13 Best Trading App in india 2022| भारत का सबसे अच्छा ट्रेडिंग ऐप

लेकिन अगर आप trading start करने या Trading app पर switch करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको apps के बारे में basic बातों की जांच करनी चाहिए और best app for stock market तथा Best Trading App in India (भारत का सबसे अच्छा ट्रेडिंग ऐप) के साथ निवेश करना चाहिए।

Table of Contents

What is Share market in hindi | what is Stock Market in hindi

Share Market तथा Stock Market एक ऐसा market है जहाँ काफी सारे companies के stocks या shares खरीदते और बेचते हैं. ये एक ऐसा स्थान है जहाँ कई लोग या तो बहुत पैसे कमा लिया करते हैं या तो अपने सारे पैसे गवा दिया करते हैं, किसी भी कंपनी का shares या stocks खरीदने का अर्थ है आप उस company में हिस्सेदार या partner बन जाना।

आप जितना भी पैसे लगाते हैं, तो आप लगाए हुए पैसे के हिसाब से कुछ percent के मालिक उस कंपनी के बन जाते हैं। जिसका अर्थ ये है की अगर उस कंपनी को future में मुनाफा हुआ तो आपके लगाए हुए पैसे से दुगना पैसा आपको मिलता है और यदि घाटा होता है तो आपका भी नुकसान होगा।

जिस तरह Share market in Hindi में पैसे कमाना या बनाना easy है ठीक उसी तरह यहाँ पैसे गवाना भी उतना ही easy है क्यूंकि stock market में उतार चढ़ाव होते रहते हैं.

What is a trading app?| ट्रेडिंग ऐप क्या है?

Trading app एक mobile app है जो Share Market में Trading की सुविधा प्रदान करता है। अलावा, यह आपको Market news, research reports, विभिन्न Shares prices आदि प्रदान करता है ताकि आप Share Market में trade करते समय एक Inform decision ले सकें। इसके अतिरिक्त, Trading apps आमतौर पर आपको IPO, Mutual Fund, Commodity, Gold आदि में Investment करने की सुविधा प्रदान करते हैं।

Trading app आपके Trading की Real-time processing offer करते हैं और आपके Shares के performance monitor करने में आपकी मदद करते हैं। आप किसी भी समय, कहीं भी एक Trusted app के साथ shares buy और sell कर सकते हैं।

List of best trading apps in India to earn money में जाने से पहले, आइए उन Factors पर एक नज़र डालें, जिन पर आपको शुरुआती लोगों के लिए Best trading app in india 2022 चुनते समय विचार करना चाहिए।

Points to keep in mind while choosing the best trading app

आप Broker को app से बदल रहे हैं और जानना चाहते हैं कि Which app is the best for trading in India? इसलिए, आपको Best trading app चुनते समय बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि यह आपके सभी Investments को संभालेगा। निम्नलिखित parameters के साथ उनका assessment करके Best Trading App in India चुनें।

1. Reliability

App की Reliability और credibility की जांच करना आवश्यक है। आपको app की Security के बारे में अच्छी तरह से research करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आप अन्य Users के Experience को जानने के लिए Online reviews देख सकते हैं।

2. User-friendly Interface

एक Complex interfaces के साथ Trading app आपके लिए Trading को एक difficult task बना सकता है। Trading को easy बनाने के लिए हमेशा simple लेकिन Clear interface वाले Trading apps की तलाश करें।

3. Fees and charges

Trading app आपके investment Manage करने के लिए अलग-अलग fee लेता है। इसलिए, app का उपयोग करने से पहले fee and charges की जांच करना महत्वपूर्ण है ताकि आपके Benefit app fees कि वजह से दूर न हों।

4. Features

आपको app features पर करीब से नज़र डालनी चाहिए। अपने Investment option की सहायता के लिए आवश्यक सुविधाओं के अनुसार app की list को brief करें।

सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब

कैश मार्केट में मार्जिन से जुड़े ने नियम 1 सितंबर से लागू हो गए हैं. सेबी ने इसे कुछ समय टालने की अपील ठुकरा दी है

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सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.

मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.

फिर, 1 सितंबर से क्या बदलने जा रहा है?
पहले हम यह समझते हैं कि शेयरों की डिलीवरी किस तरह होती है. अभी बाजार में डिलीवरी के लिए टी+2 (ट्रेडिंग प्लस दो दिन) मॉडल का पालन होता है. इसका मतलब है कि अगर आप सोमवार को शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह बुधवार को डेबिट या क्रेडिट होगा. इसी तरह शेयर का पैसा भी बुधवार को आपके अकाउंट में आएगा या उससे जाएगा. इस मॉडल में ब्रोकर्स क्लाइंट के अकाउंट में पैसा नहीं होने पर भी शेयर खरीदने की इजाजत देते हैं. यह इस शर्त पर किया जाता है कि आप पैसा टी+1 या टी+2 दिन में चुका देंगे.

अब सेबी ने जो नया नियम बनाया है, उसमें ब्रोकर को सौदे की कुल वैल्यू का 20 फीसदी क्लाइंट से अपफ्रंट लेना होगा. इसका मतलब यह है कि सौदे के वक्त क्लाइंट (रिटेल निवेशक) को 20 फीसदी रकम चुकाना होगा. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 20,000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.

शेयर बेचने के लिए मेरे ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन क्यों होना चाहिए?
सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं. ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.

ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.

यह नियम कुछ ज्यादा सख्त लगता है, क्या इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है?
इसका दूसरा तरीका है. सेबी ने बगैर मार्जिन शेयर बेचने की इजाजत दी है. लेकिन, इसमें शर्त यह है कि ब्रोकर के पास ऐसा सिस्टम होना चाहिए, जिसमें शेयर बेचने के दिन वह शेयरों को क्लाइंट के अकाउंट से अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लें. लेकिन, इसमें कुछ ऑपरेशनल दिक्कतें हैं.

इस नियम का बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
विश्लेषकों और इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए नियमों से ट्रेडिंग वॉल्यूम घटेगा. लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि पिछले 25 साल में जब भी नए नियम लागू किए गए, बाजार ने उसके हिसाब से खुद को ढाल लिया. नए नियम बाजार में जोखिम घटाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए लागू किए जाते हैं.

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What is Delivery Margin क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है in Zerodha in Hindi? | ज़ेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है?

अगर आपके फंड्स आपको डिलीवरी ट्रेडिंग के तहत आप की पसंद के स्टॉक में निवेश करने के लिए परेशान हैं तो अब आप को इस समस्या से परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसलिए आप अब आप डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए मार्जिन को कम करके ज्यादा से ज्यादा ट्रेड सकते हैं।

लेकिन ट्रेड करने से पहले क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है हमें डिलीवरी मार्जिन (delivery margin kya hai) के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। डिलीवरी मार्जिन (Delivery margin kaise kaam karta hai) काम कैसे करता है?

मार्जिन (What is delivery margin in Hindi) का मतलब लीवरेज या फिर फंड होता है जो किसी भी ब्रोकर द्वारा ट्रेडर को ज्यादा से ज्यादा ट्रेडिंग करने के लिए प्रदान किया जाता है। वैसे तो आमतौर पर यहीं होता है कि मार्जिन की सुविधाएं ब्रोकर इंट्राडे के लिए ही प्रदान की जाती है, लेकिन कुछ परिस्थिति में यह अपवाद भी होता है क्योंकि कुछ ब्रोकर ऐसे भी होते हैं जो डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए भी लीवरेज प्रदान करते हैं।

चलिए अब हम आगे आपको delivery margin in zerodha (What is delivery margin in zerodha in Hindi) क्या है और यह कैसे काम करता है तथा ऑप्शन और फ्यूचर ट्रेडिंग की जानकारी भी दे रहे हैं।

इन्वेस्टर्स की दुनिया में मार्जिन की खरीदारी करने का अर्थ होता है कि किसी भी ब्रोकर से शेयरों की खरीदारी करना। इन्वेस्टर्स सिर्फ मूल्य या एक निश्चित मार्जिन का पेमेंट ही करते हैं लेकिन बाकी के पैसे ब्रोकर ही प्रदान करता है।

इस सुविधा के कारण आप अपने पास मौजूदा पैसे से भी ज्यादा से ज्यादा ट्रेड करके शेयरों की खरीदारी कर सकते हैं। किंतु, यहां आपको एक बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि ब्रोकर ने एक निश्चित फ़ीसदी इंटरेस्ट चार्ज करके डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए मार्जिन (delivery margin kya hai) प्रदान किया है। इन्वेस्ट करने से पहले ब्रोकर के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल करने के बाद ही निवेश शुरू करना बेहतर रहता है।

What is Delivery Margin in Zerodha in Hindi?

अब आगे हम जानते हैं क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है कि जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है?

आगे बढ़ने से पहले हम यहां जेरोधा के बारे में भी आपको शॉर्ट में इंफॉर्मेशन दे रहे हैं।

जीरोधा (Zerodha Meaning in Hindi) की स्थापना साल 2010 में निखिल कामत और नितिन कामत ने मिलकर की थी। अब नितिन कामत जेरोधा के फाउंडर और सीईओ है।

सब-ब्रोकर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले नितिन कामत ने साल 2006 में रिलायंस के साथ मनी मैनेजर के तौर पर काम किया और साल 2010 के अंत तक अपने छोटे भाई के साथ मिलकर जेरोधा की स्थापना कर दी।

यह सब तो जीरोधा (Zerodha Meaning in Hindi) दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है जीरो + रोढा (Zero+ Rodha)। इसका मतलब है कि इस कंपनी में किसी भी ट्रेडर इन्वेस्टर्स को किसी भी प्रकार की बाधाएं नहीं आती है।

Zerodha हमारे देश की पहली ऐसी डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म है जिसने देश की ब्रोकिंग इंडस्ट्री का परिदृश्य बदल दिया है। वही Zerodha हमारे देश का ऐसा पहला ट्रेडिंग फर्म है जो मौजूदा ब्रोकरेज की रेट्स कम करके हर खरीद और बिक्री बिक्री पर फ्लैट दर से फीस की फैसिलिटी भी प्रदान करता है। साथ ही यह बीएसई , सेबी, एमसीएक्स , में एनसीडीईएक्स और एनएसई जैसे एक्सचेंज के साथ भी पंजीकृत है।

रिटेल और इनसीटूशनल ब्रोकिंग, कोमोडिटी, म्यूच्यूअल फंड , करेंसी और बॉन्ड की पेशकश करने के साथ ही Zerodha इक्विटी डिलीवरी निवेश के लिए भी निशुल्क है। हम आपको बता दें कि इस प्लेटफार्म में सिर्फ इक्विटी इंट्राडे , ऑप्शन और ट्रेड ट्रेक के लिए ही सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स की वसूली की जाती है।मौजूदा हालातों पर नजर करे तो वर्तमान में करीब 23 लाख से भी अधिक एक्टिव क्लाइंट जेरोधा के साथ जुड़े हुए हैं। अब यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि जीरोधा नए इन्वेस्टर के लिए सबसे बेस्ट प्लेटफॉर्म है।

अब हम आगे बढ़ कर आपको बताते हैं कि जेरोधा में क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है डिलीवरी मार्जिन (delivery margin kya hai) क्या है?

डिलीवरी शेयरों की बिक्री होने के बाद ब्रोकर मार्जिन ( what is delivery margin in zerodha in Hindi) को काटकर ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे क्रेडिट करता है। क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है इसी घटे हुए अमाउंट को डिलीवरी मार्जिन कहते हैं। आगे हम आपको इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हैं कि जेरोधा डिलीवरी मार्जिन (Delivery margin kaise kaam karta hai) कांसेप्ट कैसे काम करता है और आप किस प्रकार इसका इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा ट्रैक कर सकते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो जब भी आप अपने डिमैट अकाउंट से किसी भी शेर को बेचते हैं तो उस बेचे गए शेयर की कीमत का 80% आपके ट्रेडिंग अकाउंट में जमा होता है और बाकी का अमाउंट आपके डिलीवरी मार्जिन के तौर पर क्रेडिट होता है। इस मार्जिन को अगले ट्रेड के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

सेबी के पिक मार्जिन (delivery margin kya hai) के नियमों के अनुसार हम उसे कुछ हिस्सा कह सकते हैं।

Delivery Margin in Zerodha in Hindi

जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है इसे हम एक बहुत ही आसान तौर पर आप को समझा रहे हैं।

चलिए मान लीजिए कि आपके पास किसी भी कंपनी का एक शेयर है जिसे आप 550.50 रुपए में बेचना चाहते हैं।

अब इन संजोग में आपके ट्रेडिंग अकाउंट में T+1 डे में इसका 80% यानी 440.4 का अमाउंट क्रेडिट हो जाएगा और बाकी का 20% यानी कि 110.1 अमाउंट आपके अकाउंट में मार्जिन के तौर पर अवेलेबल होगा जिसे आप अपनी नेक्स्ट ट्रेड के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

वहीं आप ऑप्शन और फ्यूचर में ट्रेड कर रहे हैं और फिजिकल डिलीवरी की स्थिति भी ओपन है तो ऐसी परिस्थिति में आप का अतिरिक्त मार्जिन ब्लॉक हो जाएगा और इस अतिरिक्त मार्जिन को भी हम डिलीवरी मार्जिन की जैसे ही टैग करते हैं।

यहां पर कुछ ऐसी परिस्थितियां भी है जिनके बारे में आपको जानकारी होना बेहद ही जरूरी है।

लॉन्ग ITM ऑप्शंस में कोई भी अतिरिक्त मार्जिन ब्लॉक नहीं किया जाएगा।

लॉन्ग OTM ऑप्शंस में कॉन्ट्रैक्ट मूल्य का 50 % ब्लॉक हो जाएगा।

एक्सपायरी वाले दिन, ब्लॉक मार्जिन कॉन्ट्रैक्ट मूल्य या फिर स्पेन और एक्स्पोज़र मार्जिन का 40 फ़ीसदी होगा (जो भी इनमें से सबसे ज्यादा हो)।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है कि जेरोधा में डिलीवरी मार्जिन क्या है इस ट्रेडिंग सेगमेंट के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। इसके बावजूद भी आपके मन में अभी भी कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट सेशन में पूछ सकते हैं। हम जल्द ही आपको जवाब देने का प्रयास करेंगे।

Peak Margin rule| what is Sebi Peak margin for options trader| how to increase margin

स्टॉक मार्केट में trade करने के लिए, खासतौर से निफ़्टी -ऑप्शन और बैंक निफ़्टी-ऑप्शन में सेबी के नए नियम के हिसाब से अब आपको ज्यादा मार्जिन देना होगा ट्रेड करने के लिए आप उतना ही मार्जिन देना होगा जितना कि आप पहले डिलीवरी में मार्जिन देते थे.

मतलब अब आपको कोई भी मार्जिन ब्रोकर की तरफ से नहीं दिया जाएगा

चलो सबसे पहले जानते हैं

Peak margin kya hota hai

Peak margin penalty who charges broker or sebi

पीक मार्जिन वह मार्जिन होता है मार्जिन का मतलब पैसा एडवांस में दिया जाने वाला आपकी तरफ से अपने रिक्स को बचाने के लिए

शायद आपको समझ में आ गया होगा कहने का मतलब क्या है

कहने का मतलब यह है कि जैसे आप कोई निफ़्टी ऑप्शन या बैंक निफ़्टी ऑप्शन या किसी स्टॉक ऑप्शन में अपनी पोजीशन बनाते हैं खासतौर से ऑप्शन को आप सेल करते हैं

तब ऑप्शन को sell करने पर बहुत ज्यादा रिस्क होता है आपके loss करने का जोखिम बहुत जायदा बढ़ जाता है

तब इस risk को पहले से ही कैलकुलेट करके इसका पैसा ब्रोकर के जरिए एक्सचेंज

Nse Exchange or Stock Exchange अपने पास advanced में जमा करवा लेता है

पहले कौन देता था मार्जिन का पैसा

आज से ठीक 1 साल पहले मतलब सितंबर 2020 तक आपको ब्रोकर अपनी तरफ से trade करने के लिए यह पैसा एक्सचेंज के पास रख देता था . लेकिन इसमें कंडीशन यह होती थी कि आपको अपनी पोजीशन मतलब ट्रेड 3:00 बजे तक काट देनी होती है. अगर आप अपनी पोजीशन को 3:00 बजे तक नहीं काटते हैं, तब ब्रोकर अपने आप आपकी पोजीशन को काट देता है

पोजीशन क्या loss में भी कट जाती है

जी हां ब्रोकर यह नहीं देखता है कि आप loss कर रहे हैं या profit उसको अपना पैसा वापस चाहिए मार्केट बंद होने से पहले

SEBI ने यह नियम क्यों बनाया

सितंबर 2020 के बाद से सेबी ने यह नियम बनाया, हालांकि इस पर विचार बहुत सालों से चल रहा था.

नियम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी।

ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि इसमें बहुत सारे छोटे ट्रेडर जो बहुत ही मुश्किल का 1000 या 10,000 तक रुपए लेकर आते हैं और ब्रोकर ट्रेडर को 10 गुना मार्जिन देकर ट्रेड करवाता है.

इससे होता क्या था ट्रेडर्स प्रॉफिट लगभग नहीं बना पा रहे थे. और लगातार लॉस कर रहे थे छोटे ट्रेडर

सेबी का यह नियम बनाने का सिर्फ एक मकसद है कि लोगों को इन्वेस्टिंग की तरफ आकर्षित करना और लॉस करने से बचाना फ्यूचर एंड ऑप्शन से

ब्रोकर का विरोध

इंडिया के लगभग सभी broker इस नियम का शुरू से ही विरोध कर रहे हैं ऐसा करने के पीछे उनका सिर्फ एक कारण है ट्रेडर , ट्रेड करना कम कर देंगे इस वजह से उनके ब्रोकरेज कमिशन brokerage commission से होने वाली इनकम कम हो जाएगी

How to calculate peak margin

Peak margin penalty calculation

इसका कैलकुलेशन बहुत सारे factors से पड़ता है जैसे निफ्टी का पीक मार्जिन, बैंक निफ्टी के peak margin से कम रहता है कारण बैंक निफ्टी बहुत ही ज्यादा वोलेटाइल रहता है और इसके कितनी भी ज्यादा दूरी तक भागने की संभावना रहती है इसलिए यह ज्यादा नुकसान दे सकता है

उसी तरह से अगर आप अलग-अलग Stock options को देखते हैं जो stocks nifty 50 की केटेगरी वाले होते हैं उनमें मार्जिन थोड़ा काम रहता है और दूसरे स्टॉक्स में थोड़ा ज्यादा

और भी बहुत सारे कारण होते हैं, यह ऊपर नीचे करता रहता है. peak margin

Peak Margin Penalty

यह penalty exchange के द्वारा लगाई जाती है, ट्रेडर के ऊपर इसका पैसा broker आप के अकाउंट से कट करके exchange को देता है.

कब लगता है पेनल्टी?

जब आप मार्जिन रखने के बाद ट्रेड करते हैं तब आपका मार्जिन अगर मार्केट वोलेटाइल होता है या आपकी ट्रेड लॉस में जाने लगती है तब आपका मार्जिन शार्ट करने लगता है,

इस केस में ब्रोकर आपको मैसेज और मेल के जरिए इनफॉर्म करता है कि आप इसमें फंड ऐड करें

अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तब आपको peak margin penalty देनी होगी जो कुछ कैलकुलेटेड होती है

इससे बचने के लिए आपको अपने अकाउंट में हमेशा कुछ एक्स्ट्रा पैसे डाल कर रखने चाहिए

और आपको अपनी trade position हमेशा check करती रहनी चाहिए अगर आप अपनी पोजीशन को सही तरीके से adjust करेंगे और मैनेज करेंगे तब आप इस मैं मुनाफा भी कमाएंगे और इस तरह की पेनल्टी से भी हमेशा दूर रहेंगे

How to inrease intraday margin

margin kaise bada sakte hai hum intraday trade karne ke liye

दोस्तों margin तो कम हो गया है, लेकिन कुछ Brokers बहुत ही अच्छी फैसिलिटी दे रहे हैं, आप ऐसा करके काफी हद तक इंट्राडे मार्जिन बढ़ा सकते हैं ये तरीका काफी बढ़िया और आसान भी है.

इसके लिए आपको बस यह करना होगा कि आप कुछ stocks खरीद ले और उन स्टॉक्स को खरीदने के बाद stocks pleadge कर दे

ऐसा करने से आपके स्टॉक आपके पास ही रहेंगे उनमें जो प्रॉफिट होगा वह आपका ही होगा और साथ ही साथ यहां पर आपको एक्स्ट्रा मार्जिन भी मिल जाएगा आप इस मार्जिन का इस्तेमाल करके इंट्राडे ट्रेड का सकते हैं या आप डिलीवरी भी ले सकते हैं

Share Broker या Stock Broker क्या होता है? Stock Broker कैसे बने? जानिए Stock Broker बनने से जुड़ी सभी जानकारी हिंदी में

आज हम जानेंगे स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) कैसे बने पूरी जानकारी (How to Become Share Broker/Stock Broker In Hindi) के बारे में क्योंकि आपने कभी ना कभी टीवी पर या फिर अखबारों में शेयर मार्केट, स्टॉक ब्रोकर, स्टॉक एक्सचेंज, सेंसेक्स या फिर निफ़्टी के बारे में अवश्य सुना होगा। ऐसे कई लोग हैं, जो कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज में अपने पैसे इन्वेस्ट करते हैं। स्टॉक एक्सचेंज को सामान्य भाषा में शेयर मार्केट कहा जाता है। दुनिया के अधिकतर विकसित और विकासशील देशों में शेयर बाजार होता है, जिसे हिंदी में शेयर बाजार और अंग्रेजी में Share Market कहा जाता है।

शेयर मार्केट में क्या स्टॉक ब्रोकर मार्जिन फैसिलिटी भी देते है एक पोस्ट होती है Stock Broker की। स्टॉक ब्रोकर शेयर मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करने वाले और शेयर मार्केट बाजार के बीच एक मेडिएटर का काम करता है। अगर आप स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं या फिर शेयर ब्रोकर बनना चाहते हैं, तो आर्टिकल को अंत तक पढ़े। आज के इस लेख में जानेंगे कि Stock Broker Kaise Bane, स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए क्या करे, Stock Broker Meaning In Hindi, Stock Broker Kaun Hota Hai, स्टॉक ब्रोकर बनने का तरीका, Stock Broker Kaise Bante Hain, आदि की सारी जानकारीयां विस्तार में जानने को मिलेंगी, इसलिये पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढे़ं।

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