Pension Contributions : सुप्रीम कोर्ट ने ज्यादा पेंशन कंट्रीब्यूशन को दी मंजूरी, क्या कर्मचारियों को होगा कोई फायदा?
Pension Contributions : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सवाल उठता है कि क्या ईपीएस मेंबर्स को ज्यादा सैलरी पर ईपीएस स्कीम में कंट्रीब्यूट करना चाहिए? यह निवेश जोखिम के प्रकार मौजूदा उम्र, रोजगार की स्थिति, जोखिम लेने की भूख, स्वास्थ्य की स्थिति, कैश फ्लो की जरूरत, टैक्स आदि कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगा। यह इलिजिबल कर्मचारी निवेश जोखिम के प्रकार को दूसरे ऑप्शंस का मूल्यांकन करना चाहिए और फिर चुनना चाहिए
Radhika Viswanathan, Executive Director, Deloitte Haskins & Sells LLP
Pension Contributions : सुप्रीम कोर्ट के ज्यादा पेंशन कंट्रीब्यूशन से जुड़े आदेश पर खासी चर्चा हुई है। क्या यह एम्प्लॉइज पेंशन स्कीम (Employees’ Pension Scheme) यानी EPS के मेंबर्स के लिए अच्छी खबर है? आखिर इस फैसले के क्या मायने हैं? एम्प्लॉइज हर महीने अपने वेतन का लगभग 12 फीसदी प्रॉविडेंट फंड (provident fund) में कंट्रीब्यूट करते हैं और इतना ही एम्प्लॉयर जमा करता है। इम्प्लॉयर के कंट्रीब्यूशन में से 8.33 फीसदी ईपीएस में चला जाता है। हालांकि, इस उद्देश्य के लिए वेज सीलिंग (जो फिलहाल 15,000 रुपये है) लगी हुई है। दूसरे शब्दों में, हर महीने का पेंशन कंट्रीब्यूशन 1,250 रुपये से ज्यादा नहीं होता है।
भले ही स्कीम एम्प्लॉइज को ईपीएस स्कीम (EPS scheme) के लिए ज्यादा पे पर अंशदान का विकल्प दिया गया है, लेकिन व्यवहार में ज्यादा कर्मचारियों ने इसे अपनाया नहीं है।
गेम चेंजर साबित हो सकती है रिलायंस की ओर से पेश 5 करोड़ की विश्व स्तर पर वैध हेल्थ कवर
हर कोई स्वास्थ्य और वित्तीय सुरक्षा चाहता है. रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कई लाभों की पेशकश करते हुए विश्व स्तर पर वैध 5 करोड़ रुपये की नई स्वास्थ्य नीति लेकर आया है. दूसरी ओर, क्वांट और एसबीआई म्युचुअल फंड जोखिम-मुक्त योजनाएं लेकर आए जो सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं और अधिकतम वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं.
हैदराबाद: आज के समय में हर कोई स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की तलाश में है. हाल ही में, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड (RGICL) एक नई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेकर आई है, जो आपको दुनिया में कहीं भी चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में सक्षम बनाती है. इस ग्लोबल वैलिड पॉलिसी को 'रिलायंस हेल्थ इनफिनिटी पॉलिसी' के नाम से लाया गया है. इसे न्यूनतम 5 लाख रुपये से लेकर अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक लिया जा सकता है.
इसमें 1.5 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पॉलिसी जोड़ी जा सकती हैं. यह पॉलिसी मातृत्व व्यय, ओपीडी, बिना किसी सीमा के कमरे के किराए का भुगतान, एयर एंबुलेंस आदि जैसे लाभ प्रदान करती है. 'रिलायंस हेल्थ इन्फिनिटी पॉलिसी' को परिवार के 8 सदस्यों तक को कवर करने के लिए चुना जा सकता है. इसे एक, दो या तीन साल की अवधि के लिए लिया जा सकता है. 18 से 65 साल के आयु वर्ग के लोग पॉलिसी ले सकते हैं. बच्चों को 91 दिनों से पॉलिसी में शामिल किया जा सकता है.
प्री-स्क्रीनिंग के बाद ही 55 साल से ज्यादा उम्र वालों को पॉलिसी दी जाएगी. 750 से ऊपर क्रेडिट स्कोर, सही बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) और महिला पॉलिसीधारकों को प्रीमियम में छूट की पेशकश की जाती है. स्वास्थ्य बीमा के अलावा, लोग आर्थिक रूप से सुरक्षित रहने के लिए जोखिम मुक्त निवेश की तलाश कर रहे हैं. विशेषज्ञ सरकारी प्रतिभूतियों को बेहतरीन विकल्प बता रहे हैं. इस पृष्ठभूमि में क्वांट म्युचुअल फंड ने एक नया गिल्ट फंड लॉन्च किया है. इस स्कीम क्वांट गिल्ट की एनएफओ (न्यू फंड ऑफरिंग) की क्लोजिंग डेट 19 दिसंबर थी.
न्यूनतम निवेश 5,000 रुपये है. यह मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है. हम ऐसे कम जोखिम वाले फंडों पर सुरक्षित रूप से भरोसा कर सकते हैं. लगभग 80 प्रतिशत धन सरकारी प्रतिभूतियों में आवंटित किया जा सकता है और शेष धन जी-सेक ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और अन्य ऋण उपकरणों में निवेश किया जा सकता है. इस योजना के प्रदर्शन की तुलना 'क्रिसिल डायनेमिक गिल्ट इंडेक्स' से की जाएगी. चूंकि यह एक गिल्ट फंड है, इसमें नुकसान का लगभग कोई जोखिम नहीं है.
जो निवेशक बिना जोखिम के लगातार रिटर्न चाहते हैं, वे इस योजना में निवेश कर सकते हैं. कुछ फंड निवेश जोखिम के प्रकार बहुत कम जोखिम उठाते हैं. एसबीआई म्यूचुअल फंड ने 'ऋण योजना' श्रेणी के तहत एक नई म्यूचुअल फंड योजना शुरू की है. 'एसबीआई लॉन्ग ड्यूरेशन' नाम की इस स्कीम का एनएफओ 20 दिसंबर को खत्म हो गया. एनएफओ में न्यूनतम निवेश 5,000 रुपये है. यह एक ओपन एंडेड स्कीम थी. यह डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है.
इस योजना में, निवेश ज्यादातर सात साल से अधिक की परिपक्वता वाले दीर्घकालिक बांडों के लिए आवंटित किए जाते हैं. यह भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद/ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीद जैसे उपकरणों में भी निवेश करता है. इस प्रकार यह निवेशकों को कम जोखिम के साथ उच्च प्रतिफल अर्जित करना चाहता है. जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो बॉन्ड पर रिटर्न कम हो जाता है. वहीं, अगर ब्याज दरें गिरती हैं तो बॉन्ड पर यील्ड बढ़ेगी. इसलिए अगर लंबी अवधि में ब्याज दरें घटती हैं तो लंबी अवधि की स्कीमों को अच्छा रिटर्न मिलेगा.
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FSHR मूल्य जानकारी
FSHR बाजार की जानकारी
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आइए समझें टैक्स सेविंग वाले म्यूचुअल फंड का निवेश क्यों है सबसे फायदेमंद
ELSS ईएलएसएस ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका सर्वाधिक भाग (65% से अधिक) शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज में निवेश कि जाता है. साथ ही इसका एक हिस्सा फिक्स्ड इंकम प्रतिभूति (fixed-income securities) आदि में भी लगाया जाता है.
म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प.
म्यूचुअल फंड में निवेश आज की तारीख में सबसे बेहतर निवेश माना जा रहा है. कारण सिर्फ यह है कि अगर कोई भी नौकरीपेशा या बिजनेसमैन यह चाहता है कि वह अपने काम के साथ अपने पैसे को बढ़ाना चाहता है और उस पर ज्यादा सोच विचार का समय नहीं है तब म्यूचुअल फंड का निवेश उसके सामने एक अच्छा विकल्प है. साथ ही ऐसे निवेशकों के लिए यह सबसे उपयोगी जो बाजार के उतार-चढ़ाव को तो समझते हैं मगर उससे सीधे जुड़े नहीं रह पाते हैं. नौकरी या बिजनेस उन्हें इतना वक्त नहीं देता कि वे बाजार की चाल के साथ निवेश कर सकें और अपना पैसा सही समय में निकाल सकें. ऐसे लोगों के लिए म्यूचुअल फंड शानदार मौका उपलब्ध कराता है जिससे वे अपने पैसे का ज्यादा रिटर्न ले सकें.
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म्यूचुअल फंड में एक फंड टैक्स सेविंग फंड भी होता है जिसे आम तौर पर ELSS (Equity Link Saving scheme) कहते हैं. चूंकि यह एक टैक्स सेविंग स्कीम है तो इसके साथ कुछ पाबंदियां भी आती हैं. यानि इस योजना में कुछ लॉकिन इन समय है. इससे साफ है कि इस दौरान आप निवेश की गई राशि निवेश जोखिम के प्रकार को निकाल नहीं सकते हैं. अमूमन यह लॉकइन समय कम से कम तीन साल का होता है.
ELSS ईएलएसएस ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका सर्वाधिक भाग (65% से अधिक) शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज में निवेश कि जाता है. साथ ही इसका एक हिस्सा फिक्स्ड इंकम प्रतिभूति (fixed-income securities) आदि में भी लगाया जाता है.
चूंकि इनमें निवेश लॉकइन समय के साथ आता है. तो सरकार की ओर से आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है. यह साफ करना भी जरूरी है कि इस सेक्शन के तहत केवल 150000 रुपये सालाना ही टैक्स में छूट का दायरा है. क्योंकि यहां पर टैक्स में छूट के साथ कमाई भी हो रही है तभी इसे टैक्स सेविंग स्कीम भी कहा जा रहा है.
जानकारी के लिए बता दें कि आयकर के सेक्शन 80 सी के तहत कुछ अन्य निवेश और खर्च भी आते हैं. इनमें EPF, PPF, NSC, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना, जीवन बीमा आदि भी सम्मिलित हैं. टैक्स की लिमिट में इन सभी को शामिल किया जाता है.
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या ELSS की मुख्य बातों को ऐसे समझें
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या कहें म्यूचुअल फंड एक प्रकार से कई लोगों के पैसे को इकट्ठा कर बाजार में निवेश किया जाता है. नाम से ही साफ हो जाता है कि जिस भी कंपनी के माध्यम से हम निवेश कर रहे हैं वह कंपनी पैसे एकत्र कर निवेश करती है. कंपनी के पास अपने फंड मैनेजर होते हैं जो हमेशा बाजार की चाल पर नजर रखते हैं और निवेश करने में बेहतर रिटर्न के साथ पैसे की सुरक्षा के दोनों पहलुओं पर गौर करते हैं. यहां यह भी साफ कर देना उतना ही जरूरी है जितना किसी बात की गारंटी देने के लिए जरूरी होता है. बाजार में किया गया निवेश हमेशा एक रिस्क या कहें जोखिम के साथ होता है. सो जो इस बात को रिस्क वहन करना जानते हैं तब आप बाजार से जुड़े किसी फंड में निवेश करें.
फंड मैनेजर ये निवेश सरकारी बॉन्ड, कंपनियों के सावधि जमा, शेयर या फिर सोना आदि में करते हैं या कहें जैसे जरूरत और समय है उसमें निवेश किया जाता है. ये फंड मैनेजर की सूझबूज के साथ ही तय हो जाता है कि पैसा कितना बढ़ेगा. साथ ही यह वही तय करता है कि कब निवेश करना है और कब निकाल लेना है.
रिटर्न की संभावना कितनी है म्यूचुअल फंड में
इस सवाल का जवाब सटीक नहीं होता. इसके लिए कहा जा सकता है कि सड़क पर चलती गाड़ी की स्पीड कितनी होगी. कोई बता सकता है. नहीं. सड़क कैसी है, ड्राइवर कैस है और ट्रैफिक कैसा.. कई कारक सड़क पर गाड़ी की स्पीड तय करते हैं. वैसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी शेयरों में ही निवेश करता है इसलिए इसमें से सबसे ज्यादा पैसा बनने की उम्मीद है. वैसे भी भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दशकों से लगातार प्रगति कर रही है. विदेशी निवेशकों से लेकर विदेशी कंपनियों ने यहा पर निवेश और विनिर्माण में रुचि दिखाई है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में आने वाले 20 सालों में भारत का भविष्य उज्ज्वल है और निवेश का प्रतिफल लाभदायक ही होने की उम्मीद है. हम फिर एक बार गारंटी नहीं ले रहे हैं. याद रखें बाजार की अपनी चाल होती है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो कई म्यूचुअल फंड ने पिछले दो दशकों में 21 प्रतिशत सालाना का रिटर्न भी दिया है. कहा तो यह भी जाता है कि MF के सामने सोना भी फीका साबित हुआ है. कुछ तो यह भी कहते हैं कि प्रॉपर्टी का निवेश भी कमतर रहा है.
इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके tax saving investment से सबसे ज्यादा कमाई हो तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड यानी ELSS में पैसे लगाएं।
म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए किस्तों में भी निवेश कर सकते हैं
म्यूचुअल फंड में एकमुश्त और SIP की सुविधा होती है. एसआईपी के जरिए आपको निवेश करने में सुविधा होती है. आप महीने की किसी एक तारीख में एक निश्चित रकम निवेश कर सकते हैं. अब इन एसआईपी के लिए बैंक खाते से हर महीने अपने आप पैसे कट जाते हैं. पैसे अलग अलग महीने में कटती है तो ऐसे में आपके म्यूचुअल फंड के खाते में भी अलग अलग समय पर यूनिट की खरीद होती है. इससे यह फायदा होता है कि बाजार के उतार चढ़ाव को यह संभाल लेता है.
अंत में बस एक बात. अभी तक देखा गया है कि पिछले दो दशकों में शेयर बाजार वाले म्यूचुअल फंड में निवेश पर कम से कम 11 प्रतिशत सालाना का रिटर्न मिला है वहीं टैक्स सेविंग में 18 प्रतिशत तक का रिटर्न प्राप्त हुआ है. बाजार ने पिछले दो दशकों में देश की तरक्की के साथ खासी मजबूती भी हासिल की है और निरंतर प्रगति के ओर बढ़ रहा है. यह अलग बात है कि बाजार हमेशा जोखिम से भरा होता है इसलिए बाजार से जुड़े किसी भी निवेश में केवल उसी व्यक्ति को निवेश करना चाहिए जो यह रिस्क लेने को तैयार है.
Taurus Weekly Horoscope 26 Dec-1 Jan 2023: वृषभ राशि वालों का इस सप्ताह खुल सकता है कोई राज, कहीं पैसा निवेश करने से पहले दो बार सोचें
Good News Today 4 दिन पहले gnttv.com
© Good News Today द्वारा प्रदत्त Taurus Weekly Horoscope 26 Dec-1 Jan 2023: वृषभ राशि वालों का इस सप्ताह खुल सकता है कोई राज, कहीं पैसा निवेश करने से पहले दो बार सोचें
वृषभ राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह (26 December to 1st January 2023) मिलाजुला रहेगा. थोड़ी बहुत शुरू में स्वास्थ्य समस्याएं आएंगी, जिससे आप तुरंत निपट लेंगे. इसके अलावा सेहत अच्छा रहेगा. व्यापार में थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है.
गुप्त षड्यंत्र को पहचानें
आपको उन सभी योजनाओं में निवेश करने से पहले दो बार सोचने की जरूरत होगी, जो इस सप्ताह आपके सामने आयी हैं. क्योंकि संभव है कि सामने से आने वाले अवसर के पीछे कोई गुप्त षड्यंत्र हो, जिसका खामियाजा आपको भविष्य में उठाना पड़ सकता है. इसलिए निवेश जोखिम के प्रकार किसी योजना को शुरू करने से पहले ध्यान से उसका अवलोकन कर लें.
साझेदारी में बिजनेस को लेकर रहें सावधान
चंद्र राशि में मंगल पहले भाव में मौजूद हैं और इस सप्ताह किसी भी प्रकार के पार्टनरशिप के बिजनेस में कार्य कर रहे व्यापारियों को अपने साझेदार के साथ काम करते वक्त युक्ति और चतुरता दिखाने की जरूरत पड़ेगी अन्यथा वो आपको किसी प्रकार का कोई बड़ा धोखा भी दे सकते हैं.
भेद खुलने से पहले बता दें
इस सप्ताह निवेश जोखिम के प्रकार आपको अपने निजी जीवन में पूर्व के किसी राज के उजागर होने से कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में आपके लिए बेहतर यही होगा कि किसी भेद के खुलने का इंतजार करने की बजाय खुद ही उसे दूसरों के समक्ष साझा करते हुए अपनी गलती को मान लें.
अपनी संगति पर ध्यान दें विद्यार्थी
इस सप्ताह विद्यार्थियों को अपनी संगति पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत होगी, क्योंकि आशंका है कि आपकी गलत संगत के चलते स्कूल या कॉलेज में आपकी छवि को नुकसान पहुंचे. इससे आप अपने शिक्षकों का सहयोग भी प्राप्त करने से खुद को वंचित कर सकते हैं.
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