..तो वाहनों की संख्या देख बढ़ जाएगा उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण ग्रीन लाइट का समय
अमृत विचार, अयोध्या। शहर की यातायात व्यवस्था को समझने के लिए मंडलायुक्त गौरव दयाल अमानीगंज स्थित आईटीएमएस उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण कंट्रोल रूम पहुंचे। यहां पूरी व्यवस्थाओं को देखने के बाद उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण उन्होंने निर्देश दिया कि शहर में अडॉप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम के साफ्टवेयर का भी उपयोग किया जाए, जिसके अंतर्गत ट्रैफिक लाइट पर वाहनों की संख्या ज्यादा होने पर ग्रीन लाइट का वक्त खुद से बढ़ जायेगा। अगर इसके उपयोग के बाद साफ्टवेयर में कोई समस्या आती है तो उसे तत्काल ठीक किया जाए।
मंगलवार को मंडलायुक्त ने अमानीगंज स्थित जल विश्लेषण प्रयोगशाला और प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिये आईटीएमएस प्रणाली के कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया। आईटीएमएस कंट्रोल रूम के निरीक्षण के दौरान कार्यदायी संस्था के प्रतिनिधियों की ओर से आईटीएमएस के कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि इसके तहत शहर के 20 चौराहों पर तीन खास तरह के कैमरे लगाये गये हैं, जिसमें रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन कैमरा, एएनपीआर कैमरा व सर्विलांस कैमरा है।
सर्विलांस कैमरे खासतौर पर पुलिस की मदद के लिए लगाए गए हैं। मंडलायुक्त ने कहा कि यह बहुत उपयोगी है इसमें लाइव के अलावा स्टोरेज व्यवस्था नहीं है, इसकी स्टोरेज व्यवस्था भी आवश्यक है। प्रतिनिधियों की ओर से बताया गया कि अभी तक शहर के 20 चौराहों पर इस प्रकार के कैमरे स्थापित हैं तथा शहर के 14 चौराहों पर लाउड स्पीकर की भी सुविधा उपलब्ध है, जिसके तहत शहरवासियों को ट्रैफिक नियम का पालन करने के लिये जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाउड स्पीकर की व्यवस्था शहर के अन्य सभी प्रमुख चौराहों पर करते हुए जागरूक करने का काम किया जाए।
सीएम बुनकर सौर ऊर्जा योजना का संचालन जल्द: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी नितीश कुमार ने बताया कि जनपद में पावरलूम बुनकरों/समिति/यूनिट के उत्थान के लिये मुख्यमंत्री बुनकर सौर ऊर्जा योजना उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण का संचालन किया जाना प्रस्तावित है। नियमित विद्युत आपूर्ति के अभाव में अधिकांश बुनकरों की ओर से डीजल जनरेटर उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण का उपयोग पावरलूम के संचालन के लिये किया जाता है, जिसके फलस्वरूप वायु प्रदूषण का संकट बढ़ता है।
अयोध्या/देवीपाटन मंडल के पावरलूम बुनकरों/समिति/यूनिट से निवेदन है कि उपरोक्त योजना का लाभ लेने के लिये किसी भी कार्य दिवस में योजना का गाइड लाइन के अनुसार आवेदन के लिये कार्यालय सहायक आयुक्त, उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग, परिक्षेत्र अयोध्या से संपर्क कर सकते हैं। योजना में सामान्य पावरलूम बुनकर 50 प्रतिशत शासकीय अनुदान एवं 50 प्रतिशत स्वयं अपने स्रोतों से जमा करना पड़ेगा।
18 प्रतिशत सुधार के साथ कोयले की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि
कोयला मंत्रालय तथा कोयला कंपनियों ने सभी उपभोक्ताओं को गुणवत्ता संपन्न कोयले की सप्लाई के उद्देश्य को पाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। कोयला कंपनियां 100 प्रतिशत गुणवत्ता संतुष्टि हासिल करने का प्रयास कर रही हैं। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) साधनों से घोषित ग्रेड की कोयले सप्लाई की अनुरूपता में काफी सुधार हुआ है। 2022-23 (नवंबर 2022 तक) में ग्रेड अनुरूपता बढ़कर 69 प्रतिशत हो गई है, जो 2017-18 में 51 प्रतिशत थी।
गुणवत्ता में सुधार के लिए उठाए गए कदमों में कोयला खदानों का समय-समय पर ग्रेड निर्धारण, सरफेस माइनर जैसी उन्नत खनन टेक्नोलॉजी को लागू करना, धुले कोयले की सप्लाई, कोयले की सतह से रैपिड लोडिंग साइलो तक बेल्ट पर कोयले के सीधे परिवहन के लिए पहले मील की कनेक्टिविटी, ऑटो एनेलाइजर आदि प्रमुख हैं। विभिन्न अधिकारियों/एजेंसियों को घोषित ग्रेड के अनुरूप कोयले की सप्लाई सुनिश्चित करने का उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण काम सौंपा गया है। ग्रेड में अंतर का प्राथमिक कारण भारतीय कोयले की अंतर्निहित विषम प्रकृति है। इसका अर्थ है विभिन्न बिंदुओं पर एक ही सीम के भीतर निकाले गए कोयले का कैलोरी मूल्य भिन्न होता है।
मंत्रालय के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालय, कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) नियमित रूप से समीक्षा करता है और कोयला खदानों के ग्रेड को घोषित करता है। इसमें वार्षिक कोयला खान/लोडिंग प्वाइंट, ग्रेड घोषणा कार्य उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण शामिल हैं। उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ाने के लिए खान से डिस्पैच स्थान तक कोयले के गुणवत्ता प्रबंधन पर विशेष बल दिया गया है। अब सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के पास स्वतंत्र थर्ड पार्टी सैंप्लिंग एजेंसियों (टीपीएसए) के माध्यम से सप्लाई गुणवत्ता निर्धारण का विकल्प है। मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी एजेंसियों को डीआईएस मानकों के तहत लोड किए गए कोयला बैगनों/लॉरियों से उपलब्ध प्लेटफार्मों का विश्लेषण कोयले की गुणवत्ता का पता लगाने के काम लगाया गया है। उपभोक्ताओं को पसंदीदा थर्ड पार्टी एजेंसियां उपलब्ध कराने के लिए सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ माइनिंग एंडे फ्यूल रिसर्च (सीआईएमएफआर) तथा भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के अतिरिक्त दो और एजेंसियों- विद्युत तथा गैर विद्युत क्षेत्रों के लिए मेसर्स एसजीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (सीआईएल), विद्युत क्षेत्र के लिए मेसर्स मित्रा एस के प्राइवेट लिमिटेड को पैनल में शामिल किया गया है। विद्युत/गैर विद्युत क्षेत्र सभी के उपभोक्ता पैनल में शामिल किसी भी एजेंसी की सेवा लेने के लिए स्वतंत्र हैं। कोयला कंपनियां थर्ड पार्टी एजेंसियों द्वारा सैंप्लिंग लागत का 50 प्रतिशत साझा करती हैं। उपभोक्ताओं को कोयले की संयुक्त सैंप्लिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। खदानों में गुणवत्ता जागरूकता लाने के लिए कोयला कंपनियां गुणवत्ता सप्ताह और गुणवत्ता पखवाड़ा नियमित अंतराल पर उपभोक्ता प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ आयोजित कर रही हैं। निरंतर निगरानी, अधिक जागरूकता अभियानों तथा सुधार उपाय से कोयले की सप्लाई में गुणवत्ता अनुरूपता दिखने लगी है।
सीआईएल प्रारंभ में कोयला सप्लाई की घोषित ग्रेड के अनुसार उपभोक्ताओं को बिल देती है। यह अस्थायी बिल बाद में तब समायोजित होता है जब कोयले की वास्तविक गुणवत्ता की जांच होती है और इसे अधिकृत थर्ड पार्टी सैंप्लिंग एजेंसी द्वारा प्रमाणित किया जाता है। डेबिट/क्रेडिट बिलों के समाधान और भुगतान के लिए एक वाणिज्यिक व्यवस्था है जो तीसरे पक्ष की वैधता और संदर्भित सैंप्लिंग विश्लेषण परिणाम पर आधारित है। सीआईएल द्वारा सप्लाई किए गए कोयले की समग्र ग्रेड समानता सीआईएल द्वारा जारी क्रेडिट और डेबिट नोट के सकल प्रभाव से स्पष्ट होती है। इससे दिखता है कि 2021-22 के दौरान सीआईएल ने 400 करोड़ रुपए का बोनस अर्जित किया है और चालू वित्त वर्ष के दौरान अक्टूबर 2022 तक लगभग 201 करोड़ रुपए का बोनस कमाया है।
कोयला सप्लाई की थर्ड पार्टी वैधता देखने के लिए उपभोक्ताओं/जन साधारण के लिए कोल ऐप उत्तम (UTTAM) उपलब्ध है। अनेक उपभोक्ता अपना कोयला उपयोग नियोजित करने में इस ऐप का लाभ उठा रहे हैं।
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