SEBI ने डेरिवेटिव सेगमेंट में डिलीवरी डिफॉल्ट के लिए नई रूपरेखा जारी की

RBI ने कहा- अस्थिर वैश्विक हालात से NPA बढ़ने का है खतरा

शेयर मार्केट में कौन से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) का कारोबार होता है?

शेयर मार्केट में कौन से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) का कारोबार होता है?

स्टॉक मार्केट केवल शेयरों तक ही सीमित मुद्रा डेरिवेटिव के नुकसान नहीं है इसमें कई और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट भी शामिल हैं . ये इंस्ट्रूमेंट एक बड़ा रिटर्न भी देते हैं . निवेशक अपना पैसा शेयर मार्केट में पूंजी मुद्रा डेरिवेटिव के नुकसान बनाने के लिए लगाते हैं . कुछ निवेशक लंबी अवधि ( लॉन्ग टर्म ) के लिए और कुछ छोटी अवधि ( शॉर्ट टर्म ) के लिए पैसा लगाते हैं . आमतौर पर लोगों को लगता हैं कि शेयर मार्केट में सिर्फ शेयरों का ही कारोबार होता है लेकिन ऐसा नहीं है . शेयरों के अलावा और भी कई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट ( वित्तीय साधन ) हैं , जिनका शेयर मार्केट में कारोबार होता है . इस आर्टिकल ( लेख ) में हम उनके बारे में बात करेंगे .

आज से बदल गया RBI विनियमित बाजारों में कारोबार का समय, अब महामारी से पहले वाले समय पर ही होगी ट्रेडिंग

RBI Regulated Markets Started Trading At 9 AM From

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। Reserve Bank of India (भारतीय रिजर्व बैंक) ने उन बाजारों की ट्रेडिंग टाइमिंग महामारी से पहले जैसे समय पर कर दिया है जिसका विनियमन वह खुद करता है। आरबीआई विनियमित बाजारों में आज से 9 बजे से कारोबार शुरू हो गया है। इससे पहले आरबीआई विनियमित ट्रेडिंग 10 बजे सुबह शुरू हुआ करती थी।

इस निर्णय के बारे में सूचित करते हुए आरबीआई ने कहा कि 'पाबंदियों में दी गई छूट और विभिन्‍न ऑफिस में लोगों के क्रियाकलापों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि विनियमित वित्‍तीय बाजारों के खुलने के समय को महामारी से पहले के समय मुद्रा डेरिवेटिव के नुकसान 9.00 बजे सुबह कर दिया जाए।'

Market Outlook This Week: ग्लोबल ट्रेंड से तय होगी बाजार की चाल, डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

Market Outlook This Week: ग्लोबल ट्रेंड से तय होगी बाजार की चाल, डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से रहेगा उतार-चढ़ाव

स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह ग्लोबल ट्रेंड्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी.

Market Outlook This Week: स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह ग्लोबल ट्रेंड्स और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के प्रवाह से तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा कि इस सप्ताह घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ा आंकड़ा नहीं आना है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक का ब्योरा जारी होगा, जिससे बाजार को आगे के लिए संकेतक मिलेंगे.

क्या है एक्सपर्ट्स की राय

  • रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर कोई बड़ी घटना नहीं होने की वजह से स्थानीय बाजार की दिशा ग्लोबल ट्रेंड, कच्चे तेल के दाम और मुद्रा के उतार-चढ़ाव से तय होगी.
  • इसके अलावा नवंबर माह के डेरिवेटिव एक्सपायरी की वजह से भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. वैश्विक बाजारों में भी कुछ कमजोरी का रुख देखने को मिला.
  • स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, ‘‘संकेतकों के अभाव में बाजार ने सीमित दायरे में कारोबार किया. डेरिवेटिव एक्सपायरी के बीच अब बाजार को दिशा के लिए संकेतकों का इंतजार रहेगा. इस बात की काफी संभावना है कि बाजार अभी ऊपर की ओर जाए. हालांकि, व्यापक रूप से बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिल रही है.’’

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मुद्रा डेरिवेटिव के नुकसान

SEBI ने डेरिवेटिव सेगमेंट में डिलीवरी डिफॉल्ट के लिए नई रूपरेखा जारी की

Sebi issues new framework for delivery

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया(SEBI) ने क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(CCIL) के साथ मिलकर मुद्रा डेरिवेटिव के नुकसान डेलिवेरी डिफॉल्ट की स्थिति में कमोडिटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट के लिए एक नई दंड संरचना तैयार की।

  • कृषि और गैर-कृषि वस्तुओं में, विक्रेता द्वारा डेलिवेरी डिफ़ॉल्ट के लिए जुर्माना क्रमशः प्रतिस्थापन लागत के साथ निपटान मूल्य का 4% और 3% होगा।

नोट – व्युत्पन्न दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच एक अनुबंध है, जिसका मूल्य अंतर्निहित वित्तीय परिसंपत्ति या परिसंपत्तियों के सेट पर आधारित है।

ग्रोथ का अनुमान घटाया, महंगाई का अनुमान बरकरार

कोटक सिक्यॉरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट, करेंसी डेरिवेटिव्स, अनिंद्य बनर्जी ने कहा कि रिजर्व बैंक ने बाजार के अनुमान के मुताबिक रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई का अनुमान 6.7 फीसदी बरकरार रखा गया है. वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई का अनुमान 5.2 फीसदी है. बाजार का अनुमान है कि दिसंबर में भी रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाएगी. दिसंबर अंत में यह बढ़कर 6.25 फीसदी या 6.4 फीसदी पर पहुंच सकता है. चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ का अनुमान 7.2 फीसदी से मामूली घटाकर 7 फीसदी कर दिया गया है. रुपया पर दबाव जारी है और यह स्पॉट मार्केट में 81.40-82.00 के दायरे में कारोबार करता रहेगा.

YES BANK के चीफ इकोनॉमिस्ट इंद्रनील पान ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए के प्रदर्शन को संभालने के लिए रिजर्व बैंक फेड के साथ इंट्रेस्ट रेट हाइक को तालमेल कर रखेगा. आरबीआई ने कोई इशारा तो नहीं किया है, लेकिन फरवरी 2023 तक रेपो रेट 6.5 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है. उम्मीद है कि दिसंबर और फरवरी में फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाएगी.

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