गूगल एडसेंस से 10 डॉलर पैर डे कैसे कमाए | Easy Method

गूगल एडसेंस से 10 डॉलर पैर डे कैसे कमाए: हेल्लो फ्रेंड्स आप लोगो की ब्लॉग्गिंग कैसी चल रही है. आज का पोस्ट बहुत से नए हिंदी ब्लोग्गेर्स के लिए बहुत ही ज्यादा हेल्पफुल होगी क्यूंकि आज के इस पोस्ट में आपको ये बताने वाला हु की आप कैसे एडसेंस से 10 डॉलर पर डे कैसे कमा सकते हो और वो भी बहुत ही आसान तरीके से.

दोस्तों हम मानते है आज के टाइम में जो प्रो ब्लोग्गेर्स है उनके लिए तो 10 डॉलर ना के बराबर है और वो लोग तो हर दिन के न जाने कितने कमाते होंगे. लेकिन जो लोग ब्लॉग्गिंग में बिलकुल नए है या फिर उनको ब्लॉग्गिंग स्टार्ट किये कुछ ही महीने हुए होंगे उनको पर डे १० डॉलर कमाना भी बहुत मुश्किल लगता होगा.

और में समजता हु की किसी भी नए हिंदी ब्लॉगर के लिए 10 डॉलर हर दिन कमाना भी बहुत ही अच्छी बात है, क्यूंकि अगर हम ६० rs पर १ डॉलर का कन्वर्शन रेट से भी लेते है तो ये ६०० रूपी होते है.

६०० rs के हिसाब से ये १८,००० पर month हो जाता है जो की इंडिया में अच्छी इनकम फॉर फ्रेशेर मानी जाती है. लेकिन दुःख की बात तो ये है की जो ब्लॉग्गिंग फील्ड में बिलकुल नए है उनको हर दिन १० डॉलर कमाने कैसे डॉलर कमाए में बहुत दिक्कत होती है और ऐसे बहुत से ब्लोग्गेर्स है जो दिन का केवल १ या २ डॉलर कमाते है.

तो दोस्तों यदि आप को भी अपने ब्लॉग या वेबसाइट से पर डे १० डॉलर कमाने में दिक्कत हो रही है तो आप इस ब्लॉग पोस्ट को बहुत ही अच्छे और ध्यान से पढ़े आपको में बहुत ही आसन तरीका बताने वाला हु.

गूगल एडसेंस से 10 डॉलर पैर डे कैसे कमाए

Adsense se $10 per day Kaise Kamaye

सबसे पहले तो में आपको ये कहूँगा की आपको शुरुवात के कुछ महीने अपने ब्लॉग में केवल क्वालिटी कंटेंट पब्लिश करने में फोकस करना है. हा दोस्तों इस बात को कोई भी नकार नहीं सकता है चाहे बड़े से बड़ा प्रो ब्लॉगर क्यों ना हो.

लेकिन नए ब्लोग्गेर्स ये बात को समजते ही नहीं है और जिस दिन उन लोगो का कैसे डॉलर कमाए एडसेंस अकाउंट approve होता है वो तुरंत ही अपने ब्लॉग पर ads लगा देते है और फिर बार बार एडसेंस अकाउंट में अपनी earnings चेक करते है.

दोस्तों एडसेंस से इनकम करने के लिए आपके ब्लॉग पर अच्छा ट्रैफिक होना बहुत ही जरुरी है और यदि आपका ब्लॉग बिलकुल नया है तो आपकी earning कैसे होगी.

तो यहाँ पर सबसे पहले आपको अपने ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा आर्टिकल्स पब्लिश करना है और ट्रैफिक इनक्रीस करना है और जैसे ही ये होगा तो आपकी एडसेंस earning होना स्टार्ट हो जाएगी.

दोस्तों आप लोग को तो पता ही होगा की हिंदी ब्लोग्स पर एडसेंस की cpc कितनी कम होती है लगभग 0.01$ se 0.05$ तक होती है ये थोडा ऊपर निचे हो सकता है जो की आपके ब्लॉग टॉपिक पर देपेंड करता है.

जैसे की यदि आपका जनरल नॉलेज या motivational blog है तो आपको ज्यादातर स्टार्टिंग में cpc 0.01$ se 0.02$ ही मिलती है और वही अगर आपके tech ब्लॉग है तो आपको थोड़ी अच्छी cpc मिलती है.

इसलिए पर डे 10 डॉलर कमाने के लिए आपके ब्लॉग में ५००० pageviews कम से कम होना चाहिए अगर आपके tech ब्लॉग है तो यदि आपका दुसरे niche पर ब्लॉग है तो आपको ये ९००० पेज व्यूज तक होना चाहिए.

और दोस्तों ये भी बहुत जरुरी होता है की आपकी ब्लॉग की ctr कितनी है क्यूंकि एडसेंस क्लिक होने के पैसे देता है.

और फिर भी यदि आपको एडसेंस से १० डॉलर हर दिन कमाने के प्रॉब्लम होती है तो आप दुसरे ad networks में भी अप्लाई कर सकते हो जैसे की mgid और adgebra. ये दोनों ad नेटवर्क इस टाइम में हिंदी लैंग्वेज को सपोर्ट करते है और आपको इनसे approval मिल जायेगा क्यूंकि आपके पास अच्छे pageviews है.

फिर मन लो अगर आपके यदि एडसेंस से ७ डॉलर होते है तो आप इन दुसरे नेटवर्क से बहुत ही आसानी से ३ डॉलर पर डे कमा लोगे. क्यूंकि ये नेटवर्क्स native ads आपके ब्लॉग पर शो करती है, जिसकी आप अपने ब्लॉग पोस्ट के अंत में लगाये इससे आपको ज्यादा क्लिक्स मिलेंगे और आप बहुत ही आसानी से ३ डॉलर पर डे कमा लोगे.

इस तरीके से आप आसानी से एडसेंस से 10 डॉलर per day कमा सकते हो और बहुत सारे हिंदी ब्लोग्गेर्स ऐसा कर भी रहे है. दोस्तों एक बात में यहाँ पर आप लोगो को जरुर कहना चाहूँगा की कभी भी किसी १ इनकम सोर्स पर देपेंड नहीं रहना चाहिए.

क्यूंकि क्या पता कल क्या हो जाये, भगवन ना करे की कभी भी किसी के साथ भी ऐसा हो. लेकिन हमको हमेशा अच्छे और बुरे सिचुएशन के लिए prepare रहना चाहिए.

आप इसलिए अलावा affiliate marketing भी कर सकते हो, क्यूंकि affilate marketing से भी ब्लोग्गेर्स अच्छे पैसे कमा लेते है और यदि आपका ब्लॉग टेक्नोलॉजी या ब्लॉग्गिंग टॉपिक पर है तो आपको तो affiliate marketing जरुर करना चाहिए.

अगर आपको पता नहीं है की एफिलिएट मार्केटिंग कैसे करते है तो आपको घबराने की कोई भी जरुरत नहीं है क्यूंकि मैंने इससे रिलेटेड पोस्ट लिख रखा है आप उस पोस्ट को जरुर रीड करे आपको सभ कुछ अच्छे तरीके से समाज में आजायेगा.

दोस्तों लास्ट में आप लोगो से ये ही कहना चाहूँगा की आपको कभी भी हार नहीं माननी है क्यूंकि समय एक जैसा हमेशा नहीं रहता है, टाइम चेंज होते रहता है बस आपको अपने आप पर भरोसा होना चाहिए और अपने ब्लॉग्गिंग को किसी भी हाल में कंटिन्यू करते रहना चाहिए.

फिर उसके बाद आप 10 dollar तो क्या आप हर दिन के १०० डॉलर भी कम सकते हो और दोस्तों ये मुमकिन है बहुत से ऐसे सीक्रेट ब्लोग्गेर्स है जो लोग इससे भी ज्यादा एडसेंस income कमा रहे है.

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आपकी ओर दोस्तों

तो दोस्तों ये था गूगल एडसेंस से पर डे 10 डॉलर कैसे कमाए, और हम आपको कहते है यदि आपने हमारे बताये इस आईडिया को ध्यान में रखा और ब्लॉग्गिंग को कंटिन्यू किया तो आप १० डॉलर से भी ज्यादा earning कर सकते हो.

यदि आपको ये पोस्ट थोड़ी से भी हेल्पफुल लगी हो तो इस पोस्ट को जरुर शेयर करे और ऐसे ही ब्लॉग्गिंग और earning tips पाने के लिए रेगुलर हमारे ब्लॉग पर आया करे. और यदि आपके मन में कोई भी डाउट है तो आप कमेंट में मुझसे पूछ सकते हो. बेस्ट ऑफ़ लक दोस्तों

रुपए ने भरा दम! हफ्ते के सबसे ऊपरी स्तर पर भाव, आपको कैसे पहुंचाएगा फायदा?

रुपए में लौटी रिकवरी के पीछे कई ट्रिगर्स हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FIIs की घरेलू बाजार में वापसी से रुपए को सपोर्ट मिल रहा है. RBI की डॉलर की बिकवाली से भी रुपए को सपोर्ट मिल कैसे डॉलर कमाए रहा है.

डॉलर के मुकाबले रुपए में गुरुवार को रिकवरी देखने की मिल रही है. रुपया डॉलर के सामने 22 पैसे मजबूत 79.68 पर खुला, जो हफ्तेभर के सबसे ऊंचा स्तर है. खास बात यह है कि रुपए में रिकवरी ऐसे समय में लौटी है, जब दुनियाभर की बड़ी करेंसीज में कमजोरी देखने को मिल रही है, क्योंकि डॉलर इंडेक्स 20 साल के सबसे ऊपरी स्तर पर ट्रेड कर रहा है.

रुपए में मजबूती के ट्रिगर्स

रुपए में लौटी रिकवरी के पीछे कई ट्रिगर्स हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FIIs की घरेलू बाजार में वापसी से रुपए को सपोर्ट मिल रहा है. RBI की डॉलर की बिकवाली से भी रुपए को सपोर्ट मिल रहा है. दुनियाभर के अन्य करेंसीज की बात करें तो ब्रिटिश पाउंड, चीन का युआन और जापान का येन डॉलर के मुकाबले सबसे ज्यादा कमजोर हुए हैं. डॉलर के मुकाबले यूरो 20 साल, येन 24 साल और ब्रिटिश पाउंड 37 साल के निचले स्तर पर ट्रेड कर रहे हैं. चीन का युआन भी कैसे डॉलर कमाए 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. बता दें कि डॉलर के मुकाबले रुपए ने 29 अगस्त को पहली बार रिकॉर्ड निचला स्तर 80 के पार पहुंच गया था.

रुपए में मजबूती का असर

हालांकि, रुपए में रिकवरी से इम्पोर्टेड सामान सस्ता होगा, जिसमें कच्चा तेल (Crude Oil), सोना (Gold) शामिल हैं. क्योंकि इनकी कीमतें इंटरनेशनल मार्केट में डॉलर में तय होती है. इसके अलावा इंपोर्ट करने वाली कंपनियों के मार्जिन पर भी असर देखने को मिलेगा. लेकिन रुपए के मजबूत होने फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हैं. इसका असर सीधे इकोनॉमी पर भी पड़ता है. मजबूत रुपए से एक्सपोर्ट पर असर पड़त है. बता दें कि भारत से कल पुर्जे, चाय, कॉफी, चावल, मसाले, समुद्री उत्पाद, मीट जैसे प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट होता है.

कमोडिटी बाजार का हाल

कमोडिटी बाजार का हाल देखें तो सोने में दायरें में कारोबार देखने को मिल रहा है. MCX पर सोना हल्की मजबूती के साथ 50500 रुपए प्रति 10 ग्राम पप करोबार कर रहा है. जबकि चांदी में आधे फीसदी की तेजी है. MCX पर चांदी का भाव 54300 रुपए प्रति किलोग्राम के पार ट्रेड कर रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में भी चांदी में सवा फीसदी की मजबूती है, कॉमेक्स पर भाव 18.50 डॉलर के पार पहुंच गया है, जबकि सोना 1730 डॉलर पर ट्रेड कर रहा है.

कैसे भारत कमाए ज्यादा डॉलर, रखे रुपए को मजबूत

डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए का लगातार अवमूल्यन होना और देश के हजारों युवाओं के विदेशों में पढ़ने के लिए जाने के आपसी संबंधों को समझना जरूरी है। यकीन मानिए कि इनके बाहर जाने से भी देश की अमूल्य विदेशी मुद्रा का खजाना घटता है। वजह यह है कि जब ये देश से बाहर जाते हैं, तब इन्हें बैंकों से डॉलर लेकर विदेशी शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेना होता है। अगर बात चालू साल की करें तो मार्च महीने तक करीब 1.33 लाख भारतीय विद्यार्थी दुनिया के अलग-अलग देशों में पढ़ने के लिए निकल गए। आजकल आप दिल्ली, मुंबई, बेगलुरू और उन हवाई अड्डों में विदेशों में पढ़ने के लिए जाने वाले नौजवानों को खूब देख सकते हैं जहां से विदेशों के लिए विमान उड़ानें भरती हैं।

संसद में हाल ही में बताया गया कि इस साल उच्च शिक्षा ग्रहण करने के इरादे से 1.33 लाख से कुछ अधिक ही बच्चे देश से बाहर चले गए। अगर बात सन 2021 की करें तो तब यह आंकड़ा 4.44 लाख के आसपास था। जबकि साल 2020 में 2.59 युवा देश से बाहर गए थे पढ़ने क लिए। भारत से साल 2018-19 के दौरान 6.20 लाख विद्यार्थी पढ़ने के लिए देश से बाहर गए। साल 2017-18 में 7.86 लाख विद्य़ार्थी देश से बाहर गए थे।

भारतीय युवाओं की पहली पसंद तो अमेरिका तथा कनाडा के शिक्षण संस्थान ही हैं। पर वे दूसरे अनेक देशों में भी जाते हैं। अभी कुछ माह पहले हमने देखा था जब रूस-यूक्रेन जंग के कारण भारत के हजारों विद्यार्थी वहां फंस गए थे। ये वहां मेडिकल और दूसरे कोर्स कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि हम इस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर अपने देश में ही क्यों नहीं विकसित कर लेते ताकि हमारे कम से कम युवा बाहर पढ़ने के लिए जाएं। इनकी वजह से देश को हर साल अरबों रुपए की विदेशी मुद्रा व्यय करनी पड़ती है। कहना न होगा कि अगर हमारे यहां श्रेष्ठ मेडिकल, इंजीनियरिंग और दूसरे कोर्सों की डिग्री दिलवाने वाले पेशेवर कॉलेज खुल जाएं तो इन युवाओं को बाहर कैसे डॉलर कमाए जाने से कुछ हद तक तो रोका ही जा सकता है।

एक तरफ हमारा एक्सपोर्ट घट रहा है और दूसरी तरफ हमारा विदेशी मुद्रा का खजाना भी तेजी से खाली हो रहा है। इसके दो बड़े कारण है- पहला,कच्चे तेल का आयात। दूसरा, युवाओं का विदेशों में पढ़ने के लिए जाना। अब हमारे सामने विकल्प क्या है। देखिए कच्चे तेल के भाव पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। पर हम विदेशों का रुख करने वाले छात्रों को बाहर जाने से रोकने के उपाय कर ही सकते हैं।

इस बीच, हमे चाहें तो यह संतोष कर सकते हैं कि भारत को आई टी सेक्टर में निर्यात से भारी-भरकम विदेशी मुद्रा हासिल हो जाती है। भारत के निर्यात और जीडीपी में आईटी सेक्टर का योगदान लगातार बढ़ रहा है। भारत के कुल निर्यात में सर्विस सेक्टर निर्यात का योगदान 40 फीसदी के करीब है। सर्विस एक्सपोर्ट में 50 फीसदी योगदान केवल आईटी सेक्टर का है। इधर कुछ दशकों से खाड़ी के देशों में बसे भारतीय कमाल कर रहे हैं। ये हर साल अरबों रुपये स्वदेश भेजते हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को सन 2021 के दौरान विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों तथा अन्य रास्तों से से 87 बिलियन ड़ॉलर मतलब यानी करीब 87 अरब रुपये प्राप्त हुए। बेशक इस राशि से देश में विकास परियोजनाओं को लागू करने में मदद मिलती है। जितना पैसा अपने घर यानी भारत में भारतीय भेजते हैं, उतना अन्य किसी देश के नागरिक नहीं भेजते। यहां यह बताना जरूरी है कि चीनी नागरिक भी अपने देश में भारत से कम पैसा भेजते हैं। खाड़ी के देशों जैसे बहरीन,कुवैत,ओमन,कतर,सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ( यूएई) में बसे भारतीय हर साल बहुत मोटी राशि देश में भेजते हैं। इन देशों में भारतीय छोटा-मोटी नौकरी से लेकर बड़ा बिजनेस भी कर रहे हैं।

भारत चाहे तो मेडिकल टूरिज्म के माध्यम से विदेशी मुद्रा कमा सकता है। हमारे देश में मेडिकल क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में लंबी सफल छलांग लगाने के उपाय तलाश करने होंगे। मेडिकल टूरिज्म सालाना अरबों डॉलर का कारोबार है। इस पर भारत को अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी। इस क्षेत्र में भारत के सामने तमाम संभावनाएं हैं। पर संभावनाएं उसी स्थिति में हैं जब हम विदेशों से आने वाले रोगियों को बेहतरीन सुविधाएं दें और उनका श्रेष्ठ इलाज करें। हमें इसके लिए डाक्टरों और नर्सों के व्यवहार और उनके प्रशिक्षण में सुधार लाना होगा I

भारत में अमेरिका, जापान, यूरोप या सिंगापुर की तुलना में सस्ते इलाज, उत्तम चिकित्सा तकनीकों और उपकरणों की उपलब्धता के चलते विदेशी इलाज के लिए आते हैं। उन्हें यहां पर भाषा की समस्या से भी जूझना नहीं पड़ता। यहां पर अंग्रेजी बोलने वाले हर जगह मिल ही जाते हैं। यहां के अस्पतालों में डाक्टर, नर्स और बाकी स्टाफ भी अंग्रेजी बोल लेता है। यानी विदेशों से आए रोगियों के लिए भारत एक शानदार स्थान है। यदि कमी है तो साफ-सफाई और मरीजों के प्रति मधुर और सवेदनशील व्यवहार की I

भारत में साल 2015 में 2.34 लाख और 2016 में 4.27 लाख विदेशों से रोगी इलाज के लिए भारत आए। इनमें बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले रोगियों का आंकड़ा सर्वाधिक हैं। अरब की खाड़ी देशों के शेखों के लिये भी मुंबई पसंदीदा जगह है। यह प्रमाणिक जानकारी भी संसद में ही दी गई थी। अफगानिस्तान से साल 2017 में 55,681 रोगी इलाज के लिए भारत आए। इन दोनों पड़ोसी देशों के साथ-साथ,भारत में ओमन, इराक, मालदीव,यमन, उज्बेकिस्तान, सूडान वगैरह से भी रोगी आ रहे हैं। अगर भारत-पाकिस्तान के संबंध सुधर जाएँ तो हर साल सरहद के उस पार से भी हजारों रोगी हमारे यहां इलाज के लिए आने लगेंगे। कहने का अर्थ यह है कि मेडिकल टुरिज्म के रास्ते से हम तगड़ी विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकते हैं। जब हमारा विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहा है और हमारा रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है तो हमें विदेशी मुद्रा को कमाने के नए-नए विकल्पों पर काम तो करना ही होगा।

रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया: डॉलर के मुकाबले रुपया 51 पैसे कमजोर होकर 80.47 पर पहुंचा, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर बढ़ाने का असर

भारतीय रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। आज, यानी 22 सितंबर के शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 51 पैसे गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर 80.47 रुपए पर खुला है। इससे पहले बुधवार, यानी 21 सितंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 26 पैसे गिरकर 80 के स्‍तर पर बंद हुआ था।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर बढ़ाने का असर
अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी की। ब्याज दरें बढ़ाकर 3-3.25% की गई हैं। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लगातार तीसरी बार ब्याज दरें बढ़ी हैं।

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ जाने से वहां की मुद्रा, यानी डॉलर की कीमत बढ़ जाती है। डॉलर मजबूत होने लगता है। इससे डॉलर की तुलना में रुपया जैसी दूसरी करेंसी की वैल्यू घट जाती है। दूसरी तरफ विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से पैसा निकाला जाता है, तब भी रुपया कमजोर होगा।

कैसे तय होती है करेंसी की कीमत?
करेंसी के उतार-चढ़ाव के कई कारण होते हैं। डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो इसे उस करेंसी का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में - करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से उस देश की मुद्रा की चाल तय होती है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर है तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा।

कहां नुकसान या फायदा?
नुकसान: कच्चे तेल का आयात महंगा होगा, जिससे महंगाई बढ़ेगी। देश में सब्जियां और खाद्य पदार्थ महंगे होंगे। वहीं भारतीयों को डॉलर में पेमेंट करना भारी पड़ेगा। यानी विदेश घूमना महंगा होगा, विदेशों में पढ़ाई महंगी होगी।

फायदा: निर्यात करने वालों को फायदा होगा, क्योंकि पेमेंट डॉलर में मिलेगा, जिसे वह रुपए में बदलकर ज्यादा कमाई कर सकेंगे। इससे विदेश में माल बेचने वाली IT और फार्मा कंपनी को फायदा होगा।

करेंसी डॉलर-बेस्ड ही क्यों और कब से?
फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में अधिकांश मुद्राओं की तुलना डॉलर से होती है। इसके पीछे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ ‘ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट’ है। इसमें एक न्यूट्रल ग्लोबल करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि, तब अमेरिका अकेला ऐसा देश था जो आर्थिक तौर पर मजबूत होकर उभरा था। ऐसे में अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के तौर पर चुन लिया गया।

कैसे संभलती है स्थिति?
मुद्रा की कमजोर होती स्थिति को संभालने में किसी भी देश के केंद्रीय बैंक का अहम रोल होता है। भारत में यह कैसे डॉलर कमाए भूमिका रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की है। वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार से और विदेश से डॉलर खरीदकर बाजार में उसकी मांग पूरी करने का प्रयास करता है। इससे डॉलर की कीमतें रुपए के मुकाबले स्थिर करने में कुछ हद तक मदद मिलती है।

'नेताजी को 5.15 लाख डॉलर भुगतान करो', मानहानि से जुड़े वीडियो में Google को कोर्ट का आदेश

फेडरल कोर्ट ने पाया कि यू-ट्यूब के मालिक अल्फाबेट इंक ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स के डिप्टी प्रीमियर पर हमला करने वाले दो वीडियो होस्ट करके हजारों डॉलर कमाए. 2020 के आखिर में इसे पोस्ट किया गया, जिसे 800,000 बार देखा गया.

कोर्ट ने गूगल को दिया भुगतान करने का आदेश

एक ऑस्ट्रेलियाई अदालत ने गूगल को सोमवार को एक पूर्व वरिष्ठ सांसद को $715,000 (कैसे डॉलर कमाए $515,000) का भुगतान करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने पाया कि यू-ट्यूब कमेंटेटर की नस्लवादी और अपमानजनक अभियान ने उन्हें समय से पहले राजनीति छोड़ने के लिए प्रेरित किया है.

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फेडरल कोर्ट ने पाया कि यू-ट्यूब के मालिक अल्फाबेट इंक ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स के डिप्टी प्रीमियर पर हमला करने वाले दो वीडियो होस्ट करके हजारों डॉलर कमाए. 2020 के आखिर में इसे पोस्ट किया गया, जिसे 800,000 बार देखा गया.

न्यायाधीश स्टीव रेरेस ने अदालत को बताया कि पोलिटिकल कमेंटेटर जॉर्डन शैंक्स के वीडियो ने सांसद जॉन बारिलारो की इमेज खराब की, उन्हें सबूत के बिना ही करप्ट साबित किया. उन्हें नस्लवादी कहा. रेरेस ने कहा कि जब बारिलारो ने अक्टूबर 2021 में राजनीति छोड़ दी तो ऐसा इसलिए था क्योंकि गूगल और मिस्टर शैंक्स के अभियान से आहत थे और इसके कारण उन्हें समय से पहले सार्वजनिक पद छोड़ना पड़ा. मैं इस मामले में गूगल के आचरण को अनुचित पाया. इस मामले में जब गूगल की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनके प्रवक्ता मौजूद नहीं थे.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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