पत्तियों जैसे अंश, बांड के सृजन एवं विनिमय करने वाला बाजार होता है। यह बचतों को गतिशील बनाता है तथा उन्हें सर्वाधिक उत्पादक उपयोगों की ओर ले जाता है। यह बचतकर्ताओं तथा उधार प्राप्तकर्ताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है तथा उनके बीच कोषों को गतिशील बनाता है। वह व्यक्ति/संस्था जिसके माध्यम से कोषों का आबंटन किया जाता है उसे वित्तीय मध्यस्थ कहते हैं। वित्तीय बाजार दो ऐसे समूहों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं जो निवेश तथा बचत का कार्य करते हैं। वित्तीय बाजार सर्वाधिक उपयुक्त निवेश हेतु उपलब्ध कोषों का आबंटन करते हैं।
वित्तीय बाजार के कार्य
(1) बचतों को गतिशील बनाना तथा उन्हें उत्पादक उपयोग में सरणित करना:- वित्तीय बाजार बचतों को बचतकर्ता से निवेशकों तक अंतरित करने को सुविधापूर्ण बनाता है। अत: यह अधिशेष निधियों को सर्वाधिक उत्पादक उपयोग में सरणित करने में मदद करते हैं।
(2) कीमत निर्धारण में सहायक :- वित्तीय बाजार बचतकर्ता तथा निवेशकों को मिलता है। बचतकर्ता कोषों की पूर्ति करत हैं जबकि कोषों की मांग करते हैं जिसके आधार पर वित्तीय सम्पत्तियों को कीमत का निर्धारण होता है।
(3) वित्तीय सम्पत्तियों को तरलता प्रदान करना :- वित्तीय बाजार द्वारा वित्तीय सम्पत्तियों के क्रय-विक्रय को सरल बनाया जाता है। इसके माध्यम से वित्तीय सम्पत्तियों को कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है।
(4) लेन-देन की लागत को घटाना :- वित्तीय बाजार, प्रतिभूतियों के विषय में महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं जिससे समय, प्रयासों एवं धन की बचत होती है। परिणामस्वरूप लेन-देन की लागत घट जाती है।
वित्तीय बाजार के प्रकार
- मुद्रा बाजार
- पूंजी बाजार ।
1. मुद्रा बाजार
अवधि एक वर्ष तक की होती है। इस बाजार के प्रमुख प्रतिभागी भारतीय रिजर्व बैंक, व्यापारिक बैंक, गैर बैंकिग, वित्त कम्पनियाँ, राज्य सरकारें, म्युचुअल फंड आदि हैं। मुद्रा बाजार के महत्वपूर्ण प्रलेख निम्नलिखित हैं।
1. याचना राशि-याचना राशि का प्रयोग मुख्यत: बैंकों द्वारा उनके अस्थायी नकदी की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए प्रयोग किया जाता है ये दिन-प्रतिदिन के आधार पर एक दूसरे से ऋण लेते तथा देते है। इसका पुनभ्र्ाुगतान मांग पर देय होता है और इसकी परिपक्वता अवधि एक दिन से 15 दिन तक की होती है याचना राशि पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज की दर को याचना दर कहते है।
2. ट्रेजरी बिल- इन्हें केन्द्रीय सरकार की तरफ से भारतीय रिजर्ब बैंक द्वारा जारी किया जाता है जिनकी परिपक्व अवधि एक वर्ष से कम होती है। इन्हें अंकित मूल्य से कम पर जारी किया जाता है परन्तु भुगतान के समय अंकित मूल्य दिया जाता है। राजकोष वित्तीय बाजार और इसके प्रकार बिल 25000 रू. के न्यूनतम मूल्य और इसके बाद बहुगुणन में प्राप्त होते हैं। यह एक विनिमय साध्य प्रलेख होते हैं जिनका स्वतन्त्रतापूर्ण हस्तान्तरण किया जा सकता है। इन्हें सुरक्षित निवेश समझा जाता है, इन पर कोर्इ ब्याज नहीं दिया जाता बल्कि कटौती पर जारी किये जाते हैं।
3. वाणिज्यिक पत्र-कम्पनियों की कार्यशील पूजी की आवश्यकता की पूर्ति हेतु वाणिज्यिक पत्र एक लोकप्रिय प्रलेख है यह एक असुरिक्षित प्रलेख है जो प्रतिज्ञा पत्र के रूप में निर्गमित किया जाता है यह प्रलेख सन् 1990 में सर्वप्रथम जारी किया गया था जिससे कि इसके माध्यम से कंपनियां अपने अल्पकालीन कोषों को उधार ले सकें यह 15 दिन से एक साल के समय तक के लिए निर्गमित किया जा सकता।
4. जमा प्रमाण पत्र-जमा प्रमाण पत्र एक अल्पकालीन प्रलेख है जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एवं विशिष्ट वित्तीय संस्थानों द्वारा निर्गमित किया जाता है और जो एक पक्ष से दूसरे पक्ष को स्वतंत्रतापूर्वक हस्तांतरणीय है बचत पत्र की परिपक्वता की अवधि 91 दिन से एक साल तक की होती है यह प्रपत्र व्यक्तियों को, सहकारी संस्थाओं और कम्पनियों को निर्गमित किए जा सकते है।
5. व्यापारिक विपत्र-: यह एक विनिमय प्रपत्र होता है जो व्यावसायिक फर्मों की कार्य पूंजी की आवश्यकता के लिए वित्तीयन में प्रयुक्त होता है। इनका प्रयोग उधार क्रय विक्रय की दशा में किया जाता वित्तीय बाजार और इसके प्रकार है। इसे विक्रेता द्वारा क्रेता पर लिखा जाता है। जब क्रेता इसे स्वीकार करता है तो यह विपत्र विपणन योग्य विलेख बन जाता है तथा इसे व्यापारिक/वाणिज्यिक विपत्र कहते हैं इसे देय तिथि से पहले बट्टे पर बैंक से भुनाया जा सकता है।
2. पूंजी बाजार
- प्राथमिक बाजार,
- द्वितीयक बाजार ।
1. प्राथमिक बाजार- इसे नए निगर्मन बाजार के रूप में भी वित्तीय बाजार और इसके प्रकार जाना जाता है। यहाँ केवल नर्इ प्रतिभूतियों को निर्गमित किया जाता है जिन्हें पहली बार जारी किया जाता है। इस बाजार में निवेश करने वालों में बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, बीमा कम्पनियाँ, म्युचुअल फण्ड एवं व्यक्ति होते हैं। इस बाजार का कोर्इ निर्धारित भौगोलिक स्थान नहीं होता है।
2. द्वितीयक बाजार- इसे स्टॉक एक्सचेंज या स्टॉक बाजार के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ विद्यमान प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। यह बाजार निर्धारित स्थान पर स्थित होता है तथा यहाँ प्रतिभूतियों की कीमत को उनकी मांग एवं पूर्ति के द्वारा तय किया जाता है।
प्राथमिक बाजार व द्वितीयक बाजार में अंतर
1. कार्य-प्राथमिक बाजार का मुख्य कार्य नवीन प्रतिभूतियो के निगर्मन द्वारा दीर्घकालीन कोष एकत्र करना है वहीं द्वितीयक बाजार विद्यमान प्रतिभूितयो को सतत एवं तात्कालिक बाजार उपलब्ध कराता है।
2. प्रतिभागी-प्राथमिक बाजार में मुख्य भाग लेने वाली वित्तीय संस्थाएं, म्यूच्यूअल फण्ड, अभिगोपक और व्यक्तिगत निवेशक हैं, जबकि द्वितीयक बाजार में भाग लेने वाले इन सभी के अतिरिक्त वे दलाल भी हैं जो शेयर बाजार (स्टाक एक्सचेंज) के सदस्य हैं।
3. सूचीबद्ध कराने की आवश्यकता-प्राथमिक बाजार की प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जबकि द्वितीयक बाजार में केवल उन्हीं प्रतिभूतियों का लेन-देन हो सकता है जो सूचीबद्ध होती हैं।
4. मूल्यों को निर्धारण-प्राथमिक बाजार के सम्बन्ध मे प्रतिभूतियों का मूल्य निर्धारण प्रबंधन द्वारा सेबी के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, जबकि द्वितीयक बाजार में प्रतिभूतियों का मूल्य बाजार में विद्यमान मांग व पूर्ति के समन्वय द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो समय के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।
वित्तीय बाजार
अर्थशास्त्र में, वित्तीय बाजार एक ऐसा तंत्र है जो व्यक्तियों और संस्थाओं को वित्तीय प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने की अनुमति देता है जिसमें इक्विटी, बॉन्ड, मुद्राएं, डेरिवेटिव और कमोडिटीज और कम लेनदेन लागत पर मूल्य की अन्य वैकल्पिक वस्तुएं शामिल हैं और एक कीमत जो आपूर्ति और मांग को दर्शाती है। दोनों सामान्य बाजार जैसे न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) कई वस्तुओं और विशेष बाजारों में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार के रूप में दैनिक आधार पर खरबों डॉलर का व्यापार करता है।
वित्तीय बाजार को विस्तार से समझना
स्टॉक की कीमतें जो वित्तीय बाजार में ऐसे मैक्रोइकॉनॉमिक कारकों जैसे कराधान, आदि के कारण प्रतिभूतियों के वास्तविक आंतरिक मूल्य से भिन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, उत्सर्जक कंपनी की सूचनात्मक पारदर्शिता का प्रतिभूतियों की कीमतों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
शेयर बाजार
एक वित्तीय बाजार जो निवेशकों को सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयर खरीदने और बेचने में सक्षम बनाता है, कहलाता है शेयर बाजार। स्टॉक शब्द का अर्थ निगम में इक्विटी या स्वामित्व है। शेयर बाजार दो प्रकार के होते हैं: प्राथमिक बाजार, जहां कंपनियां प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश और द्वितीयक बाजारों के माध्यम से आम जनता को शेयर जारी करती हैं, जहां मौजूदा प्रतिभूतियां निवेशकों द्वारा खरीदी और बेची जाती हैं, जो सूचीबद्ध कंपनियों के समाचार और बुनियादी बातों के आधार पर होती हैं। अन्य वित्तीय बाजारों की तुलना में पूंजी बाजार बहुत तरल और जटिल हैं।
ओवर थे काउंटर मार्केट
ओवर-द-काउंटर बाजार (ओटीसी) एक विकेन्द्रीकृत बाजार है, जिसमें कोई केंद्रीय भौतिक स्थान नहीं है, जहां बाजार सहभागी टेलीफोन, ईमेल और मालिकाना इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम जैसे विभिन्न संचार माध्यमों के माध्यम से एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं। एक ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजार और एक विनिमय बाजार वित्तीय बाजारों को व्यवस्थित करने के दो बुनियादी तरीके हैं। एक ओटीसी बाजार में, डीलर उन कीमतों को उद्धृत करके बाजार निर्माताओं के रूप में कार्य करते हैं जिन पर वे एक सुरक्षा या मुद्रा खरीद और बेचेंगे। एक ओटीसी बाजार में दो प्रतिभागियों के बीच एक व्यापार को निष्पादित किया जा सकता है, अन्य लोगों को उस कीमत के बारे में पता नहीं है जिस पर लेनदेन प्रभावित हुआ था।
बॉन्ड बाजार
सभी प्रकार के बांडों का बाजार है और एक ऐसा स्थान है, जहां संगठन बहुत बड़े ऋण प्राप्त करने के लिए जाते हैं। आम तौर पर, जब स्टॉक की कीमतें बढ़ती हैं, बांड की कीमतें नीचे जाती हैं। ट्रेजरी बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड और म्यूनिसिपल बॉन्ड सहित कई अलग-अलग प्रकार के बॉन्ड हैं। बांड का एक उदाहरण एक डिबेंचर हो सकता है।
मुद्रा बाजार
मुद्रा बाजार उन बाजारों को संदर्भित करता है जहां अल्पकालिक परिपक्वता वाले वित्तीय साधनों का कारोबार किया जाता है। ये बाजार दोनों कंपनियों के साथ-साथ सरकार को अल्पकालिक तरलता की समस्या से निपटने में मदद करते हैं, अगर किसी के पास नकदी के रूप में अतिरिक्त तरलता है तो कोई मुद्रा बाजार में खरीद सकता है और तरलता की कमी के समय में अल्पकालिक प्रतिभूतियों को बेच सकता है जो कि हैं मुद्रा बाजार में कंपनी या सरकार के पास बेकार पड़े रहना। ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र, बैंकरों की स्वीकृति, जमा, जमा प्रमाणपत्र, विनिमय बिल कुछ ऐसे उपकरण हैं जिनका मुद्रा बाजार में कारोबार होता है।
डेरिवेटिव मार्केट
डेरिवेटिव वे वित्तीय साधन हैं जो अन्य परिसंपत्तियों के मूल्य से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं और इसलिए उनका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य पर निर्भर करता है। डेरिवेटिव शायद सबसे जटिल और नवोन्मेषी उत्पाद हैं और यही कारण है कि डेरिवेटिव में रुचि का जबरदस्त उछाल आया है और डेरिवेटिव बाजारों में होने वाले लेनदेन की दैनिक मात्रा खरबों डॉलर को पार कर गई है। वायदा, वायदा, विकल्प, अदला-बदली कुछ ऐसे डेरिवेटिव लिखतों के उदाहरण हैं जिनका उपयोग डेरिवेटिव बाजार में किया जाता है।
विदेशी मुद्रा बाजार
विदेशी मुद्रा बाजार विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है। मुद्राएं एक अस्थायी विनिमय दर पर होती हैं और हमेशा जोड़े में कारोबार करती हैं। वस्तुतः चौबीसों घंटे संचालन, विदेशी मुद्रा बाजार में भारी मात्रा में धन का व्यापार होता है, जिसका अनुमान 5.1 ट्रिलियन यू.एस. डॉलर दैनिक। विदेशी मुद्रा विकेंद्रीकृत है, ओवर-द-काउंटर बाजार जहां टेलीफोन, कंप्यूटर, स्मार्टफोन आदि के माध्यम से व्यापार किया जाता है। निगम, वाणिज्यिक बैंक, मनी सेंटर, पेंशन फंड और निवेश बैंकिंग फर्म के रूप में बड़े बाजार के खिलाड़ी अनुभवी व्यक्तियों और शौकिया व्यापारियों के साथ विदेशी मुद्रा व्यापार में भाग लेते हैं।
विभिन्न वित्तीय बाजार अलग-अलग प्रदर्शन करते हैं। कार्य करता है और इसलिए ये सभी अर्थव्यवस्था और पूरे देश के सुचारू कामकाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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वित्तीय बाजार एवं इसके प्रकार (Financial Market and its type in Hindi)
नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। इस लेख के माध्यम से हम समझेंगे वित्तीय बाज़ार (Financial Market and its type in Hindi) के बारे में और जानेंगे बाजार के प्रकारों को।
क्या है वित्तीय बाज़ार?
वित्तीय बाजार से पूर्व समझते हैं बाज़ार को, बाज़ार से आशय ऐसे स्थान से है, जहाँ वस्तुओं या सेवाओं का लेन-देन किया जाता हो। इसी प्रकार वित्तीय बाज़ार एक ऐसा बाजार है, जहाँ अनेक वित्तीय उत्पादों जैसे शेयर, बांड्स, डिबेंचर, मुद्राओं आदि की खरीद बिक्री की जाती है। सामान्यतः यहाँ धन या वित्त का प्रवाह आधिक्य वाले क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों की ओर होता है। बाज़ार का मुख्य आधार ब्याज अथवा लाभांश अर्जित करना होता है।
वित्तीय बाजार के प्रकार
वित्तीय बाज़ार (Financial Market) के मुख्यतः दो अंग हैं।
- मुद्रा बाज़ार
- पूँजी बाज़ार
मुद्रा बाज़ार (Money Market)
ऐसा बाजार जहाँ विभिन्न वित्तीय संपत्तियों तथा परिसंपत्तियों की खरीद तथा बिक्री अल्प काल, सामान्यतः एक वर्ष से कम की अवधि के लिए की जाती है मुद्रा बाजार कहलाता है। इस बाजार के माध्यम से रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा की तरलता (Liquidity) को नियंत्रित किया जाता है। तरलता से आशय किसी भी वित्तीय संपत्ति को न्यूनतम समय तथा न्यूनतम हानि में नगदी या कैश में परिवर्तन करने से वित्तीय बाजार और इसके प्रकार है। उदाहरण के तौर पर सोने को किसी मकान की तुलना में बेहद कम समय में कैश में बदला जा सकता है अतः सोने की तरलता मकान से अधिक होगी।
यह वित्तीय बाजार और इसके प्रकार भी पढ़ें : विभिन्न प्रकार के बैंक तथा उनकी कार्यप्रणाली
मुद्रा बाज़ार के दो अंग हैं, जिनमें संगठित तथा असंगठित मुद्रा बाज़ार शामिल हैं। संगठित मुद्रा बाज़ार में नियम कानूनों का प्रयोग किया जाता है, इसमें एक नियामक की आवश्यकता होती है। बैंक, NBFCs आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं। संगठित मुद्रा बाज़ार में नियामक की भूमिका भारतीय रिजर्व बैंक निभाता है।
यह बैंकों के संचालन के लिए नियम विनियम बनाने के साथ साथ महत्वपूर्ण ब्याज दरों का निर्धारण करता है तथा मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित कर मुद्रास्फीति (महँगाई) तथा अवस्फीति (मंदी) को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त असंगठित मुद्रा बाजार में किसी नियामक या नियमों की आवश्यकता नहीं होती महाजन, सेठ तथा साहूकार आदि इसके मुख्य उदाहरण हैं।
पूँजी बाज़ार (Capital Market)
ऐसा बाज़ार जहाँ वित्तीय सम्पतियों अथवा परिसंपत्तियों का क्रय विक्रय दीर्घावधि के लिए, सामान्यतः एक वर्ष की अवधि से अधिक समय के लिए किया जाए पूँजी बाजार कहलाता है। वित्तीय बाजार और इसके प्रकार इसके नियामक का कार्य Securities and Exchange Board of India (SEBI) द्वारा किया जाता है। इस बाजार में धन को आधिक्य वाले क्षेत्रों से निकालकर ऐसे क्षेत्रों में निवेश किया जाता है, जहाँ उसकी अधिक माँग है। सामान्यतः शेयर बाजार इसका उदाहरण है।
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Financial Market & Its Types : वित्तीय बाजार और इसके प्रकार
Financial market या वित्तीय बाजार पहली बार में एक तकनीकी शब्द की तरह लग सकता है लेकिन एक बार जब आप इसे समझने की कोशिश करते हैं तो यह आपके लिए बहुत की आसान और व्यावहारिक हो जाता है. बाजार एक ऐसी जगह को कहते हैं जहां वस्तुओं, सेवाओं का आदान-प्रदान होता है. इसी तरह, वित्तीय बाजार का मतलब उस जगह से है जहां bonds, equity, securities, currencies और traded का कारोबार होता है. सामान्य बाजार की तरह, कुछ दुकानें बड़ी होती हैं, जबकि कुछ यहाँ समान होती हैं, कुछ वित्तीय बाज़ार दैनिक रूप से खरबों डॉलर का security business करते हैं और कुछ कम active के साथ छोटे पैमाने पर बिजनेस करते हैं.
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Types of Financial Markets – वित्तीय बाजारों के प्रकार
विभिन्न प्रकार के वित्तीय बाजार हैं और उनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
Over the Counter or OTC Market – ओवर द काउंटर (OTC) / टेलीफोन मार्केट
उन सभी सार्वजनिक स्टॉक एक्सचेंज और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज जिन्हें NASDAW, अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं किया गया है. यह बाजार मुख्य रूप से उन कंपनियों से संबंधित है जो आमतौर पर छोटी कंपनियां हैं जिन्हें सस्ते में कारोबार किया जा सकता है और उनका विनियमन कम है.
Bond Market – बांड बाजार
यह उस बाजार को संदर्भित करता है जहां ब्याज की पूर्वनिर्धारित दर पर निवेशक एक निश्चित समय अवधि के लिए सुरक्षा के रूप में बांड पर पैसा उधार लेते हैं. बांड बड़े पैमाने पर निगमों, राज्यों, नगर पालिकाओं और संघीय सरकारों द्वारा दुनिया भर में जारी किए जाते हैं.
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Money Markets – मुद्रा बाजार
यह उस जगह को संदर्भित करता है जहां उच्च तरल और लघु परिपक्वता का कारोबार होता है, प्रतिभूतियों का उधार जो एक वर्ष से कम समय में परिपक्व होता है.
Derivatives Market – डेरिवेटिव बाजार
यह उस स्थान को संदर्भित वित्तीय बाजार और इसके प्रकार करता है जहां व्यापार की प्रतिभूतियों का मूल्य इसकी प्राथमिक संपत्ति से निर्धारित होता है.
Forex Market – विदेशी मुद्रा बाजार
यह उस बाजार को संदर्भित करता है जहां निवेशक विदेशी मुद्राओं में व्यापार करते हैं.
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वित्तीय बाजार और संस्थाएँ (Financial Markets and Institutions)
कोई भी संगठन जो अर्थव्यवस्था में निवेश और बचत के कुशल प्रवाह में मदद करता है और वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए धन की वृद्धि को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है. निवेशकों(investors ), रिसीवर(receiver) और किसी देश की समग्र अर्थव्यवस्था की मांगों को वित्तीय उत्पादों (financial products) और उपकरणों(instruments ) और वित्तीय बाजारों और संस्थानों(financial markets and institutions) द्वारा पूरी की जाती है. यह विशाल वित्तीय बाजार निवेशकों को किसी विशेष सेवा और बाजारों में विशेषज्ञ(specialise) होने का अवसर देता है. देश के विकास में financial market की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. वित्तीय संस्थान बैंकिंग, इंश्योरैंस, म्यूचुअल फंड, शेयर बाज़ार, गृह ऋण, दूसरे ऋण, क्रेडिट कार्ड के क्षेत्रो मे काम करते है. वित्तीय संस्थान मुख्य रूप से देश मे मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं.
वित्तीय बाजार (Financial Market ): कार्य ( Functions )
वित्तीय बाजारों के कुछ कार्य इस प्रकार हैं:
- वित्तीय बाजार मुख्य रूप से सबसे उत्पादक तरीकों में व्यापार करके बचत करने के लिए जिम्मेदार है.
- Securities prices भी निवेशकों के साथ बातचीत और बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर तय की जाती हैं.
- Bartered assets को वित्तीय बाजार के माध्यम से तरलता मिलती है.
- वित्तीय बाजार सबसे प्रभावी स्थान है क्योंकि यहाँ securities की डील के लिए संभावित ग्राहकों को खोजने के लिए अतिरिक्त समय और पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती.
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