Best Stock Broker in india — भारत में सबसे अच्छा स्टॉक ब्रोकर कैसे चुनें?
हैलो निवेशकों। आज हम निवेश की दुनिया के सबसे हॉट टॉपिक्स में से एक पर चर्चा करने जा रहे हैं- फुल-सर्विस ब्रोकर बनाम डिस्काउंट ब्रोकर और किसे चुनना है? हालांकि, आगे बढ़ने से पहले, आइए पहले समझते हैं कि स्टॉकब्रोकर कौन है।
स्टॉकब्रोकर कौन है?
एक स्टॉकब्रोकर एक व्यक्ति / संगठन है जो कौन से दलालों को चुनना है स्टॉक एक्सचेंज का एक पंजीकृत सदस्य है और उसे अपने ग्राहकों के स्थान पर प्रतिभूति बाजार में भाग लेने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। स्टॉकब्रोकर अपने ग्राहकों की ओर से सीधे शेयर बाजार में स्टॉक खरीद और बेच सकते हैं और इस सेवा के लिए कमीशन ले सकते हैं।
अब, भारत में दो प्रकार के स्टॉक ब्रोकर हैं:
- फुल सर्विस ब्रोकर (Full-service broker)
- डिस्काउंटेड ब्रोकर (Discount broker )
आइए हम प्रत्येक प्रकार के स्टॉकब्रोकर को समझें:
1.फुल सर्विस ब्रोकर (Full-service broker)
वे पारंपरिक दलाल हैं जो स्टॉक, कमोडिटीज और मुद्रा के लिए ट्रेडिंग, रिसर्च और एडवाइजरी सुविधा प्रदान करते हैं। ये ब्रोकर प्रत्येक व्यापार पर कमीशन लेते हैं जो उनके ग्राहक निष्पादित प्रत्येक व्यापार के प्रतिशत के रूप में निष्पादित करते हैं। वे विदेशी मुद्रा, म्युचुअल फंड, आईपीओ, एफडी, बांड और बीमा में निवेश की सुविधा प्रदान करते हैं।
पूर्णकालिक दलालों के कुछ उदाहरण,
2. डिस्काउंटेड ब्रोकर (Discount broker )
डिस्काउंटेड ब्रोकर (Discount broker) अपने ग्राहकों के लिए आठ सुविधा प्रदान करते हैं। वे ग्राहकों के लिए सलाह और सूट की पेशकश नहीं करते हैं। वे कम ब्रोकरेज, उच्च गति और स्टॉक, कमोडिटीज और करेंसी डेरिवेटिव्स के लिए एक सभ्य मंच प्रदान करते हैं।
आपको किसे चुनना चाहिए?
उत्तर आपके ज्ञान, वरीयता और समय पर निर्भर करता है। यदि आप अपने निवेश के लिए स्टॉक एडवाइजरी चाहते हैं, तो आपको पूर्णकालिक ब्रोकर का चयन करना चाहिए। दूसरी ओर, यदि आप अपने दम पर शोध करना चाहते हैं या कौन से दलालों को चुनना है आपके पास वित्तीय सलाहकार हैं, तो आपको डिस्काउंट ब्रोकर का चयन करना चाहिए।
इसके अलावा, आपको अपने स्टॉकब्रोकर का चयन करने से पहले ब्रोकरेज शुल्क पर भी ध्यान देना चाहिए।
प्रारंभ में, मैंने आईसीआईसीआई डायरेक्ट (जो कौन से दलालों को चुनना है एक पूर्ण-सेवा दलाल है) के साथ शुरू किया, लेकिन जल्द ही एहसास हुआ कि यह छूट दलालों की तुलना में बहुत महंगा था। इसके अलावा, मैं आईसीआईसीआई डायरेक्ट द्वारा सलाहकार सुविधा का उपयोग नहीं कौन से दलालों को चुनना है कर रहा था। इसलिए, मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं है कि अगर मुझे सस्ते स्टॉकब्रोकर्स पर समान लाभ मिल सकता है, तो अतिरिक्त ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करना होगा।
Zerodha (डिस्काउंट ब्रोकर) कौन से दलालों को चुनना है निष्पादित आदेश के अनुसार 0.01% या 20 रुपये (जो भी कम हो) की ब्रोकरेज चार्ज करता है। यह आईसीआईसीआई डायरेक्ट (पूर्ण-सेवा दलाल) की तुलना में सस्ता है, जिसने प्रत्येक लेनदेन पर 0.5% की दलाली मांगी। यदि आप आईसीआईसीआई डायरेक्ट में 50,000 रुपये के लिए स्टॉक खरीदते हैं, तो आपको 250 रुपये की ब्रोकरेज का भुगतान करना होगा (दूसरी तरफ, ज़िरोदा केवल 20 रुपये, 230 रुपये का अंतर )।
इसके अलावा, चूंकि यह राशि लेन-देन (खरीदने और बेचने) के दोनों ओर ली जाती है, इसलिए आपको पूर्ण लेनदेन के लिए कुल 500 रुपये का भुगतान करना होगा (जिस तरह से दोनों तरफ के 40 रुपये के कुल ब्रोकरेज की तुलना में बहुत महंगा है)
संक्षेप में, यदि आप निवेश करने के लिए नए हैं और ट्रेडिंग खाता खोलना चाहते हैं, तो मैं आपको डिस्काउंट ब्रोकर चुनने की सलाह दूंगा, ताकि आप बहुत से ब्रोकरेज बचा सकें।
हालाँकि, अंत में, यह आपकी जानकारी, वरीयता और समय है जो स्टॉकब्रोकर का चयन करते समय सबसे अधिक मायने रखता है। यदि आपके पास अपने स्टॉक अनुसंधान के लिए पर्याप्त ज्ञान और समय है और अतिरिक्त कमीशन का भुगतान नहीं करना पसंद करते हैं, तो आपको डिस्काउंट ब्रोकर के लिए जाना चाहिए। इसके विपरीत, यदि आप अपना समय बचाने के लिए सलाहकार सेवाओं के लिए अतिरिक्त कमीशन का भुगतान करने का मन नहीं रखते हैं, तो आप एक पूर्ण-सेवा दलाल का चयन कर सकते हैं।
मरीज बेहाल, अस्पताल में दलालों का जाल
एम्स का दर्ज हासिल बीएचयू का सर सुंदरलाल हॉस्पिटल दलालों के सिंडिकेट में फंस गया है. बिहार यूपी सहित नेपाल और मध्य प्रदेश से आने वाले मरीजों को दवा और जांच के नाम पर शिकार बना रहे हैं. इस सिंडिकेट की कमाई का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दबंग इनसे ही हर महीनें लाखों की रंगदारी वसूलते हैं. बीएचयू एमसीए स्टूडेंट गौरव सिंह की हत्या की वजह भी दलालों से वसूली ही रही. दलालों की कारस्तानी की जानकारी पुलिस को भी है बल्कि चर्चा तो यहां तक है कि सिंडिकेट के संचालन में थाने का रोल भी है.
हॉस्पिटल में दलालों के खिलाफ छापेमारी करके डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है. बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन व पुलिस अधिकारियों के बीच पिछले दिनों हुई मीटिंग में यह बात सामने आई थी कि एसएस हॉस्पिटल में 60 से अधिक दलाल सक्रिय हैं. इन्हें लोकल थाना और बीएचयू छात्रों का शह प्राप्त है.
बेच रहे नाम डॉक्टरों का नाम
-अस्पताल में सक्रिय दलाल तरह-तरह के नायाब तरीके से मरीजों को ठगते हैं
-मरीजों की भीड़ में दूर-दराज से आने वालों को तलाशते हैं
-एक बार शिकार चुन लेने के बाद मरीज को नामी डॉक्टर से आसानी से दिखाने और दवा दिलाने का झांसा देते हैं
-बड़े व नामी चिकित्सकों का नेम प्लेट किसी रूम के बाहर लगाकर फर्जी डॉक्टर से भोर में दिखा देते है.
-दवा के नाम पर महंगी कैल्शियम लिखवाते है, जिससे मरीज की सेहत पर कोई नुकसान भी न पड़े.
-सिंडिकेट लंका के आसपास, रश्मि नगर, साकेतनगर, भगवानपुर आदि इलाकों में धड़ल्ले से चल रहा है.
बंधा है सबका हिस्सा
बीएचयू हॉस्पिटल में सक्रिय दलालों के सिंडिकेट में सभी का हिस्सा बंधा है. दलालों के पीछे दबंग स्टूडेंट्स का हाथ होता है. इनकी इजाजत के बिना कोई दलाल हॉस्पिटल कैंपस में दाखिल नहीं कर सकता है. पुलिस या बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन की कार्रवाई में यदि कोई दलाल पकड़ा जाता है तो दबंग स्टूडेंट उसे बचा लेते हैं और 20 से 25 हजार रुपये महीना की रकम वसूलते हैं.
बेहतर इलाज की आस में खेत-खलिहान बेचकर तो कोई जेवर गिरवी रखकर बीएचयू आता है. गेट पर कौन से दलालों को चुनना है ही गिद्ध की तरह दलालों की आंख उनपर नजर गड़ जाती है. हमदर्द बनकर उन्हें ठग लेते हैं. एक दलाल से सुबह से लेकर दोपहर तक दस मरीज भी फंस गए तो एक दिन में कम से कम पांच से दस हजार रुपये ऐंठ लेता है. वहीं दवा और जांच की दुकानों से कमीशन अलग मिलता है. कुछ दिनों पहले इनके खिलाफ अभियान चलाया गया था. करीब दो दर्जन से अधिक दलालों के फोटो भी जगह-जगह हॉस्पिटल में चस्पा की गयी थी लेकिन इन पर लगाम नहीं लगा.
बीएचयू में जबरदस्ती दवा दिलाने को लेकर बंधक बनाए गए लोहता निवासी प्रवीण सिंह की शिकायत पर लंका पुलिस ने बुधवार को सात दलालों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि प्रवीण अपने मित्र पंकज तिवारी को बीएचयू हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचे था. डॉक्टर को दिखाकर बाहर निकला कि गेट पर कुछ युवक जबरदस्ती दवा दिलाने के नाम पर आठ हजार रुपये की मांग करने लगे. पैसा नहीं देने पर सुपर स्पेसिएलिटी हॉस्पिटल ले गए और बंधक बनाकर मोबाइल छीन लिया. प्रवीण के पहचान करने पर पुलिस ने सुरेन्द्र मिश्रा, धनेश्वर सिंह, बृजेश कुमार पटेल, संतोष सिंह चौहान, आशीष सिंह, देवाशीष कुंदु, घनश्याम सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.
मरीज बेहाल, अस्पताल में दलालों का जाल
एम्स का दर्ज हासिल बीएचयू का सर सुंदरलाल हॉस्पिटल दलालों के सिंडिकेट में फंस गया है. बिहार यूपी सहित नेपाल और मध्य प्रदेश से आने वाले मरीजों को दवा और जांच के नाम पर शिकार बना रहे हैं. इस सिंडिकेट की कमाई का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दबंग इनसे ही हर महीनें लाखों की रंगदारी वसूलते हैं. बीएचयू एमसीए स्टूडेंट गौरव सिंह की हत्या की वजह भी दलालों से वसूली ही रही. दलालों की कारस्तानी की जानकारी पुलिस को भी है बल्कि चर्चा तो यहां तक है कि सिंडिकेट के संचालन में थाने का रोल भी है.
हॉस्पिटल में दलालों के खिलाफ छापेमारी करके डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है. बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन व पुलिस अधिकारियों के बीच पिछले दिनों हुई मीटिंग में यह बात सामने आई थी कि एसएस हॉस्पिटल में 60 से अधिक दलाल सक्रिय हैं. इन्हें लोकल थाना और बीएचयू छात्रों का शह प्राप्त है.
बेच रहे नाम डॉक्टरों का नाम
-अस्पताल में सक्रिय दलाल तरह-तरह के नायाब तरीके से मरीजों को ठगते हैं
-मरीजों की भीड़ में दूर-दराज से आने वालों को तलाशते हैं
-एक बार शिकार चुन लेने के बाद मरीज को नामी डॉक्टर से आसानी से दिखाने और दवा दिलाने का झांसा देते हैं
-बड़े व नामी चिकित्सकों का नेम प्लेट किसी रूम के बाहर लगाकर फर्जी डॉक्टर से भोर में दिखा देते है.
-दवा के नाम पर महंगी कैल्शियम लिखवाते है, जिससे मरीज की सेहत पर कोई नुकसान भी न पड़े.
-सिंडिकेट लंका के आसपास, रश्मि नगर, साकेतनगर, भगवानपुर आदि इलाकों में धड़ल्ले से चल रहा है.
बंधा है सबका हिस्सा
बीएचयू हॉस्पिटल में सक्रिय दलालों के सिंडिकेट में सभी का हिस्सा बंधा है. दलालों के पीछे दबंग स्टूडेंट्स का हाथ होता है. इनकी इजाजत के बिना कोई दलाल हॉस्पिटल कैंपस में दाखिल नहीं कर सकता है. पुलिस या बीएचयू एडमिनिस्ट्रेशन की कार्रवाई में यदि कोई दलाल पकड़ा जाता है तो दबंग स्टूडेंट उसे बचा लेते हैं और 20 से 25 हजार रुपये महीना की रकम वसूलते हैं.
बेहतर इलाज की आस में खेत-खलिहान बेचकर तो कोई जेवर गिरवी रखकर बीएचयू आता है. गेट पर ही गिद्ध की तरह दलालों की आंख उनपर नजर गड़ जाती है. हमदर्द बनकर उन्हें ठग लेते हैं. एक दलाल से सुबह से लेकर दोपहर तक दस मरीज भी फंस गए तो कौन से दलालों को चुनना है एक दिन में कम से कम पांच से दस हजार रुपये ऐंठ लेता है. वहीं दवा और जांच की दुकानों से कमीशन अलग मिलता है. कुछ दिनों पहले इनके खिलाफ अभियान चलाया गया था. करीब दो दर्जन से अधिक दलालों के फोटो भी जगह-जगह हॉस्पिटल में चस्पा की गयी थी लेकिन इन पर लगाम नहीं लगा.
बीएचयू में जबरदस्ती दवा दिलाने को लेकर बंधक बनाए गए लोहता निवासी प्रवीण सिंह की शिकायत पर लंका पुलिस ने बुधवार को सात दलालों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि प्रवीण अपने मित्र पंकज तिवारी को बीएचयू हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंचे था. डॉक्टर को दिखाकर बाहर निकला कि गेट पर कुछ युवक जबरदस्ती दवा दिलाने के नाम पर आठ हजार रुपये की मांग करने लगे. पैसा नहीं देने पर सुपर स्पेसिएलिटी हॉस्पिटल ले गए और बंधक बनाकर मोबाइल छीन लिया. प्रवीण के पहचान करने पर पुलिस ने सुरेन्द्र मिश्रा, धनेश्वर सिंह, बृजेश कुमार पटेल, संतोष सिंह चौहान, आशीष सिंह, देवाशीष कुंदु, घनश्याम सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.
Rakesh Jhunjhunwala Tips: राकेश झुनझुनवाला के ये टिप्स अपनाकर आप भी बन सकते हैं दलाल स्ट्रीट का Big Bull
राकेश झुनझुनवाला समय-समय पर निवेशकों को बाजार से पैसा बनाने के टिप्स के साथ ही जीवन में सफलता पाने का मंत्र भी देते थे. आइए जानते हैं राकेश झुनझुनवाला के वो 5 टिप्स, जिन्हें अपनाकर आप भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं-
Rakesh Jhunjhunwala Investment Tips: शेयर मार्केट के 'बिग बुल' कौन से दलालों को चुनना है राकेश झुनझुनवाला (Big Bull Rakesh Jhunjhunwala) अब हमारे बीच नहीं हैं (Rakesh Jhunjhunwala Passes Away). बिग बुल के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला को बीमारियों ने घेर रखा था (Rakesh Jhunjhunwala Death Reason), जिनसे लड़ते हुए आज वह दुनिया को अलविदा कह गए. उनके बारे में कहा जाता था कि जिस चीज को छू लें, वह सोना बन जाती है. शेयर बाजार में उन्होंने दुनिया को निवेश का तरीका सिखाया. कुछ दिन पहले ही उनकी एयरलाइंस आकासा (Rakesh Jhunjhunwala Akasa Air) ने उड़ान भरनी शुरू की थी.
Rakesh Jhunjhunwala : भारत के वॉरेन बफे
राकेश झुनझुनवाला ने दलाल स्ट्रीट में अपनी धाक ऐसे ही नहीं बनायी थी. 36 साल पहले राकेश झुनझुनवाला ने सिर्फ 5,000 रुपये से निवेश के सफर की शुरुआत की थी. आज उनकी नेटवर्थ तकरीबन 40 हजार करोड़ रुपये थी. पिछले महीने ही बिग बुल 62 साल के हुए थे. उनका जादुई हाथ जिस शेयर पर पड़ जाता था, वह रातोंरात बुलंदियों पर पहुंच जाता है. यही वजह है कि उनकी हर चाल पर निवेशकों की नजर रहती कौन से दलालों को चुनना है थी. शेयरों को चुनने में उनकी पैनी नजर बेजोड़ मानी जाती थी. इन्हीं वजहों से राकेश झुनझुनवाला को भारत के वॉरेन बफे (Warren Buffett) के नाम से जाना जाने लगा था.
Rakesh Jhunjhunwala Passes Away: भारत के 'वारेन बफे' राकेश झुनझुनवाला कैसे बने इतने फेमस?
Rakesh Jhunjhunwala Quotes
राकेश झुनझुनवाला समय-समय पर निवेशकों को बाजार से पैसा बनाने के टिप्स के साथ ही जीवन में सफलता पाने का मंत्र भी देते थे. आइए जानते हैं राकेश झुनझुनवाला के वो 5 टिप्स, जिन्हें अपनाकर आप भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं-
निवेश से पहले होमवर्क जरूरी : राकेश झुनझुनवाला कहते थे- कभी भी अनुचित या अनजाने शेयर पर कभी भी निवेश न करें. उन कंपनियों के लिए कभी न दौड़ें जो सुर्खियों में हैं. न्यूज बनाने वाले शेयरों के बजाय कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले स्टॉक का मूल्यांकन जरूर कर लें.
नुकसान के लिए तैयार रहें : बिग बुल कहते थे- नुकसान के लिए तैयार रहें. नुकसान शेयर बाजार निवेशक के जीवन का हिस्सा हैं. आप हर समय सही नहीं हो सकते हैं और इसलिए जब आप पैसा बनाने के लिए बाजार में हों, तो आपको एक जिद्दी निवेशक की तरह व्यवहार करने के बजाय घाटा सहने के लिए तैयार रहना चाहिए.
बाजार का कौन से दलालों को चुनना है सम्मान करें : राकेश झुनझुनवाला कहते थे- बाजार का सम्मान करें और अपना दिमाग खुला रखें. क्या दांव पर लगाना है, नुकसान कब उठाना है, यह जानिए और जिम्मेदार बनें. शेयर बाजार के अपने नियम होते हैं और यह इन्हीं नियमों पर चलता है. इन नियमों का सम्मान करके ही आप पैसा कमा सकते हैं.
जल्दबाजी में लिया गया फैसला घातक : बिग बुल का कहना था- जल्दबाजी में लिये गए फैसलों से हमेशा नुकसान होता है. एक निवेशक को कोई भी निवेश का निर्णय लेने से पहले समय लेना चाहिए. शॉर्ट टर्म मार्केट सेंटिमेंट्स के बजाय अपने दृढ़ विश्वास का साथ पालन करना ज्यादा सही है.
साहसी बनें : राकेश झुनझुनवाला कहते थे- साहस में प्रतिभा, शक्ति और जादू है. आप जो कुछ भी कर सकते हैं या करने का सपना देख सकते हैं, उसे शुरू करें. शेयर बाजार में खरीदारी किसी भी अन्य खरीदारी की तरह करें. जिस तरह आप आप सस्ती दरों पर सामान खरीदने की कोशिश करते हैं, आपको स्टॉक खरीदते समय भी ऐसा ही करना चाहिए.
Rakesh Jhunjhunwala कौन थे? उन्हें Big Bull के नाम से क्यों जाना जाता था?
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Har Ghar Tiranga कैंपेन के बहिष्कार का हक, लेकिन नरसिंहानंद ने 'हिंदुओं का दलाल' क्यों बोला?
Yati Narsinghanand जैसे लोगों को इस तरह की नफरती बयानबाजी करने की हिम्मत कहां से मिलती है? हरिद्वार धर्म संसद में हुई नफरती बयानबाजी के बाद ही कार्रवाई होती तो आज हिंदुओं का दलाल नहीं कह रहे होते.
Yati Narsinghanand Hate Speech : ज़हरीले बयान देने का फैशन अभी ताज़ा-ताज़ा शुरू नहीं हुआ है. 'देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को' से लेकर '15 मिनट पुलिस हटा लो' वाले बयान तक देख लीजिए. राजनीतिक फ़ायादा लेने के लिए समाज में ज़हर फैलाना नेताओं के लिए बेहद आम है. पिछले कुछ दिनों में इसका वीभत्स रूप देखने को मिला है. अगर सरकार के अंतर्गत काम करने वाला कोई केंद्रीय मंत्री, अपनी पहचान बनाने के लिए अनाप-शनाप बयानबाजी करने वाले नवसिखुआ नेताओं की तरह बोलने लगे तो उसे वीभत्स या भयानक ही कहा जा सकता है.
वैसे ग़लत तो वह रामभक्त गोपाल भी था. जिसने दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान फायरिंग कर दी थी. और वह शाहरुख़ पठान भी, जिसने CAA/NRC के खिलाफ साल 2020 में दिल्ली में साम्प्रदयिक दंगे के दौरान भीड़ पर फायरिंग की थी और पुलिस पर बन्दूक तान दिया था.
नफरती बयानबाजी पर तुरंत हो कार्रवाई
हालांकि सवाल यह है कि क्या गोपाल और शाहरुख़ की तुलना कौन से दलालों को चुनना है अनुराग ठाकुर या AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी से की जा सकती है जो कहता है कि तुम 100 करोड़, फिर भी 15 मिनट के लिए पुलिस हटाकर देख लो.
दरअसल जब भी इस तरह की बयानबाज़ी हो, उसपर तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत है. अन्यथा क्या हो सकता है उसका नमूना भी देख लीजिए. कहा जा सकता है कि नरसिंहानंद सरस्वती के यह ज़हरीले बोल उसी कड़ी का अगला हिस्सा है. जिसे हमने सालों से पाला है पोसा है. हिमाकत इतनी बढ़ चुकी है कि अब हमला सीधे सरकार पर कर दिया. आख़िर नरसिंहानंद सरस्वती को "हिंदुओं का दलाल" जैसे शब्द बोलने की क्या ज़रूरत आन पड़ी. वह किसे "हिंदुओं का दलाल" बता रहे हैं?
नरसिंहानंद सरस्वती जिस सलाउद्दीन की बात कर रहे हैं, अब ज़रा उसके बारे में भी जान लेते हैं.
कौन है सलाउद्दीन?
- सलाउद्दीन एक व्यापारी है.
- दक्षिण 24 परगना के बरुईपुर गांव का रहने वाला है.
- उसका गोदाम दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर में है.
- वह झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और
- असम की राज्य सरकारों को तिरंगे की आपूर्ति कर रहा है.
- बंगाल में कई शिक्षण संस्थानों और संगठनों ने भी उसे ऑर्डर दिए हैं.
- संस्कृति मंत्रालय ने तिरंगों की सप्लाई के लिए इसकी कंपनी को सूचीबद्ध किया है.
- 4 करोड़ तिरंगों में से सलाउद्दीन 60 लाख की सप्लाई करने को तैयार हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कुछ दिनों पहले तक तिरंगा बनाने का काम सिर्फ कर्नाटक में होता था.
पहले सिर्फ कर्नाटक में बनते थे तिरंगे
- हुबली शहर के बेंगेरी इलाका स्थित KKGSS में बनता था तिरंगा
- यह खादी और ग्रामाद्योग आयोग द्वारा सर्टिफाइड एकमात्र ऑथराइज्ड यूनिट है
- केवल इसी यूनिट को देश में आधिकारिक रूप से तिरंगा बनाने का हक
- KKGSS का गठन नवंबर 1957 में हुआ
- 1982 से KKGSS ने खादी बनाना शुरू किया
- 2005-06 में BIS ने राष्ट्रीय ध्वज बनाने का सर्टिफिकेट दिया
- आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय ध्वज की आपूर्ति KKGSS से होती है
- मौजूद भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में भी यहीं से जाता है झंडा
- KKGSS से कोई भी ऑर्डर कर खरीद सकता है तिरंगा
इंडियन फ़्लैग कोड 2002 के मुताबिक़, राष्ट्रीय ध्वज केवल हाथ से बुने हुए या हाथ से बुने हुए कपड़ों की सामग्री से ही बनाया जा सकता है. इससे कम समय में ज़्यादा संख्या में झंडा बनाना आसान नहीं.
फ़्लैग कोड में किया बदलाव
लेकिन पिछले साल दिसंबर में इस फ़्लैग कोड में बदलाव किया गया. इस बदलाव के बाद अब राष्ट्रीय ध्वज, हाथ से कातकर, हाथ से बुनकर या मशीन से बनाए कपड़ों- रेशम, सूती या पॉलिस्टर का भी बना हो सकता है. इस बार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग कपड़ा मिल मालिकों को झंडे बनाने का काम सौंपा गया है. हालांकि कंपनियां काम को समय से पूरा करने के लिए अपना ठेका दूसरे व्यापारियों को भी दे रहे हैं.
सवाल उठता है कि अगर केंद्र सरकार की तरफ से सलाउद्दीन को तिरंगा बनाने का ठेका दिया गया तो क्या इस तरह सरकार को हिंदुओं का दलाल कहना ठीक है? हमारे साथ इसी मुद्दे पर डिटेल में बात करने के लिए जुड़ गए हैं वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार.
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