4.अंतरराष्ट्रीय बाजार
भारत ने पिछले 5 सालों में व्यापार क्षेत्र के विस्तार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. विशेष तौर पर जीएसटी और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने बड़ी संंख्‍या में विदेशी निवेशकों को भारत की तरफ आने के लिए मजबूर किया है.

Russia Invasion: रूस का यूक्रेन पर हमला वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक, बढ़ सकते हैं कई तरह के संकट

By: ABP Live | Updated at : 26 Feb 2022 02:48 PM (IST)

रूस ने ऐसे समय में यूक्रेन पर हमला किया है, जब विश्व अर्थव्यवस्था एक नाजुक दौर से गुजर रही और कोविड के कहर से उबरने की शुरुआत कर रही है. रूस के इस हमले के अब दूरगामी आर्थिक परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि इससे वित्तीय बाजार गिरेंगे और तेल के भाव चढ़ेंगे. इस घटनाक्रम की तुलना मध्य पूर्व में 1973 के योम किप्पुर युद्ध से की जा सकती है, जिसके कारण तेल संकट पैदा हुआ था. इसने विश्व अर्थव्यवस्था को उसकी नींव तक हिला दिया और उस आर्थिक उछाल के अंत का संकेत दिया, जिसने बेरोजगारी को कम करने और जीवन स्तर को बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दिया था.

आज विश्व अर्थव्यवस्था उस समय की तुलना में बहुत बड़ी है, लेकिन हाल के दशकों में यह बहुत धीमी गति से बढ़ रही है. महामारी ने पिछले दो वर्षों में बड़ा झटका दिया, सरकारों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने के लिए बड़ी रकम खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अब सुधार के कुछ संकेतों के बावजूद उच्च मुद्रास्फीति और कम विकास के जोखिम बने हुए हैं, बड़े ऋणों ने कई सरकारों की हस्तक्षेप करने की क्षमता को सीमित कर दिया है.

रूस-यूक्रेन संकट का व्यापार पर पड़ेगा असर : निर्यातक

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) ने निर्यातकों से अपने माल को उस क्षेत्र में फिलहाल सुरक्षित रखने के लिए कहा है, जो काला सागर का रास्ता अपनाते हैं।

फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि रूस, यूक्रेन और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों में स्वेज नहर और काला सागर से माल की आवाजाही होती है।

उन्होंने कहा कि व्यापार पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा, यह दोनों देशों के बीच सैन्य संकट कब तक चलता है, उस पर निर्भर करेगा।

मुंबई के एक निर्यातक शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि मौजूदा संकट से देश के निर्यात बाजार में व्यापार पर संकट का प्रभाव पर असर पड़ेगा क्योंकि पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे है।

भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार इस वित्त वर्ष में अब तक 9.4 अरब डॉलर का रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 8.1 अरब डॉलर का था।

अर्थव्यवस्था में मंदी आने के प्रमुख संकेत क्या हैं?

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यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही-दर-तिमाही लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है.

हाइलाइट्स

  • अर्थव्यवस्था के मंदी की तरफ बढ़ने पर आर्थिक गतिविधियों में चौतरफा गिरावट आती है.
  • इससे पहले आर्थिक मंदी ने साल 2007-2009 में पूरी दुनिया में तांडव मचाया था.
  • मंदी के सभी कारणों का एक-दूसरे से ताल्लुक है. आर्थिक मंदी का भय लगातार घर कर रहा है.

1. आर्थिक बाजार में व्यापार पर संकट का प्रभाव विकास दर का लगातार गिरना
यदि किसी अर्थव्यवस्था की विकास दर या जीडीपी तिमाही-दर-तिमाही लगातार घट रही है, तो इसे आर्थिक मंदी का बड़ा संकेत माना जाता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था या किसी खास क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी की दर को विकास दर कहा जाता है.

यदि देश की विकास दर का जिक्र हो रहा हो, तो इसका मतलब देश की अर्थव्यवस्था या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने की रफ्तार से है. जीडीपी एक निर्धारित अवधि में किसी देश में बने सभी उत्पादों और सेवाओं के मूल्य का जोड़ है.

First Bharat @ बाजार पर नजर: कोरोना काल में काम आए थे आस पड़ोस के व्यापारी, अब त्योहारी सीजन में अच्छे व्यापार की उम्मीद

कोरोना काल में काम आए थे आस पड़ोस के व्यापारी, अब त्योहारी सीजन में अच्छे व्यापार की उम्मीद

कोरोना माहमारी के दौर में जब शॉपिंग मॉल्स, ऑनलाइन खरीद बंद हो गई थी उस वक़्त आस-पड़ोस, गांव-कस्बे के व्यापारी ही काम आए थे। संकट के उस दौर में लोगों को अहसास हुआ था गली-मोहल्ले के छोटे व्यापारी कितने अहम हैं। जरूरत की हर चीज स्थानीय व्यापारियों ने उपलब्ध करवाई। खाने पीने से लेकर पहनने समेत किसी भी चीज की कमी नहीं देखी गई। अब त्योहारी सीजन में व्यापारियों को भी अच्छे व्यापार की उम्मीद है। ऑनलाइन व्यापार के चलन से स्थानीय दुकानदारों का व्यापार पिछले कुछ सालों से कमजोर होने लगा था। खासकर युवा पीढ़ी जो कि इस ऑनलाइन खरीद में अधिक बाजार में व्यापार पर संकट का प्रभाव रुचि लेने लगी। कोरोना की पहली लहर में ख़ौफ़ के चलते ऑनलाइन खरीद से लेकर स्थानीय बाजार पूरी तरह से बंद हो गया। लोगों को चिंता सताने लगी कि अब खाने-पीने का सामान कहा से आएगा। कही भूखे रहने की तो नौबत नहीं आ जाएगी, एक तो कोरोना का डर ऊपर से गृहस्थी चलाने का संकट भी खड़ा हो गया ऐसे वक्त में स्थानीय व्यापार काम आए और कोरोना से सतर्कता बरतते हुए जरूरत के सभी सामान उपलब्ध करवाए,खास बात तो यह है कि जिस वक्त लोग घरों से बाहर निकलने में भी डर रहे थे उस वक़्त स्थानीय व्यापारियों ने होम डिलीवरी बाजार में व्यापार पर संकट का प्रभाव की व्यवस्था कर सामान घर तक पहुंचाया।

कोरोना से लड़ाई में किन चुनौतियों का सामना कर रहा है भारत?

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इस बाजार में व्यापार पर संकट का प्रभाव महामारी के दौर में जब सरकार की आय न के बराबर है और खर्चे विस्तृत रूप से बढ़ते जा रहे हैं तो राजकोषीय घाटे का बढ़ना स्वाभाविक है.

उनके अनुसार भारत वर्तमान वित्त वर्ष में लगभग 1% से 2% की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करेगा. लेकिन, भारत की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ये आंकड़े खोखले नजर आ रहे हैं. पहले से ही आर्थिक सुस्ती की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था इस आपातकालीन चिकित्सीय आपदा से ज्यादा प्रभावित होगी. वजह यह है कि भारत में यह लड़ाई दोतरफा है. एक, इस बीमारी से कैसे लड़ा जाए और दूसरा, इस लड़ाई के दौरान समाज के एक बहुत बड़े गरीब तबके की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए.

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