Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:56 IST

निवेश से जुड़े जोखिम को कम करने को लिए अपनाएं ये तरीके रहेंगे खुश

अगर आप इक्विटी और इक्विटी से जुड़े निवेश विकल्पों में पैसे लगाकर बिना जोखिम का आकलन इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न किए हाई रिटर्न हासिल कर रहे हैं तो आप सही रास्त पर नहीं हैं। इस तरह के हर निवेश के साथ कुछ जोखिम जरूर जुड़ा रहता है और किसी निवेशक की सबसे बड़ी भूल होती है इस तरह के जोखिमों की तरफ ध्यान न देना। जब आप अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में अलग-अलग निवेश विकल्पों में निश्चित अनुपात में अपने पैसे लगाते हैं तो आपके पूरे पोर्टफोलियो पर जोखिम कम होता है।

सही तरह से करें एसेट एलोकेशन

सामान्यतौर पर आपके portfolio का एसेट एलोकेशन इक्विटी, डेट और कैश सेगमेंट में बंटा होता है। लेकिन ये कई व्यक्तिगत कारकों पर भी निर्भर करता है जिसमें आपकी उम्र, जोखिम लेने की क्षमता, आपकी बचत और वित्तीय लक्ष्य शामिल होते हैं। इससे साफ होता हो कि एसेट एलोकेशन का मतलब सिर्फ equity और debt इंस्ट्रूमेंट से न होकर आपकी वित्तीय स्थित से भी होता है जो इसमें बड़ी भूमिका अदा करता है। उदाहरण के लिए जब एसेट एलोकेशन की बात होती है तो कोई फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह 25 साल के किसी युवा के लिए अलग होती है जबकि 50 साल के किसी व्यक्ति के लिए उसकी सलाह अलग होती है। इसी तरह किसी किसी शादी शुदा और बच्चों वाले व्यक्ति के लिए फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह कुछ दूसरी होगी जबकि किसी कुंवारे व्यक्ति के लिए वह दूसरी तरह की सलाह देगा।

इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न

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निवेश से जुड़े जोखिम को समझिए इन 9 आसान टिप्स के जरिए

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हाल में आयोजित ET Wealth Investment Workshop में मणिकरण शिरकत करने पहुंचे थे. उन्होंने अलग-अलग तरह के निवेश इंस्ट्रूमेंट से जुड़े जोखिमों के बारे बताया. साथ ही इनसे निपटने के तरीके भी सुझाए.

1. मार्केट रिस्क : यह जोखिम शेयर बाजार की अस्थिरता से जुड़ा है. इसमें आपके निवेश के मूल्य को खतरा होता है. मणिकरण कहते हैं, "इस तरह के जोखिम से निपटने का सबसे आसान तरीका डायवर्सिफिकेशन है. अपनी जरूरत के अनुसार इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे अलग-अलग एसेट क्लास में अपने निवेश को डायवर्सिफाई किया जा सकता है."

2. इंफ्लेशन रिस्क : इंफ्लेशन यानी महंगाई को मणिकरण धीमा जहर करार देते हैं. महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है. महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं.

Equity Mutual Funds में इन्वेस्टमेंट दोगुना से ज्यादा हुआ, निवेश शुरू करने से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान

Mutual Fund Investment: अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश की मदद से वेल्थ क्रिएट करना चाहते हैं तो पांच बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. सबसे महत्वपूर्ण है कि लंबी अवधि के निवेशक बनें. इसके अलावा डिसिप्लिन के साथ SIP जारी रखें.

Mutual Fund Investment: शेयर बाजार में जारी उठापटक के बीच सितंबर के महीने में इक्विटी फंड के प्रति निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है. AMFI डेटा के मुताबिक, बीते महीने इक्विटी फंड में 14077 करोड़ का इन्फ्लो हुआ जो अगस्त में 5942 करोड़ था. यह 136 फीसदी का उछाल है. ऐसे में अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करना चाहते हैं तो इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. सबसे पहले इस बात को समझें के बाजार के जोखिम का इसमें कम या ज्यादा असर जरूर होता है. अगर आप लंबे समय के लिए निवेशत रहेंगे और डिसिप्लिन के साथ निवेश करते रहेंगे तो वेल्थ क्रिएट करने में मदद मिलेगी. निवेश शुरू करने से पहले इन पांच आदतों को खुद में शामिल करना जरूरी है.

लॉन्ग टर्म के इन्वेस्टर बनें

अगर म्यूचुअल फंड से मोटा रिटर्न पाना चाहते हैं तो लॉन्ग टर्म के इन्वेस्टर बनें. यह पेड़ लगाने जैसा है. समय देंगे तो रिटर्न शानदार होगा. आपका पैसा इसमें धीरे-धीरे ग्रो करता है. कम से कम 3-5 सालों के लिए निवेश करें उसके बाद ही रिडीम के बारे में विचार करें.

बाजार में उतार-चढ़ाव एक प्रक्रिया है. ऐसे में डिसिप्लिन बहुत जरूरी है. डिसिप्लिन की बात करें तो SIP सबसे शानदार तरीका है. आप हर महीने 500 का एसआईपी भी शुरू कर सकते हैं. NAV की कीमत बाजार में उतार और चढ़ाव के साथ कम और ज्यादा होता है. लंबी अवधि तक निवेश का लक्ष्य है और बाजार में गिरावट आती है तो उसे मौके के रूप में देख सकते हैं. बाजार से निकलना नहीं है.

पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई रखें

म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट में डायवर्सिफिकेशन बहुत ज्यादा है. ऐसे में अपने पोर्टफोलियो को भी डायवर्सिफाई करने की जरूरत है. एक ही फंड में सारा निवेश करने से बचना चाहिए. इक्विटी फंड में रिटर्न ज्यादा है और डेट फंड में रिटर्न कम है. इक्विटी फंड में 65 फीसदी इक्विटी में जाता है तो रिस्क भी ज्यादा होता है. डेट फंड में 65 फीसदी से कम इक्विटी में जमा किया जाता है. इसके कारण रिस्क थोड़ा कम रहता है.

म्यूचुअल फंड में आपका पैसा प्रफेशनल मैनेज करते हैं. ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है. हालांकि, समय-समय पर आपको अपने पोर्टफोलियो की जांच करनी चाहिए. आपके पास कितना NAV और उसकी वैल्यु कितनी है, इससे टोटल वैल्यु पता चल जाता है. आपने टोटल NAV कितने में खरीदा है और उसकी वैल्यु कितनी हो गई है, इस आधार पर रिटर्न का पता चलेगा.

Mutual Funds में निवेश करना ही काफी नहीं! शानदार रिटर्न के लिए इस तरह करें सही फंड का चुनाव

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 13, 2022 6:56 IST

म्यूचुअल फंड- India TV Hindi

Photo:INDIA TV म्यूचुअल फंड

Mutual Funds में ज्यादातर निवशक बिना सोचे-समझे निवेश कर देते हैं। वो मानकर चलते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश कर दिया है तो शानदार रिटर्न मिलेगा। हालांकि, इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न ऐसा नहीं है। बेहतर रिटर्न के लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर फायदे की जगह नुकसान होने का भी खतरा रहता है। बाजार के जानकारों का कहना है कि किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त निवेशकों को पता होना चाहिये की वह किस फंड में निवश कर रहा है। क्योंकि इसी के आधार पर तय होगा निवेश पर कितना जोखिम है और रिटर्न कितना मिलेगा। तो आइए, जानते हैं कि म्यूचुअल फंड में कौन-कौन से फंड और किसमें निवेश करना सबसे सही।

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