विदेशी मुद्रा संकेतकों
बाजार अनुसंधान
सांख्यिकीय डेटा योजनाकारों और नीति निर्माताओं के लिए न केवल योजना / नीति निर्माण के लिए बल्कि योजनाओं की प्रगति की निगरानी और उनके प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। पर्यटन मंत्रालय हर साल "भारत पर्यटन सांख्यिकी" नामक एक वार्षिक प्रकाशन लाता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटन का विवरण दिया जाता है, जिसमें वर्गीकृत होटलों आदि के बारे में विवरण भी शामिल है। , अद्यतन और नवीनतम प्रमुख सांख्यिकीय डेटा दे रहा है। मंत्रालय पर्यटन से विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) के आंकड़ों और विदेशी मुद्रा आय (एफईई) का भी महीने का अनुमान लगाता है, और यह 15 दिनों के अंतराल के भीतर लाया जाता है।
प्रो. गौरव वल्लभ का कॉलम: मुद्रा का मूल्य घटना एक बड़ी समस्या है, क्योंकि हम हैं आयात-निर्भर अर्थव्यवस्था
देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है, यह बताने के लिए किसी का अर्थशास्त्री होना जरूरी नहीं है। अगर राजनीतिक झुकावों को एक तरफ भी रख दें, तब भी सच यही है कि बीते पांच सालों से अर्थव्यवस्था खस्ताहाल बनी हुई है। अगर मैक्रो-इकोनॉमिक संकेतकों को देखें तो वे कोई रुपहली तस्वीर नहीं पेश करते। रीटेल महंगाई जून में 7.01% थी। यह बीते 33 महीनों से आरबीआई के 4% के मध्यावधि लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।
वहीं 6% की अधिकतम सीमा से भी विगत छह माह से वह अधिक है। बेरोजगारी दर लगातार 7.5% से अधिक बनी हुई है। सीएमआईई के मुताबिक अकेले जून में 25 लाख लोगों ने नौकरियां गंवाईं। इस सबसे बढ़कर है रुपए में गिरावट। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया छह महीनों में लगभग 7% तक गिरा है। बीते कुछ दिनों में वह कुछ बार 80 के मनोवैज्ञानिक बैरियर को भी लांघ चुका है।
भारत जैसे देश के लिए उसकी मुद्रा का मूल्य घटना बड़ी समस्या है, क्योंकि हम मुख्यतया आयात-निर्भर अर्थव्यवस्था हैं। हमारे द्वारा किया जाने वाला आयात हमारे निर्यात से अधिक है। आयात-निर्यात के इस असंतुलन से निर्मित होने वाला चालू खाता घाटा इस वित्त वर्ष में जीडीपी के 3.3% को पार कर सकता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आयात का बिल तो बढ़ता है, निर्यात भी प्रभावित होता है।
विदेशी आयातकों को उसी डॉलर की राशि में भारतीय निर्यातकों से ज्यादा माल मिल जाता है। इसमें मुश्किल यह भी है कि हमारे निर्यात-श्रेणी में आने वाली मुख्य चीजें जैसे ज्वेलरी, कीमती रत्न, पेट्रोलियम उत्पाद, ऑर्गेनिक केमिकल आदि का भी कच्चा माल बड़े पैमाने पर आयात किया जा रहा है, जिस कारण कमजोर मुद्रा से निर्यात में होने वाला लाभ कम हो जाता है।
घरेलू महंगाई टेक्सटाइल जैसे श्रम-सघन निर्यातों के अपेक्षित लाभ को भी कम कर देती है। चिंता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है विदेशों के डॉलर बाजारों से ऋण लेना। दिसम्बर 2021 के अंत में कॉमर्शियल कर्जदारी 226 अरब डॉलर की थी। इसमें ब्याज के भुगतान को जोड़ दें तो आप पाएंगे कि सरकारी खजाने को लगने वाली चपत से सरकार की पूंजी या व्यय बढ़ाने की क्षमता और प्रभावित होगी।
तीसरा कारण है विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजारों से पैसा निकाल लेना। विदेशी संस्थानगत निवेशकों ने इस साल 28.4 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं। इसकी तुलना 2008 के वैश्विक संकट से करें तो तब मात्र 11.8 अरब डॉलर के ही शेयर बेचे गए थे। आरअीबाई के मुताबिक जब रुपए में 5% गिरावट आती है तो मुद्रास्फीति 0.15% बढ़ जाती है।
जो अर्थव्यवस्था पहले ही उच्च मुद्रास्फीति से परेशान हो, वह रुपए की ज्यादा गिरावट सहन नहीं कर सकती। उच्च मुद्रास्फीति के लिए केवल वैश्विक संकट जिम्मेदार नहीं हैं। ऐसे में सरकार को क्या करना चाहिए? सबसे पहली बात यह है कि आरबीआई को मुद्रास्फीति कम करने के लिए मौद्रिक नीति के उपकरणों का उपयोग करना चाहिए, वहीं केंद्र सरकार को कर्ज नियंत्रित करना चाहिए।
आरबीआई पहले ही आक्रामक रूप से ब्याज दरें नहीं बढ़ाकर मौका गंवा चुका है। जबकि अमेरिका का केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए यही कर रहा है। दूसरे, हमें प्राथमिकताओं को लेकर स्पष्ट होना चाहिए कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण जरूरी है या विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन?
ये सच है कि बीते नौ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार 70 अरब डॉलर घटकर 20 महीनों के निम्नतम स्तर 572 अरब डॉलर पर चला गया है, इसके बावजूद हमारी प्राथमिकता महंगाई के उन कारणों पर अंकुश लगाना ही होना चाहिए, जिनके लिए वैश्विक परिस्थितियां ही जिम्मेदार नहीं हैं। तीसरे, सरकार को पैक्ड आटा, अनाज, पनीर, लस्सी, शहद, गुड़, मुड़ी, दूध आदि से जीएसटी हटाना होगा।
इन पर 5% जीएसटी लगाया गया है। आज जब खाने-पीने की चीजों की महंगाई 7.75% पर पहुंच गई है और सब्जियों में महंगाई दर 17.37% है तो क्या ऐसे में अत्यावश्यक वस्तुओं पर जीएसटी लगाना उचित है? मेरे विचार से तो नहीं।
आज जब खाने-पीने की चीजों की महंगाई 7.75% पर पहुंच गई है और सब्जियों में महंगाई दर 17.37% है तो क्या ऐसे समय आटा और अनाज जैसी अत्यावश्यक वस्तुओं पर जीएसटी लगाना उचित है?
5 सर्वाधिक उपयोग किए जाने वाले तकनीकी संकेतक प्रत्येक Exness ट्रेडर को पता होने चाहिए
विदेशी मुद्रा व्यापारी ऐतिहासिक और वर्तमान डेटा की सहायता से मूल्य आंदोलनों का विश्लेषण करने के लिए तकनीकी संकेतकों का उपयोग करते हैं। संकेतक सरल से जटिल तक हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि कुछ संकेतक नए विदेशी मुद्रा व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जा सकते हैं, अन्य जटिल संकेतक अक्सर अनुभवी विदेशी मुद्रा व्यापारियों द्वारा बेहतर अनुकूल होते हैं।
संकेतक, जब सही ढंग से उपयोग किए जाते हैं, तो किसी व्यापारी को खरीदने या बेचने के लिए आदर्श क्षण निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक विदेशी मुद्रा व्यापारी व्यापार शुरू करने से पहले कम से कम संकेतकों की मूल बातें समझें।
इस लेख में, हम पांच तकनीकी संकेतकों पर चर्चा करेंगे, नए व्यापारी अब उपयोग करना शुरू कर सकते हैं - विदेशी मुद्रा व्यापार में गहरी पृष्ठभूमि के बिना भी।
1. सरल चलती औसत
एक साधारण मूविंग एवरेज एक संकेतक है जो एक निर्दिष्ट समय में एक मुद्रा जोड़ी के औसत समापन मूल्य को शामिल करता है। 12-दिवसीय सरल मूविंग एवरेज का अर्थ है 12 दिनों की अवधि में दैनिक समापन मूल्य का औसत।
दैनिक मूविंग एवरेज का उद्देश्य बाजार की प्रवृत्ति की पहचान करना है। यह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि यह अतीत में एक संकेत की पहचान करता है और एक प्रवृत्ति शुरू होने के बाद एक संकेत प्रदान करता है। दीर्घावधि औसत दीर्घावधि औसत से ऊपर जाना एक अपट्रेंड का संकेत दे सकता है। अल्पावधि औसत से नीचे जाने वाला दीर्घकालिक औसत गिरावट का संकेत दे सकता है।
2. सापेक्ष शक्ति सूचकांक
एक रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) एक ऑसिलेटर है जो मूल्य आंदोलनों के परिवर्तन को मापता है। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स 0 से 100 तक दोलन करता है। फॉरेक्स ट्रेडर 70 को ओवरबॉट और 30 को ओवरसोल्ड मानते हैं। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स का उपयोग चार्ट पैटर्न की पहचान करने के लिए किया जाता है जो डबल टॉप और बॉटम जैसे अंतर्निहित चार्ट में दिखाई नहीं दे सकते हैं। आरएसआई का उपयोग समर्थन और या प्रतिरोध की पहचान करने के लिए भी किया जाता है।
3. स्टोकेस्टिक संकेतक
स्टोकेस्टिक संकेतक मुद्रा जोड़ी में मूल्य की गति को मापते हैं। एक मुद्रा जोड़ी के वास्तविक आंदोलन से पहले एक मुद्रा जोड़ी की गति बदल जाती है। विदेशी मुद्रा व्यापारियों द्वारा कई तरह से स्टोकेस्टिक संकेतकों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन मुख्य उपयोग एक मुद्रा जोड़ी में अधिक खरीददार और अधिक बिकने वाली स्थितियों की पहचान करना है। जब एक स्टोचैस्टिक ऑसिलेटर इंडिकेटर 80 से ऊपर होता है, तो यह ओवरबॉट स्थिति का संकेत दे सकता है, जबकि 20 से नीचे ओवरसोल्ड स्थिति का संकेत दे सकता है। स्टोचैस्टिक संकेतक मास्टर करना आसान है लेकिन नए विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए इस अवधारणा विदेशी मुद्रा संकेतकों को पूरी तरह से समझने के लिए बहुत अभ्यास करना पड़ता है।
4. परवलयिक एसएआर
पैराबोलिक स्टॉप एंड रिवर्स (एसएआर) इस आलेख में पहले उल्लिखित अन्य संकेतकों से अलग है। यह पहचानने के बजाय कि रुझान कहां से शुरू होने वाला है, परवलयिक SAR संकेतकों का उपयोग प्रवृत्ति के अंत की पहचान करने के लिए किया जाता है।
ओपन पोजीशन के लिए इष्टतम निकास बिंदु निर्धारित करने के लिए ट्रेडर्स परवलयिक एसएआर संकेतक का उपयोग करते हैं। प्रत्येक बिंदु एक संभावित उत्क्रमण का प्रतिनिधित्व करता है। एक बिंदु जो सूचक के नीचे एक अपट्रेंड के रूप में और संकेतक के ऊपर एक डाउनट्रेंड के रूप में दिखाई देता है।
एक पैराबोलिक स्टॉप और रिवर्स इंडिकेटर केवल ट्रेंडिंग मार्केट्स में काम करता है क्योंकि यह साइडवेज मार्केट्स में एक भ्रामक संकेत देता है। यह सीखना थोड़ा चुनौतीपूर्ण है लेकिन एक नए विदेशी मुद्रा व्यापारी द्वारा सीखा जा सकता है जो प्रयास करता है।
5. औसत ट्रू रेंज
मुद्रा जोड़ी में मूल्य परिवर्तन की अस्थिरता को मापने के लिए औसत वास्तविक सीमा का उपयोग किया जाता है। इस सूचक का उपयोग विदेशी मुद्रा व्यापारियों द्वारा भविष्य में परिवर्तनों की योजना बनाने के लिए हाल की ऐतिहासिक अस्थिरता की धारणा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। औसत वास्तविक सीमा को एक थरथरानवाला माना जाता है क्योंकि समय की एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर मूल्य अस्थिरता के आधार पर गणना की गई मूल्यों के बीच वक्र में उतार-चढ़ाव होता है। विदेशी मुद्रा व्यापारी द्वारा बेहतर समझ के लिए औसत वास्तविक सीमा गणना सीखी जा सकती है। औसत वास्तविक सीमा एक प्रवृत्ति का निर्धारण नहीं करती है, लेकिन यह व्यापारियों को विदेशी मुद्रा बाजार के अल्पावधि तेज झूलों को मापने में सक्षम बनाती है।
निष्कर्ष
इस लेख में हमने विदेशी मुद्रा व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कुछ शीर्ष संकेतकों पर ध्यान दिया है, जो कि विदेशी मुद्रा बाजार की प्रवृत्ति, चलती औसत और अस्थिरता का निर्धारण करते हैं। एक व्यापारी को विदेशी मुद्रा व्यापार में विशेषज्ञ बनने के लिए सभी संकेतकों को मास्टर करने की आवश्यकता नहीं होती है। शुरुआती लोगों के लिए भी कुछ संकेतक बाजार में वास्तविक बढ़त प्रदान कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी संकेतक सही नहीं है, और बाजार हर समय एक अविश्वसनीय दिशा में आगे बढ़ सकता है। फिर भी, जब आप ट्रेड करते हैं तो इंडिकेटर्स पर पकड़ बना कर आप रणनीति बनाना शुरू कर सकते हैं।
जरुरी जानकारी | वैश्विक संकेतकों से सोना 176 रुपये मजबूत, चांदी 505 रुपये टूटी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बहुमूल्य धातुओं के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में तेजी के अलावा रुपये में गिरावट आने से राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोमवार को सोना 176 रुपये बढ़कर 47,881 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, 17 जनवरी बहुमूल्य धातुओं के अंतरराष्ट्रीय मूल्य में तेजी के अलावा रुपये में गिरावट आने से राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोमवार को सोना 176 रुपये बढ़कर 47,881 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी।
पिछले कारोबारी सत्र में सोना 47,705 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
हालांकि, चांदी की कीमत 505 रुपये घटकर 61,005 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। पिछले कारोबारी सत्र में यह 61,510 रुपये प्रति किलोग्राम रही थी।
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे की गिरावट के साथ 74.24 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव लाभ के साथ 1,822 डॉलर प्रति औंस हो गया, जबकि चांदी 23.03 डॉलर प्रति औंस पर लगभग अपरिवर्तित रही।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा, ‘‘न्यूयॉर्क स्थित जिंस एक्सचेंज कॉमेक्स में शुक्रवार को हाजिर सोने में 0.30 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,822 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार हो रहा था जिससे सोने की कीमतों में मजबूती रही।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से विदेशी मुद्रा संकेतकों अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट मजबूत डॉलर से मूल्यांकन में बदलाव का नतीजा: सीतारमण
नवभारत टाइम्स 15-10-2022
वाशिंगटन, 15 अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण मूल्यांकन में विदेशी मुद्रा संकेतकों बदलाव आना है।
सीतारमण ने यहां अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक वित्त समिति (आईएमएफसी) को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 सितंबर 2022 तक 537.5 अरब डॉलर था जो अन्य समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर है। अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से मूल्यांकन में आए बदलाव ने इस भंडार में आई गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया है।’’
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 4.6 अरब डॉलर का भुगतान संतुलन (बीओपी) आधार पर संचयन हुआ है। अन्य बाहरी संकेतकों में शुद्ध अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति और लघु अवधि का कर्ज भी कम संवेदनशीलता के सूचक हैं।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति के बावजूद भारत का बाहरी कर्ज और जीडीपी का अनुपात प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार 30 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 532.664 अरब डॉलर था। इस रिपोर्ट के मुताबिक कुल भंडार में प्रमुख हिस्सेदारी रखने वाले विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में कमी आना ही 30 सितंबर को खत्म् हुए हफ्ते के दौरान भंडार में आई गिरावट की वजह है।
सीतारमण ने कहा कि आयातित उच्च मुद्रास्फीति के दबाव घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति के भावी पथ के लिए अब भी जोखिम बना हुआ है। इसमें अमेरिकी डॉलर के लगातार महंगे होते जाने की अहम भूमिका है।
उन्होंने कहा कि जनवरी 2022 से ही मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के ऊपरी सहिष्णुता स्तर से ऊपर बनी हुई है।
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