हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा-15 का प्रावधान
कानूनी प्रावधान के तहत अगर तलाक हो जाए और तलाक के खिलाफ तय समय सीमा में अपील दाखिल न की गई हो तो उसके बाद दूसरी शादी हो पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें सकती है। अगर तलाक के खिलाफ किसी ने अपील दाखिल कर दी हो तो अपील पेंडेंसी के दौरान शादी नहीं हो सकती बल्कि अपील खारिज होने के बाद दूसरी शादी हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया फैसला
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हिंदू मैरिज ऐक्ट सोशल वेलफेयर कानून है। कानून सुविधा के लिए है। हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा-15 के तहत प्रावधान है कि तलाक के खिलाफ अपील खारिज होने से पहले शादी अवैध है। ऐक्ट के प्रावधान का मकसद ये है कि जिसने अपील की हुई है, उसका अधिकार प्रोटेक्ट किया जाए। दूसरी शादी से परेशानी का सबब पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें तैयार न हो। मौजूदा मामले में तलाक की डिक्री पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें के खिलाफ पति ने अपील की थी। पेंडेंसी के दौरान उसका पूर्व पत्नी से सेटलमेंट हो गया और केस न लड़ने का फैसला लेते हुए अर्जी वापस लेने की गुहार लगाई।

केसों की संख्या बढ़ी: फैमिली कोर्ट में 5000 केस पेंडिंग, हर महीने 200 से पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें 250 तलाक के मामले कोर्ट में आ रहे

कोरोना काल में फैमिली कोर्ट में केसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अधिकांश केसों में पारिवारिक विवाद, पति-पत्नी के झगड़े, संयुक्त परिवार में छोटे-मोटे विवाद वकीलों के टेबल पर पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें आए थे। इसमें से अधिकांश केस कोर्ट में दायर हुए हैं। वकीलों की मानें तो लॉकडाउन में पति-पत्नी के बीच घर में काम करने को लेकर अधिक झगड़े हुए थे।

एडवोकेट अश्विन जोगड़िया ने बताया कि कोरोना काल में पति-पत्नी के सामान्य झगड़े भी कोर्ट में पहुंच गए थे। हालांकि परिस्थिति के अनुसार अधिकांश केसों में समझाैते भी हुए हैं। फैमिली कोर्ट में 5000 केस पेंडिंग हैं। कोरोना के बाद हर महीने 200 से 250 केस आ रहे हैं। एक साल का आंकड़ा औसतन 2200 से 2500 के बीच है।

कोर्ट के ऑर्डर के बगैर भी भरण-पोषण की रकम दे दी

तलाक की अर्जी लंबित होने पर भी मान्य है दूसरी शादी: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली
तलाक को लेकर यदि दोनों पक्षों के बीच केस वापसी पर समझौता हो गया हो तो याचिका पेंडिंग पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें रहते हुए भी दूसरी शादी मान्य है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी है। कोर्ट ने कहा कि तलाक के खिलाफ दाखिल अपील खारिज होने से पहले दूसरी शादी पर रोक संबंधी प्रावधान तब लागू नहीं होता, जब पक्षकारों ने केस वापस लेने का समझौता कर लिया हो। बता दें कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक के खिलाफ दाखिल अपील की पेंडेंसी के दौरान दोनों में से किसी भी पार्टी के दूसरी शादी पर रोक है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा मत है कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-15 के तहत तलाक के खिलाफ अपील की पेंडेंसी के दौरान दूसरी शादी पर रोक का प्रावधान तब लागू नहीं होता, जब पक्षकारों ने समझौते के आधार पर केस आगे न चलाने का फैसला पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें कर लिया हो। मौजूदा मामले में तलाक की डिक्री के खिलाफ अपील पेंडेंसी के दौरान पति ने पहली पत्नी से समझौता कर लिया और केस वापस लेने की अर्जी लगाई और इसी दौरान दूसरी शादी कर ली। हाई कोर्ट ने शादी को अमान्य कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पति की अर्जी स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

तलाक की अर्जी लंबित होने पर भी मान्य है दूसरी शादी: सुप्रीम कोर्ट

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क्या था मामला
रमेश कुमार (बदला हुआ नाम) की शादी हुई। शादी के बाद पत्नी ने तलाक की अर्जी दाखिल की, तीस हजारी कोर्ट ने 31 अगस्त 2009 को पत्नी के फेवर में तलाक की डिक्री पारित कर दी। रमेश ने उस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इसी बीच दोनों में केस वापस लेने के बारे में समझौता हो गया। 15 अक्टूबर, 2011 को रमेश ने समझौते के आधार पर अपील वापस लेने की अर्जी दाखिल कर दी। 28 नवंबर 2011 को हाई कोर्ट में मामला टेकअप हुआ और 20 पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें दिसंबर 2011 को अर्जी का निपटारा कर दिया गया। लेकिन पेंडेंसी के दौरान 6 दिसंबर 2011 को रमेश ने दूसरी शादी कर ली।

कार का इंतजार कर रहे लाखों लोगों को झटका! कम हो सकता है मारुति का प्रोडक्शन

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News18 हिंदी 4 दिन पहले News18 Hindi

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नई दिल्ली. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) चालू वित्त वर्ष में 20 लाख इकाइयों के उत्पादन लक्ष्य से कुछ अंतर से पेंडिंग ऑर्डर कैसे दें चूक सकती है. कंपनी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मार्केटिंग एंड सेल्स) शशांक श्रीवास्तव ने यह बात कही है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कंपनी अब भी अपने पेंडिंग ऑर्डर के जरिये इस चुनौती को पूरा करने की उम्मीद कर रही है. कंपनी के पेंडिंग ऑर्डर 3.75 लाख के करीब हैं.

आर्डर..आर्डर नहीं, यहां लंबित..लंबित है न्याय

सुप्रीम कोर्ट

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 04, 2018, 10:13 IST

देशभर के न्यायालयों में पेंडिंग केस पर लगातार चर्चा हो रही है. मांग हो रही है कि इनके जल्द निपटारे के लिए खाली पड़े जजों की पोस्ट भरी जाए. देशभर के कोर्ट में पेंडिंग पड़े केस स्पष्ट करते हैं कि त्वरित न्याय के जनादेश को पूरा करने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) के वेब पोर्टल और कोर्ट के वेबसाइट्स से मिले डाटा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से पेंडिंग केस पर ज्यूडिशियरी और सरकार के बीच लंबी बातचीत के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है. सुप्रीम कोर्ट में पांच साल से पुराने केस 30 फीसदी से ज्यादा हैं.

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