वित्त वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में पेटीएम के बिजनेस मॉडल का ओवरव्यू दिया गया है। पेटीएम का व्यवसाय उपभोक्ताओं और व्यापारियों को प्राप्त करने के लिए भुगतान सेवाओं लाभ उठाना और मार्जिन के एक समग्र समूह की पेशकश करना है, साथ ही इसके दो-तरफा, उपभोक्ता और व्यापारी पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाना है, और उच्च-मार्जिन वित्तीय सेवाओं और व्यापारी सेवाओं को क्रॉस-सेल करने के लिए अपने प्लेटफॉर्म से समृद्ध अंतदृष्टि प्रदान करना है ( कॉमर्स एण्ड क्लाउड)।

पेटीएम कम्पनी परिचालन लाभ प्राप्त करने की राह पर : विजय शेखर शर्मा

भारत की अग्रणी डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवा कंपनी और क्यूआर एवं मोबाइल भुगतान के अग्रणी ब्रांड पेटीएम का मालिक वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड, ने आज एक्सचेंजों के साथ एक सूचीबद्ध कम्पनी के रूप में अपनी पहली वार्षिक रिपोर्ट साझा की। पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने भी लाभ उठाना और मार्जिन सभी शेयरधारकों को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि कंपनी परिचालन लाभ हासिल करने की राह पर है।

शर्मा ने इस बात की जानकारी दी कि किस प्रकार से अधिक से अधिक उपयोगकर्ता पेटीएम प्लेटफॉर्म पर कम्पनी से किसी प्रोत्साहन की आवश्यकता के बिना अपने लाभ उठाना और मार्जिन दैनिक उपयोग के लिए आ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मर्चेंट पार्टनर अब डिजिटल भुगतान के मूल्य को आसानी से समझने लगे हैं और तेजी से, वे उस तकनीक के लिए भुगतान करने के लिए तैयार हैं जो डिजिटल भुगतान को आसान और विश्वसनीय बनाती है।

शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर- 1 सितंबर से लागू हुए नए नियम

आम निवेशकों (Investors) के लिए मार्जिन के नए नियम लागू हो रहे हैं.

आम निवेशकों (Investors) के लिए मार्जिन के नए नियम लागू हो रहे हैं.

अगर आप शेयर बाज़ार में पैसा लगाते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि 1 सितंबर से इससे जुड़े नियम बदल गए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 01, 2020, 07:32 IST

नई दिल्ली. शेयर बाजार (Indian Stock Market) में 1 सितंबर से आम निवेशकों (Investors) के लिए मार्जिन के नए नियम लागू हो गए हैं. अगर आसान लाभ उठाना और मार्जिन शब्दों में कहें तो ब्रोकर की ओर से मिलने वाले मार्जिन का लाभ अब निवेशक नहीं उठा सकेंगे. जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे. शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है. अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी. वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे. नए सिस्टम में शेयर आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा. इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे. मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा.

LIC IPO लाने के साथ कारोबारी मॉडल में करने जा रही बड़ा बदलाव, दूसरी इंश्योरेंस कंपनियों की बढ़ेगी मुश्किल

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: February 20, 2022 18:05 IST

LIC- India TV Hindi

Photo:FILE

Highlights

  • स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने यह संभावना जताई
  • मार्जिन बढ़ाने पर जीवन बीमा निगम का जोर
  • नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी में एलआईसी की हिस्सेदारी बहुत कम

नई दिल्ली। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने जा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) आने वाले समय में अपने कारोबार को नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी की दिशा में मोड़कर निजी बीमा कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे सकती है। स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने आईपीओ की मंजूरी के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दायर आवेदन ब्योरे का विश्लेषण करने के बाद तैयार एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है। रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की कारोबारी प्रमुखता में बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ, आईसीआईसीआई लाभ उठाना और मार्जिन प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ और मैक्स लाइफ जैसी जीवन बीमा कंपनियों को उठाना पड़ेगा।

मार्जिन बढ़ाने पर जीवन बीमा निगम का जोर

रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को सात प्रतिशत अंक बेहतर करते हुए 9.9 प्रतिशत पर पहुंचा चुकी है। सरकार ने एलआईसी के अधिशेष एवं लाभ वितरण नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है। इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में भागीदार पॉलिसी के साथ गैर-प्रतिभागी पॉलिसी को भी 10 प्रतिशत जगह दे सकेगी जो फिलहाल महज चार प्रतिशत है। इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 प्रतिशत तक भी लेकर जा सकती है। क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस संकल्पना पर आधारित है कि एलआईसी का बीमा कारोबार पूरी तरह नए अधिशेष वितरण की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। वर्तमान में नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी सौ फीसदी और प्रतिभागी पॉलिसी 10 प्रतिशत है। प्रतिभागी बीमा पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या लाभांश वितरण के रूप में गारंटीशुदा एवं बिना गारंटी वाले दोनों लाभ दिए जाते हैं।

शेयर में लगाते हैं पैसे तो ध्यान दें! बदलने वाले हैं ये जरुरी नियम, 1 सितंबर से होंगे लागू

Shreya

शेयर में लगाते हैं पैसे तो ध्यान दें! बदलने वाले हैं ये जरुरी नियम, 1 सितंबर से होंगे लागू

शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर- 1 सितंबर से लागू होंगे नए नियम

नई दिल्ली: शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए यह बड़ी खबर है, क्योंकि एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए मार्जिन के नए नियम लागू होने जा रहे हैं। यानी अब निवेशक ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा पाएंगे। जितना पैसा निवेशक अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, अब वो उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी की ओर से मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया गया है।

क्या होता है अपफ्रंट मार्जिन

अपफ्रंट मार्जिन, वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है। वास्तव में यह राशि बाजारों द्वारा ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।

सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक निवेश की भूमिका प्लेज सिस्टम में कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। साथ ही वह लाभ उठाना और मार्जिन कई काम निवेशक की तरफ से कर लेते थे। वहीं नए सिस्टम में शेयर आपके खाते में ही रहेंगे और वहीं पर ही क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के खाते में शेयर नहीं जाएंगे और मार्जिन तय करना आपके हक में होगा।

प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट ओपन करना होगा। TMCM- क्लाइंट सिक्योरिटी मार्जिन प्लेज अकाउंट। यहां TMCM यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर। फिर ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपको आपके अकाउंट में मार्जिन मिल सकेगी।

शॉर्टफॉल होने पर देनी होगी इतनी पेनाल्टी

अगर मार्जिन में शॉर्टफॉल एक लाख रुपए से कम का रहता है तो 0.5 फीसदी और अगर एक लाख से अधिक का रहता है तो एक फीसदी पेनाल्टी लगेगी। और अगर मार्जिन तीन दिन लगातार लाभ उठाना और मार्जिन शॉर्टफॉल रहता है या फिर महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल रहता है तो पांच फीसदी पेनाल्टी लगेगी।

अब ब्रोकर्स के लिए निवेशकों से मार्जिन अपफ्रंट लेना अनिवार्य हो गया है।

ग्राहक के पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक लगेगी।

मार्जिन प्लेज होने पर भी पावर ऑफ अटॉर्नी यूज नहीं होगा।

अब ब्रोकर्स के पास ग्राहक के ट्रांजेक्शन का अधिकार होगा।

मार्जिन लेने वाले निवेशक अलग से मार्जिन प्लेज कर पाएंगे।

अब निवेशकों को न्यूनतम 30 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट देना होगा।

कैश सेगमेंट में भी अपफ्रंट मार्जिन की आवश्यकता होगी।

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LIC IPO लाने के साथ कारोबारी मॉडल में करने जा रही बड़ा बदलाव, दूसरी इंश्योरेंस कंपनियों की बढ़ेगी मुश्किल

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: February 20, 2022 18:05 IST

LIC- India TV Hindi

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  • स्विस ब्रोकरेज फर्म लाभ उठाना और मार्जिन क्रेडिट सुइस ने यह संभावना जताई
  • मार्जिन बढ़ाने पर जीवन बीमा निगम का जोर
  • नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी में एलआईसी की हिस्सेदारी बहुत कम

नई दिल्ली। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने जा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) आने वाले समय में अपने कारोबार को नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी की दिशा में मोड़कर निजी बीमा कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे सकती है। स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने आईपीओ की मंजूरी के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दायर आवेदन ब्योरे का विश्लेषण करने के बाद तैयार एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है। रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की कारोबारी प्रमुखता में बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ और मैक्स लाइफ जैसी जीवन बीमा कंपनियों को उठाना पड़ेगा।

मार्जिन बढ़ाने पर जीवन बीमा निगम का जोर

रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को सात प्रतिशत अंक बेहतर करते हुए 9.9 प्रतिशत पर पहुंचा चुकी है। सरकार ने एलआईसी के अधिशेष एवं लाभ वितरण नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है। इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में भागीदार लाभ उठाना और मार्जिन पॉलिसी के साथ गैर-प्रतिभागी पॉलिसी को भी 10 प्रतिशत जगह दे सकेगी जो फिलहाल महज चार प्रतिशत है। इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 प्रतिशत तक भी लेकर जा सकती लाभ उठाना और मार्जिन लाभ उठाना और मार्जिन है। क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस संकल्पना पर आधारित है कि एलआईसी का बीमा लाभ उठाना और मार्जिन कारोबार पूरी तरह नए अधिशेष वितरण की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा। वर्तमान में नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी सौ फीसदी और प्रतिभागी पॉलिसी 10 प्रतिशत है। प्रतिभागी बीमा पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या लाभांश वितरण के रूप में गारंटीशुदा एवं बिना गारंटी वाले दोनों लाभ दिए जाते हैं।

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