मुद्रा की दुनिया में क्रांति - ब्लॉकचेन तकनीक कैसे काम करती है?
Блокчейн широко известен как основная технология Биткойн. Блокчейн — это структура данных для создания, защиты и совместного использования распределенного регистра транзакций между сетью компьютеров. Это позволяет клиентам быстро выполнять и проверять транзакции без центрального органа.
В последние годы несколько потребителей, организаций и учреждений внедряют технологию блокчейна, поскольку она не только снижает транзакционные издержки, устраняя точку проверки, но и ускоряет процесс расчета.
शिवराज सरकार देगी 1 लाख से 50 लाख तक का लोन, देखिए कैसे काम करेगा 'मिशन रोज़गार'
शिवराज सरकार प्रदेश के युवाओं को स्वयं का रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए योजना ला रही है. इसके तहत खुद का काम शुरू करने के लिए सरकार की तरफ से 1 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपए तक का लोन मुहैया कराया जाएगा. खास बात ये है कि लोन के लिए गारंटी के लिए कोई कागजात नहीं देने होंगे.
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भोपाल: शिवराज सरकार प्रदेश के युवाओं को स्वयं का रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए योजना ला रही है. इसके तहत खुद का काम शुरू करने के लिए सरकार की तरफ से 1 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपए तक का लोन मुहैया कराया जाएगा. खास बात ये है कि लोन के लिए गारंटी के लिए कोई कागजात नहीं देने होंगे. योजना की लॉन्चिंग 31 मार्च को होनी है, जिसकी तैयारी जोरशोर से की जा रही है.
1 लाख से 50 लाख रुपए तक का ऋण
युवाओं को स्वयं का रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए 31 मार्च को मुख्यमंत्री लाभ क्रांति कैसे काम करती है उद्यम क्रान्ति योजना लॉन्च होगी. मुख्यमंत्री उद्यम क्रान्ति योजना की लान्चिंग 31 मार्च को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे इन्टरनेशनल कन्वेशन सेंटर से होगी. इसके साथ ही योजना की लांचिंग का कार्यक्रम सभी जिला मुख्यालयों पर भी किया जाएगा. मुख्यमंत्री उद्यम क्रान्ति योजना के जिला स्तरीय लंचिंग कार्यक्रम में इस योजना के सभी लाभार्थियों को आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें स्वीकृति एवं वितरण-पत्र दिये जायेंगे. इस योजना के तहत युवाओं को खुद का उद्यम स्थापित करने के लिए 1 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपए तक का ऋण मुहैया कराया जाएगा. इस लोन की गारंटी सरकार देगी.
29 मार्च को रोजगार दिवस मनाया जाएगा
युवाओं को स्वयं का रोजगार उपलब्ध करवाने की शिवराज सिंह के मिशन के अनुरूप 29 मार्च को रोजगार दिवस मनाया जाएगा. इसके बाद 31 मार्च को मुख्यमंत्री उद्यम क्रान्ति योजना लॉन्च होगी. उद्योग आयुक्त पी. नरहरि ने सोमवार को बताया कि प्रदेशव्यापी रोजगार दिवस का राज्य स्तरीय कार्यक्रम 29 मार्च को रीवा जिला मुख्यालय में होगा. कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण न्यूज चैनल एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया जायेगा. इस प्रसारण को जिला स्तरीय कार्यक्रम में भी दिखाने की व्यवस्था जिला प्रशासन ने की है.
योजना के लाभ
मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना को सरकार ने युवाओं को स्वरोजगार देने के उद्देश्य से शुरू किया था. योजना के माध्यम से सरकार विभिन प्रकार के गारंटी लोन लाभार्थियों को फ्री में प्रदान करती है, जिसके माध्यम से खुद का उद्यम शुरू करके रोज़गार प्राप्त कर पाएंगे. अगर आप भी Mukhyamantri Udyam Kranti Yojana 2022 के अंतर्गत अपना पंजीकरण करना चाहते हैं तो आपको ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. एक नजर योजना के लाभ पर--
लोन के लिए किसी तरह की गारंटी देने की आवश्यकता नहीं है
योजना के अंतर्गत लाभार्थी को ऋण पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी
मध्य प्रदेश में इस योजना के माध्यम से बेरोज़गारी दर में गिरवाट आएगी
प्रदेश के केवल बेरोज़गार नागरिक ही इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है
आवेदक को लाभ की राशि सीधे उसके बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर माध्यम से मिल जाएगी
योजना की पात्रता
आवेदक को मध्य प्रदेश का निवासी होना जरूरी है
केवल बेरोज़गार ही इस योजना का लाभ उठा सकते हैं
आवेदक के पास बैंक खाता होना जरूरी है
जरूरी दस्तावेज
आधार कार्ड
बैंक पासबुक की कॉपी
निवास प्रमाण पत्र
राशन कार्ड
मोबाइल नंबर
पासपोर्ट साइज फोटो
हरित क्रांति के जनक कौन है?
हरित क्रांति के पिता, Harit Kranti Ke Janak , Father of Green Revolution in Hindi
यदि आप हरित क्रांति के जनक कौन है (Father of Green Revolution in Hindi) यानी हरित क्रांति के पिता किसे कहा जाता है के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े.
भारत में दो – तिहाई आबादी कृषि (Agriculture) पर निर्भर करती है. इसलिए कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि का हालत में सुधार के बिना देश की हालत में सुधार नहीं हो सकता.
हरित क्रांति ने हमारे देश की कृषि में आमूलचूल परिवर्तन किए, जिससे देश के उत्पादन में कई गुना की वृद्धि हुई. हरित क्रांति के बाद ही भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बन पाया.
ऐसे बहुत से हरित क्रांति के लाभ और हानि है जिसे आपकों जरूर जानना चाहिए. साथ ही भारत में हुई हरित क्रांति से संबंधित बातों पर भी चर्चा करना आवश्यक है.
आइए अब हरित क्रांति के पिता/जनक कौन है (harit kranti ke janak kaun hai) और उनसे संबंधित बातों के बारे में जानते हैं.
हरित क्रांति के जनक कौन है? (Father of Green Revolution in Hindi)
नाॅर्मन अर्नेस्ट बोरलाॅग को हरित क्रांति के जनक कहा जाता है. वे एक अमेरिकी कृषिविज्ञानी और नोबल पुरस्कार विजेता थे.
नाॅर्मन बोरलाॅग उन व्यक्तियों में मशहूर है, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक और कांग्रेस के गोल्ड मेडल प्रदान किया गया था.
उनका जन्म अमेरिका में आयोवा के एक सामान्य परिवार में हुआ था. उन्होंने कृषि विज्ञान में आधुनिक तकनीकें ईजाद की और दुनियाभर में सभी को मुफ़्त में साझा कीं.
उनके आधुनिक तकनीक की मदद से गेहूं की उत्पादकता में 700 गुना तक बढ़ोत्तरी हुई. साथ ही गेहूं और धान की किस्मों ने दुनियाभर में करीब एक अरब आबादी को भुखमरी से बचाया.
नाॅर्मन बोरलाॅग ने हरित क्रांति के पीछे की प्रेरणा थे. उन्होंने कृषि के क्षेत्र में अपना अतुलनीय भूमिका अदा किया, और इसलिए उन्हें ‘हरित क्रांति के जनक’ कहा जाता है.
विश्व में हरित क्रांति के जनक | नाॅर्मन बोरलाॅग |
जन्म | 25 मार्च 1914, क्रेस्को, आइवा |
मृत्यु | 12 सितंबर 2009, डलास, टेक्सास |
नागरिकता | संयुक्त राज्य अमेरिका |
राष्ट्रीयता | यूएसए |
शिक्षा | मिनीसोटा विश्वविद्यालय |
उल्लेखनीय सम्मान | नोबल शांति पुरस्कार, स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पुरस्कार, कांग्रेसनल गोल्ड मेडल, विज्ञान का राष्ट्रीय पुरस्कार, पद्म विभूषण और रोटरी इंटरनेशनल पुरस्कार |
प्रसिद्धि | हरित क्रांति के जनक के रूप में |
भारत में हरित क्रांति के जनक कौन है?
एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के जनक कहा जाता है. वे भारत के मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति में मुख्य भूमिका अदा करने वाले व्यक्ति हैं.
स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1950 को हुआ था. भारत में कृषि क्षेत्र की हालत बेहतर बनाने में उन्होंने अपना अतुलनीय योगदान दिया है.
उनके अनुसार भारत में कृषि केवल अनाज उत्पादन की मशीन नहीं है, बल्कि वह देश की बड़ी आबादी के लिए रीढ़ की हड्डी है.
साठ के दशक में, उनके प्रयासों की बदौलत ही भारत में कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया गया.
कृषि बहुत जोखिम भरा काम है, इसलिए कई किसान खेती करना छोड़ना चाहते हैं. उनके द्वारा कई कारण बताएं गए हैं जैसे कि अनिश्चित मौसम, अनिश्चित बाज़ार और कर्ज़ का दबाव, ख़र्चे बढ़ना लेकिन किसान की आय नहीं, आदि.
सन 1972 में, एम. एस. स्वामीनाथन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.
भारत में हरित क्रांति के जनक | एम एस स्वामीनाथन |
पूरा नाम | मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन |
जन्म | 7 अगस्त 1925, कुंबकोनाम, तमिलनाडु |
राष्ट्रीयता | भारत |
क्षेत्र | कृषि वैज्ञानिक |
उल्लेखनीय सम्मान | शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार |
प्रसिद्धि | प्रसिद्धि : भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में |
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कहां से हुई?
भारत में हरित क्रांति की शुरुआत पंजाब में 1960 के दशक में शुरू हुई.
भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी?
भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) की शुरुआत 1965-68 में हुई थी. उस समय काँग्रेस नेता लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में इसे शुरू किया गया था.
हरित क्रांति शब्द किसने दिया?
हरित क्रांति शब्द का प्रयोग करने वाले पहले व्यक्ति ‘विलियम एस. गौड’ थे. वे यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के प्रशासक थे.
हरित क्रांति के पिता किसे कहा जाता है?
नॉर्मन बोरलॉग को विश्व में हरित क्रांति के पिता के रूप में जाना जाता है. वर्ष 1970 में, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
निष्कर्ष,
तो, दोस्तों इस लेख में आपने जाना हरित क्रांति के जनक कौन है (Father of Green Revolution) और भारत में हरित क्रांति के जनक किसे कहा जाता है?
हरित क्रांति, भारत ही नहीं बल्कि कई विकासशील देशों के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी जो राष्ट्रीय अनाज के मामले में सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक रही.
विश्व में नाॅर्मन अर्नेस्ट बोरलाॅग को हरित क्रांति के जनक कहा जाता है और भारत में एम एस स्वामीनाथन को जनक के लाभ क्रांति कैसे काम करती है रूप में जानते हैं.
दोस्तों, यही आपकों हरित क्रांति के जनक किसे कहा जाता है (harit kranti ke janak) के बारे में यह लेख पसंद आया तो कृपया इसे अपने दोस्तों और अन्य लोगों के साथ शेयर जरूर करें.
भारत की ये खास जगहें, जहां नहीं देना होगा आपको रुकने और खाने का पैसा
अगर आप घूमने फिरने के शौकीन हैं तो आपके लिए भारत ( india) की कई ऐसी जगहें हैं जहां पर खाना रहना सब कुछ मुफ्त मिल सकता है। मतलब कम खर्च में यात्रा का आनंद उठाया जा सकता है। यह सुनकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा। लेकिन यह सच है, तो चलिए जानते हैं उन स्थानों के बारे में जहां की ट्रिप प्लान (free trip) करते हुए बजट को लेकर चिंता करने की जरूरत लाभ क्रांति कैसे काम करती है नहीं है। क्योंकि दो सबसे जरूरी चीजें आपको मिल ही रही हैं फ्री में वो है खाना और रहना।
मणिकरण साहिब गुरुद्वारा
हिमाचल प्रदेश (Himachal pradesh) निकल रहे हैं घूमने तो आप मणिकरण साहिब गुरुद्वारा (Manikaran Sahib Gurudwara) में जाकर रुक सकते हैं। यहां पर ना सिर्फ आपको खाना रहना बल्कि पार्किंग की भी सुविधा मुफ्त में मिलेगी। अगर आप अपनी गाड़ी से जा रहे हैं तो आपको पार्किंग की टेंशन लेनी की जरूरत नहीं है।
आनंद आश्रम
केरल की यात्रा पर निकल रहे हैं तो आपको हरियाली के बीच स्थित यह आनंद आश्रम (Anand ashram) रुकने के लिए बेस्ट है। यहां पर आपको 3 समय खाना मिलेगा। हालांकि यह भोजन कम तेल मसालों से तैयार किए जाते हैं जो आपके सेहत को खराब होने से बचाए रखेगा।
गीता भवन
ऋषिकेश घूमने जाने का मन बना रहे हैं तो गीता भवन (Gita Bhawan) में जाकर रुक सकते हैं। यह आश्रम 1000 कमरों का है। यहां पर सत्संग और योग का भी सेशन कराया जाता है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित है। यहां से आप प्राकृतिक खूबसूरती का भी आनंद उठा सकते हैं।
ईशा फाउंडेशन
यह फाउंडेशन कोयंबटूर से लगभग 40 किलो मीटर की दूरी पर है। यहां पर भगवान शिव की एक खूबसूरत स्टैच्यू भी है। यहां पर आ अपनी स्वेच्छा से दान कर सकते हैं। ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) सामाजिक कार्यों की दिशा में काम करती है। यहां पर आप फ्री में रह सकते हैं साथ ही आपको यहां पर खाना भी फ्री मिलेगा।
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